मणिपुर मामले में कटघरे में सरकार!

(विजय तिवारी)

रोम से एक खबर व्हाट्सएप पर देखा, जिसमें बताया गया कि पुरातत्व शास्त्रियों ने उस थिएटर के भग्नावशेष को खोज लिया है, जिसमें नीरो ने बेगुनाह नागरिकों को भूखे शेरों के सामने डलवा दिया था। इतिहास बताता है कि हजारों रोमन दर्शकों को इस बीभत्स द्रश्य को देखने के लिए रोमन सैनिक उनकी ओर ब्रैड फेका करते थे और वे लोग पागलों की तरह इस अमानवीय द्रश्य को देख कर चिल्लाते थे। थिएटर में शेरों के सामने जिन लोगों को डाला गया था, उनका गुनाह सिर्फ इतना था कि वे ईसा मसीह के अनुयायी थे !

मणिपुर में मैतेई लोगों और वहां की सरकार के समर्थन से कुकी ईसाइयों के ग्राम और घरों में आग लगाने और उनकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर बलात्कार करने की घटनाएं आज दो माह से लगातार हो रही हैं। अब मणिपुर के कुकी समुदाय के बीजेपी विधायकों ने सार्वजनिक रूप से विरेन सिंह सरकार पर आरोप लगाया है कि शासन की शह पर ही ये दंगे हो रहे हैं। उधर मैतेई समुदाय के एक विधायक ने कारण थापर को दिये गए इंटरव्यू में कहा है कि अबकी बार कुकी लोग हमारे हमले से नहीं बच पाएंगे! प्रमोद सिंह नामक नेता ने ईसाई समुदाय का नरसंहार करने का इरादा जताया है। कहां तो सुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच पर कड़ी कारवाई की बात कहता हैं कहां यह भारतीय नागरिक खुलेआम एक समुदाय को समूल नाश करने की बात करता है !

उधर केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार को इन जमीनी हकीकतों से कुछ लेना देना नहीं है। वे तो आपदा में अवसर की तलाश में है। इसलिए वे गैर बीजेपी सरकारों के राज्यों में महिलाओं के ऊपर होने वाले अपराधों को मणिपुर के नरसंहार की तुलना में रखा रहे है ! वैसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में जैसे अपराध होना ही बंद हो गए ! सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के गैर बीजेपी राज्यों से सौतेले बर्ताव पर टिप्पणी भी की है कि आप जिन सरकारो में शामिल है (बीजेपी) वहां पर आप कड़ाई नहीं दिखाते हैं जैसे नागालैंड में महिला आरक्षण को लागू करने में !

आइये बात करते है मणिपुर के कुकी विस्थापितों की लगभग 5 हजार से अधिक ईसाई कुकी राहत कैंपो में भेड़ बकरियों की तरह ठुसे हुए हैं। जगह की कमी के कारण और राशन की कमी के चलते वे लोग बस दिन काट रहे हैं !

मोदी सरकार ने मणिपुर में दंगों के जिम्मेदार और पुलिस की नाकामी पर कार्रवाई करने के बजाय अब उस वीडियो को अपना निशाना बनाया है जिसके कारण इस अत्याचार की कहानी दुनिया के सामने आई है। यानि कि अपराध की जांच नहीं, जांच उसकी जिसने उस अपराध को सबूत के रूप में दुनिया के सामने पेश किया। है ना अंधेर नगरी का चौपट न्याय! जहां अपराधी की गरदन को फांसी के फंदे का साइज नहीं होने से छोड़ दिया जाता है और एक बेगुनाह जिसकी गरदन का साइज फांसी के फंदे के बराबर होता है, उसको सज़ा दे दी जाती है। 19वीं सदी में हिन्दी के महान लेखक भारतेन्दु हरिश्चंद्र द्वारा लिखा गया नाटक आखिर शक्ल में आ रहा हैं। जहां की दंगे और बलात्कार तथा आगजनी के दोषियों को दंड ना देकर उस व्यक्ति को दोषी बनाया जा रहा है जिसने अपराध को होते देखा ! यानि तुमने क्यंू देखा ! एक बच्चा शक्कर की चोरी कर रहा था। उसके बड़े भाई ने देख लिया और उसे डांटा, तो वह बोला कि तुमने क्यूं देखा। इतना ही नहीं केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वीडियो की जांच सीबीआई से करने का आदेश दिया है कि यह वीडियो कैसे सार्वजनिक हुआ ? क्यूंकि इसमें उस महिला की शक्ल है जिसके साथ दुर्व्यहर किया जा रहा हैं अब आईटी कानून के अनुसार बलात्कार की शिकार महिला का नाम उजागर करना जुर्म है। हालांकि महिलाओं के नाम सार्वजनिक नहीं हुए है, परंतु एक सवाल यहां यह है कि क्या ऐसे जघन्य अपराध को छुपाने की कोशिश केंद्र सरकार कर रही अथवा इस वीडियो से संसद के अधिवेशन के पहले आ जाने से मोदी सरकार अपने को कठघरे में पा रही है ! इसलिए वीडियो प्रकरण की जांच की जा रही है। दंगों, नरसंहार की नहीं ! वास्तव में यह पूरी दास्तान नीरो के समय की ही लगती है जहां नागरिक अधिकार और न्याय सत्ता के लिए कोई अर्थ नहीं रखते थे।

