महारोग से लड़ता चीन

मध्य चीन के हुबेई प्रांत के बाहर नव-करोना वायरस निमोनिया (एनसीपी) संक्रमण की पुष्टि के मामलों की संख्या लगातार सात दिनों से कम हो रही है। हालांकि संक्रमण कम करने का दावा करने की हिम्मत किसी अधिकारी ने अभी तक नहीं दिखाई है। कोई कहने को तैयार नहीं है कि महामारी का प्रसार नियंत्रण में है। सरकारी अधिकारी अब बहुत सतर्क हैं। उन्हें पता है कि रोग रोकथाम के लिए उन्हें अधिकतम कोशिश करनी है। धीरे-धीरे लोग यह मानेंगे कि चीन की रोग रोकथाम और नियंत्रण प्रणाली पहले से ही शक्तिशाली है, जिसके कारण वह संक्रमण के जोखिम को कम कर पा रहा है। संक्रमण के मामले सामने आएंगे, पर अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने में सक्षम होना होगा, जिसमें मरीज का पता लगाना और उसे दूसरों से अलग करना शामिल है।

संक्रमित होने वालों की संख्या को सीमित रखना होगा। हम ऐसे हालात में हैं, जहां पूरा समाज अत्यधिक घबराहट की चपेट में है। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आतंक भी एक उपकरण बन गया है। ऐसी स्थिति लंबे समय तक नहीं रहनी चाहिए। लोगों को बाहर निकलने से रोकना मजबूरी में किया गया एक उपाय था, यह सामान्य व्यवस्था नहीं थी। यदि भविष्य में लोग बाहर निकलने की हिम्मत खो देंगे, तो व्यवस्था का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। हालात के संभलने के बाद विभिन्न शहरों की स्थानीय सरकारों को यह देखना चाहिए कि आर्थिक व सामाजिक विकास को प्राप्त करते हुए कौन महामारी को नियंत्रित कर सकता है?

यह भी देखना होगा कि कौन शहर रोग रोकथाम करते हुए अपने नागरिकों से सहयोग लेकर चल सकता है? अब भी गंभीर स्थिति को नियंत्रण में रखने के बावजूद लोगों को बाहर नहीं निकलने के लिए कहना गलत है। हमारे शहरों को एनसीपी और ऐसी ही किसी अन्य महामारी से बचाने के लिए किले खड़े कर देने चाहिए, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि ये शहर विभिन्न आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र भी होते हैं। बहरहाल, जब लोग धीरे-धीरे अपने सामान्य जीवन में लौटने लगेंगे, तब भी रोग रोकथाम और नियंत्रण के उपायों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। (ग्लोबल टाइम्स, चीन से साभार)

(साई फीचर्स)