इन नतीजों से सबक ले भाजपा

 

 

 

(प्रकाश भटनागर)

सत्यजीत रे की फिल्म थी जलसाघर। जमींदारी खत्म होने के बाद का एक पूर्व बूढ़ा जमीदार मान, सम्मान और पैसे, हर चीज से मोहताजी की हालत में आ चुका है। लेकिन जमींदारी की शानो-शौकत बनाये रखने का शौक कायम है। गांव का ही एक कभी गरीब रहा शख्स अब जमींदार से अधिक अमीर हो चुका है। पैसा आने के साथ ही उसका बूढ़े जमींदार के प्रति सम्मान भी कम हो गया है। पूर्व जमींदार का अतीत उसे यह सहन नहीं करने देता। वह अपने घर में एक नर्तकी को बुलाता है। नृत्य देखने के लिए अन्य लोगों सहित उस नये अमीर को भी बुलाता है। नृत्यांगना का प्रदर्शन जब चरम पर होता है तो नया अमीर खुश होकर उसे पैसे देने के लिए अपने पास बुलाता है। जमींदार को इसी मौके का इंतजार था। वह उस शख्स का पैसे से भरा हाथ अपनी छड़ी की मूठ से पकड़कर कहता है कि जिस घर में नाच हो, उसका मालिक ही पहला इनाम दे सकता है। नये अमीर की सारी हेकड़ी उसके पसीने में बह जाती है

महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव नतीजे इस घटनाक्रम से अलहदा नहीं हैं। मतदाता ने जमींदार की तरह ही भाजपा को उस परम्परा की याद दिला दी, जिसके तहत वोट की ताकत अच्छे-अच्छों का गुमान तोड़ सकती है। सन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से मगरूरियत में डूबी भाजपा (खासकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह) यह भूल ही गयी थी कि चुनाव काम करके जीता जाता है। इस पार्टी की इस जुगल जोड़ी के दिमाग में यह गलतफहमी बैठ गयी थी कि केवल राष्ट्रवाद का लच्छेदार नारा और विपक्ष के निरंतर उपहास का कच्छेदार आचरण करके ही जनता को भ्रमित किया जा सकता है। उनकी याददाश्त को दो राज्यों के मतदाताओं ने दुरुस्त कर दिया है। हालांकि भाजपा की हार नहीं हुई, किंतु दोनों ही जगह उसकी सीटों की संख्या में गिरावट आयी है। हरियाणा और महाराष्ट्र में मंत्री तक निपट गये।

आलम यह है कि जिस जगह बीते चुनाव में पार्टी ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया था, उसी जगह अब उसे जजपा की मदद से सरकार बनाने का रास्ता तलाशना पड़ रहा है। यह मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल की खराबियों का नतीजा है कि दुष्यंत चौटाला की क्षेत्रीय पार्टी उनकी मजबूरी बन गयी है। दुष्यंत चौटाला चाहे तो वे कांग्रेस के साथ भी सरकार बना सकते हैं। यानि सारा दारोमदार अब चौटाला के पास है। महाराष्ट्र में अब हालत यह कि शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद मांग लिया है। जाहिर है कि इस दल ने अपनी ताकत बढ़ाई है और भाजपा की शक्ति कम हो गयी है। इस कॉलम में पहले ही कहा गया था कि कम से कम महाराष्ट्र का परिणाम बता देगा कि मंदी के मामले में देश का रुख क्या है। तो मुंबई जैसे महानगर में भाजपा और शिवसेना का वर्चस्व बता रहा है कि चुनाव नतीजों के कारक दूसरे हैं। हालांकि राष्ट्रवाद और सावरकर जैसी आंधी हर कहीं कारगर नहीं होती है।

अव्वल तो यहां मतदान ही कम हुआ, जो एंटी-इन्कम्बैंसी का सीधा प्रतीक होता है। तिस पर भाजपा की सीटें भी घट गयीं। यह जताता है कि मतदाता की नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगी है। हां, एक तथ्य यह भी छिपा है कि इस नाराजगी को उदासीनता से जोड़ा जा सकता है। मतदाता यदि बहुत अधिक गुस्से में होता तो तय मानिये कि हरियाणा में कांग्रेस तथा महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी बहुमत के उल्लास में डूब गये होते। किंतु ऐसा नहीं हुआ। इसलिए समझा जा सकता है कि वोट देने वालों ने इस रुख के जरिये भाजपा को एक चेतावनी दे दी है। वह यह कि अब भी वक्त है, संभल जाओ। राष्ट्रवाद तथा हिंदुत्व के प्रति हमारा समर्थन जरूर है, किंतु हमारी अपेक्षाओं में रोटी, कपड़ा और मकान भी महत्वपूर्ण हैं। काठ की हांडी बार-बार चढ़ाने का प्रयास मत करो। तो मतदाता की यह मात्र चेतावनी है। उसने एंटी-इन्कम्बैंसी के बावजूद भाजपा को ही प्राथमिकता प्रदान की है।

अब इस दल को आगे के लिए अपनी नीतियों पर गंभीरता से चिंतन-मनन करना होगा। उसे दिल्ली और फिर पश्चिम बंगाल जैसे कड़े मुकाबलों में उतरना है। इसलिए भाजपा पचे-पचाये भोजन को खाने की कोशिशें बंद कर दे। ऐसा आहार धीरे-धीरे बांसी होने लगा है। जो अंतत: उसका भक्षण करने वालों की सेहत की खराबी का सबब ही बनेगा। दोनों राज्यों में आने वाले दिनों की राजनीतिक अब रोचक होगी। किसी भी जगह बनने वाला मुख्यमंत्री चुनौती-विहीन नहीं रह पाएगा। अव्वल तो इस पद पर देवेंद्र फडणवीस सहित मनोहर लाल खट्टर की वापसी भारी संघर्ष के बाद भी संभव हो, यह कहना मुश्किल है। उस पर यदि वे इसमें सफल हो गये, तब भी कमजोर संख्या के चलते आये दिन उनके सामने नये व्यवधान और ब्लेकमैल की स्थिति बनती रहेगी। दोनों ही राज्यों में राजनीतिक स्थिरता पर संकट बना रहेगा। आगामी विधानसभा चुनाव वाले अन्य राज्यों में ऐसे कष्टप्रद अध्यायों का दोहराव न हो, इसके लिए भाजपा को इन दो राज्य के नतीजे से सबक लेना ही होगा। वैसे ऐसे नतीजे देश में लोकतंत्र की मजबूती और उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी भी हैं।

(साई फीचर्स)