मणिपुर कांड कितना पूर्वोतर को प्रभावित करेगा..?

उत्तर भारत में भले ही मणिपुर को लेकर स्वयंसेवी संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा धरना प्रदर्शन किए जा रहे हो, परंतु पड़ोसी प्रदेशों में इस कांड के गंभीर असर दिखाई दे रहे हंै। चूंकि अब यह सर्वविदित हो गया है कि यह संघर्ष ईसाई कूकियों और हिन्दू मैतेई समुदाय के मध्य है। इसलिए पड़ोसी राज्यों में कुकी विस्थापितों की भीड़ पहुँच रही है। इस संदर्भ में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोराम्थंगा ने मणिपुर में कूकियों के विरुद्ध अत्याचार पर एक लाख लोगों का लाँग मार्च आइज़ोल में किया था। चूंकि उनकी सरकार में बीजेपी नहीं है इसलिए वे केंद्र की एनडीए सरकार के भी दबाव में नहीं है। जैसा की उन्होंने एक बयान मे कहा भी है। मणिपुर के मुख्यमंत्री विरेन सिंह ने आइज़ोल में कूकियों के समर्थन में लाँग मार्च निकालने पर मुख्यमंत्री जोरनमंथगा की आलोचना की और कहा कि दूसरे प्रदेश के मामलों में उन्हंे हाथ नहीं डालना चाहिए। इस पर जोरान्थंगा ने कहा की वे एनडीए की सरकार से घबड़ाते नहीं है।

मिज़ो लोग प्रोटेस्टेंट ईसाई है। वे लोग कुकी को भी सहोदर मानते है, चूंकि वे भी ईसाई है। सेंट्रल यंग मिज़ो एसोसिएशन के अनुसार अभी तक वे 12618 कुकी विस्थापितों की व्यव्स्था कर रहे हंै। इतना ही नहीं म्यांमार के कूकियों को भी वे मदद कर रहे है परंतु अब मिज़ो सरकार इन विस्थापितों के ठहरने और भोजन इत्यादि का खर्चा उठाने में समर्थ नहीं है। राज्य की सरकार ने अपने विधायकों सरकारी कर्मचारियो और बंैकों से मदद मांगी है। उन्होने केंद्र से भी विस्थापितों की मदद के लिए मोदी सरकार से 10 करोड़ रुपये की मदद मांगी है। मिज़ो नागा और कुकी तथा छोटे छोटे समूह ईसाई होने के कारण अगर केंद्र ने हालत का राजनीतिकरण धर्म के नजरिए से की तो हालत विस्फोटक हो सकते हैं। वैसे मणिपुर की समस्या धरम से ही जुड़ी है।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने मणिपुर कांड की जांच सीबीआई से करने का हलफनामा दिया है। परंतु वे इन मामलों की सुनवाई आसाम में चाहते हैं जो बीजेपी और संघ के मिजाज के माफिक है। वहां पहले से ही हिन्दू मुसलमान का मसला बना हुआ है।

(साई फीचर्स)