“मामा” के दहेज में कंडोम और गर्भ निरोधक गोलियां!

अपना एमपी गज्जब है..82

(अरुण दीक्षित)

यूं तो अपने देश में दहेज लेना और देना दोनों ही गैरकानूनी हैं। लेकिन फिर भी यह काम खुलेआम हो रहा है। आम आदमी की बात तो छोड़िए खुद सरकारें भी अपनी कन्यादान योजना के तहत “दहेज” दे रहीं हैं। पर कभी आपने यह सुना कि “कन्यादान” के बाद कन्या को गिफ्ट में कंडोम और गर्भ निरोधक गोलियां दी गई हों! वह गिफ्ट किसी और की ओर से नहीं बल्कि “मामा ” की ओर से दिया गया हो!

यह अनूठा प्रयोग भी आदिवासी युवक युवतियों के साथ किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी मशीनरी इसे सही ठहरा रही है। उसका यह भी दावा है कि यह तो पूरे प्रदेश में हो रहा है!

आपको याद होगा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार बच्चियों, किशोरियों और महिलाओं के लिए कई योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं में एक मुख्यमंत्री कन्यादान योजना भी है। इसके तहत सरकार गरीब कन्याओं की शादी कराती है। उन्हें गृहस्थी बसाने के लिए दहेज देती है। यह भी सब जानते हैं कि शिवराज सिंह ने खुद को प्रदेश के बच्चों का मामा घोषित कर रखा है! इन दिनों वे लाड़ली बहनों के भाई भी बन गए हैं। अगले महीने से प्रदेश की एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं को एक एक हजार रूपये की “पाकेट मनी” भी देने वाले हैं।

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आदिवासी जिले झाबुआ के थांदला कस्बे में प्रशासन ने सामूहिक विवाह का आयोजन किया। 296 जोड़े शादी के बंधन में बंधे! इनमें सभी आदिवासी थे। यह आयोजन गंगा दशहरा के मौके पर किया गया।

सरकार एक जोड़े को 6 हजार रूपये नकद और 49 हजार का सामान देती है। इन 296 जोड़ों को भी सरकारी मशीनरी ने अपने हिसाब से दहेज दिया। दहेज में सरकार की ओर से मेकअप के लिए वैनिटी बैग भी दिया गया।

एक नवविवाहिता ने उत्सुकता में अपना वैनिटी बैग खोल कर देख लिया। उसमें मेकअप के सामान के साथ कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियां देख वह चौंकी! बाद में दूसरी दुल्हनों ने भी अपने वैनिटी बैग खोल कर देखे! सभी को यह सब सामान मिला। दहेज में कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियां दिए जाने की बात तत्काल जंगल की आग की तरह फैली। सवाल उठा – मामा के दहेज में कंडोम?

झाबुआ की कलेक्टर एक महिला हैं। जब मीडिया ने उनसे इस बारे में पूछा तो उनका कहना था – स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम तहत यह सामग्री नवविवाहित युवतियों को बांटी गई है।

जिले के परिवार नियोजन प्रभारी ने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए कहा हम नवदंपति को परिवार नियोजन का महत्व बता रहे हैं। यह तो पूरे प्रदेश में हो रहा है। इसी के तहत मेकअप बॉक्स में गर्भ निरोधक रखे गए। यह आम बात है।

हालांकि अभी तक कभी कहीं से ऐसे “दहेज” की खबर नही आई थी।

इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा हुआ कि शिवराज सरकार के अफसर आदिवासियों पर ही ऐसे प्रयोग क्यों करते हैं। अभी कुछ दिन पहले डिंडोरी जिले में कलेक्टर ने सामूहिक विवाह से पहले सभी आदिवासी लड़कियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराया था। यही नहीं उन्होंने उन 5 लड़कियों को विवाह भी नही करने दिया जो प्रेगनेंट थीं और पहले से उस युवक के साथ रह रही थीं, जिससे वे शादी करने आई थीं।

मजे की बात यह है कि उन युवतियों को यह नही बताया गया था कि उनका प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा रहा है।

प्रशासन के इस कदम का काफी विरोध हुआ था। लेकिन “मामा” ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

