(सुदर्शन सोनी)
सुदर्शन कुमार सोनीः बच्चा इंसान का पिता है से कहीं ज्यादा सही है डॉगी इज दा फादर आफ मैन। लेकिन कैसे? इंसान जो नही सोच पाया या कर पाया डॉगी वह करता है, और हमें संदेश भी देता है कि हे नादान, कुछ तो हमसे भी सीख लें। नहीं तो, तू तो कुत्ते की तरह लड़ना या कुत्ते की मौत मरना या कुत्ते कमीने मैं तेरा खून पी जाऊंगा या कुत्तापन में ही पड़ा रह जायेगा। तुमने अपनी ताईं ये सब तो हमारे सम्मान में गढ़ लिये? लेकिन हमसे सीखा कुछ नही!
लानत है मनुष्य जाति पर हमारी जाति की तो तीव्र इच्छा होती है कि फिर से जंगल की ओर ही स्थायी पलायन कर लिया जाये। हम जानते हैं कि खोयी हुयी जंमी तलाष करने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसलिये कभी कभी कदम रूक जाते हैं। आप सुधि जनों ने जैसा कि आप अपने आप को कहलवाने में गौरव का अनुभव करते हो! सैक्स को अपवित्र बना दिया है? कैसे क्या, समझ में नही आया।
अरे ईश्वर ने इसे संतानोत्पत्ति के लिये बनाया है, लेकिन आपने इसे तांडव बना दिया है दिन रात और किसी भी ऋतु में इसी में संलिप्त हैं। हमसे सीखों एक ऋतु विशेष है उसमें जिससे लगन लागी तो ठीक है, नही तो हड्डी चूसासन या गुर्रासन, कुत्ताध्यानासन या दौड़ासन में अपने को व्यस्त रखते हैं। आपको तो उपमा देना भी नही आता है? यदि आता होता तो आपने कुत्तेपन का सही अर्थ समझ लिया होता। यह एक पाजीटिव शब्दांश है, परन्तु आपने इसे निगेटिव बना कर रख दिया है?
कुत्तापन का मतलब होता है विश्वास, वफादारी थोड़े से ही संतोष कर लेना, ध्यान केंद्रित करना किसी को सीखना हो तो हमसे सीखे। जहां एक हड्डी मिल जाये तो फिर दुनिया रूपी सर्कस के किसी खेल से हमे मतलब नहीं। मितव्ययिता हमसे सीखो। आप क्या चुईंगम चबाते होगे जैसी हम हड्डी को चबाते हैं। हमारी च्युंईगम हड्डी ही है। चबाकर उसको पापड सरीखा बना देते हैं। हमे सीधी सहज चीजंे अच्छी लगती हैं। इसीलिये घुमावदार हड्डी को हम एक पत्तर में बदल डालते हैं। अपने रोज के कार्य भी हम आनंद रूपी रस लेकर करते हैं।
हमें फारिग होने में आपके जैसा घंटा भर घंटा नही लगता! आप तो लगता है कि वहां भी धूनि रमाने बैठ जाते हो! न ही, हमारे साथ दबाव बनने की समस्या है कि पहले धूम्रपान होना या चाय होना उसके बाद ही उतरेगी चढ़ेगी! ये बीमारी आपको ही होती है। आप अंतरिक्ष में हो आये, लेकिन इस पुनीत कार्य में निवेश होने वाला समय कम नहीं कर पाये! जबकि आप खुद ही कहते हो कि समय ही सोना है? जब अमल नहीं कर पाते तो सीख देने की क्या जरूरत। नसीहत की आपकी आदत है कि जाती नहीं। हमें देखों, इस नेक कार्य को चंद सेकेंडस में अंजाम दे पैर से धूल झाड़ आगे काम पर निकल जाते हैं।
हम वास्तव में इंसान के बाप ही हैं! हमसे इंसान न जाने क्या-क्या सीख सकता है! सूची लम्बी है। आंखें चौंधिया जायेंगी आपकी! आप टीवी, मोबाईल के साथ रहते हो, हम समूह में रहते हैं। आज भी हम मेलजोल को महत्व देते हैं। काले-गोरे में हम भेदभाव नहीं करते। कभी सुना आपने कि किसी काले कुत्ते ने सफेद को देखकर या सफेद ने काले को हिकारत की नजरों से देखा हो। रंगभेद तो हमारे शब्दकोश क्या खून में है ही नहीं? अब बताओ कि कौन पिता हुआ! अरे! हमे पिता नहीं, परम पिता कह सकते हो!
आप ऐसा करके तो दिखाओ कंपकंपी छूट जायेगी। हम निरंतर चलायमान यातायात में सड़क के बीचोंबीच घंटो घोड़े बेचकर सोते रहते हैं। इसलिये घोड़ा गाड़ी भी निकल जाये तो हमें पता नहीं लगता। हजारों गाड़िया आ जा रही हैं, हमें कोई फिक्र नहीं है। आपको तो नींद की बीमारी होती है, उसके लिये गोली खाते हो। यदि चौन की नींद लेना सीखना है तो हमसे सीखो।
और हमसे सीखने में एलर्जी हो तो गऊ माता से सीख लो वह भी हमारी तरह ही सड़क पर बेखौफ बैठी रहती है। वाहनों के चाहे आप जितने हार्न बजा उसे वार्न करो वह टस से मस नहीं होती। यदि आपकी अटकी है तो फिर आप अपने वाहन से उतरो उनको निवेदन करो या जबरदस्ती करो तब सड़क खाली होती है। हम तो कम से कम वाहन के ज्यादा हार्न देने पर हट कर किनारे हो जाते हैं। आप तो जो आपका अपमान करे उसे भी अपने स्वार्थवश जल्दी ही भूल जाते हो?
हमें देखो यदि किसी वाहन ने हमारे किसी साथी को कभी टक्कर मार दी हो सड़क पर तो फिर हम नही छोड़ते, जो भी चार पहिया निकला कि उसको सालों साल तक खदेड़ते रहते हैं। अपनी सीमा के बाहर निकाल कर ही चौन लेते हैं। दुश्मनी मतलब दुश्मनी दुश्मन को हम दोस्त नही बनाते। ये नहीं कि स्वार्थ के वशीभूत दुश्मन को भी गले लगा लेना! क्योंकि हमे मालूम है कि जब जब पीठ मे खंजर या पेट में लात लगी है हमने अपने को इंसानों के बीच ही पाया है ये शायरी आपके द्वारा ही कभी सुनायी गयी थी आप भूल गये होंगे लेकिन हम लोगों ने इसे आत्मसात कर लिया है। अभी भी आपको यदि शक है कि डागी इज दा रियल फादर आफ मैन तो फिर यह आपकी समस्या है हमारी नही!
(साई फीचर्स)