सबसे अहम बात यह है कि यह सब उस राज्य में हो रहा है जिसमें बीजेपी का शासन है। जिस राज्य का मुख्यमंत्री खुद को सब बच्चों का “मामा” बताता है। जो पिछले कई महीनों से आदिवासी विकास को लेकर बड़े बड़े दावे कर रहा है।

बीजेपी पूरी दुनिया में इस बात का ढोल पीट रही है कि उसने देश सर्वोच्च पद -राष्ट्रपति – पर एक आदिवासी महिला को बैठाया है। इसकी केंद्र की सरकार आदिवासियों के प्रेरणा पुरुष बिरसा मुंडा को भगवान के रूप में स्थापित करने की मुहिम चला रही है। वही राज्य की सरकार आदिवासियों के लिए पेसा कानून लागू करने का दावा कर रही है। वह आदिवासी जननायक टंट्या भील को भी महिमामंडित कर रही है।

एक तरफ तो आदिवासियों के नाम पर तमाम दावे हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनकी बेटियों का शादी से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट कराया जा रहा है और उन्हें दहेज में कंडोम दिए जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि यह सब एमपी में हो रहा है। लेकिन इस सब पर “मामा” मौन हैं!

सबसे मजेदार बात यह है कि बीजेपी इस “दहेज” का समर्थन कर रही है। कांग्रेस की महिला नेता ने जब सरकार के इस कदम की निंदा की तो बीजेपी की महिला प्रवक्ता सीधे आपातकाल में पहुंच गईं।

उन्होंने संजय गांधी को याद करते हुए कहा – संजय गांधी ने तो 60 लाख लोगों की नसबंदी उनकी बिना मर्जी के करा दी थी। अब उनसे यह कौन पूछे कि क्या वे शादी के समय ही नसबंदी कराए जाने की वकालत कर रही हैं? हां उन्होंने नई दुल्हन के मेकअप बॉक्स में सरकारी कंडोम को परिवार नियोजन के लिए हर तबके को जागरूक किया जाना निरूपित किया है।

बीजेपी महिला नेता के बयान से ऐसा ध्वनित हो रहा है कि आने वाले दिनों में सरकारी सामूहिक विवाह स्थल पर प्रशासन सामूहिक नसबंदी शिविर भी लगवाएगा!

एक बात और! देश में बढ़ती आबादी के संदर्भ में देखें तो अन्य समाजों की तुलना में जनजातीय समाज की आबादी कम बढ़ रही है। हालांकि इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा मौजूद नही है। लेकिन यह सच है। ऐसे में जनजातीय युवतियों को दहेज में कंडोम देने का औचित्य समझ से परे है।

वैसे भी एमपी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में कई ऐतिहासिक काम हुए हैं। अभी पिछले दिनों सागर के गढ़ाकोटा में हुए सामूहिक विवाह में दहेज में नकली टीवी दे दिए गए।

इससे पहले खुद मुख्यमंत्री के जिले विदिशा की सिरोंज तहसील में हजारों नकली शादियां करा कर 30 करोड़ से भी ज्यादा की रकम सरकारी खजाने से निकाल ली गई थी। हालांकि यह खेल करने वाला अफसर और उसके साथी कर्मचारी जेल में हैं। लेकिन सरकार ने अब तक यह पता लगाने की गंभीर कोशिश नही की कि एक छोटे अफसर ने यह पैसा कहां खपाया! उसको किसका संरक्षण था। यह अलग बात है कि अफसर के करीबी सूत्रों का कहना है कि इन 30 करोड़ का पूरा हिसाब है। किसको कितना मिला यह सब खाते में दर्ज है। लेकिन उस खाते पर नजर डालने को कोई तैयार नहीं है। इसीलिए अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है।

खैर आप यह बताइए कि कभी आपने सुना है कि “मामा” अपनी भांजियों को दहेज में कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियां दे। वह भी उस समाज की भांजियों को जो समाज की सबसे आखिरी लाइन पर खड़ा हो। नही सुना..तो एमपी में आकर सुनिए और देखिए! इसीलिए तो सब कहते हैं कि अपना एमपी गज्जब है! है कि नहीं!

(साई फीचर्स)