नादान निगमकर्मी इंदौर के

 

 

 

 

(प्रकाश भटनागर)

इंदौर नगर निगम के अमले की जितनी भर्त्सना की जाये, वह कम है। उसे निहायती मूर्ख कहना भी मूर्खता की प्रचण्डता को सही तरीके से परिभाषित नहीं कर पायेगा। यह भी कोई तुक होती है भला! स्वास्थ्य मंत्री भाई तुलसी सिलावटजी के जन्मदिन की खुशी में लगे होर्डिंग हटाने पहुंच गये। ले-देकर तो भैया मंत्री बने हैं। लेने-देने वाली शैली में ही उनके लिए होर्डिंग्स का बंदोबस्त किया गया होगा। ये अमला क्या जाने कि एक-एक होर्डिंग के पीछे कितनी मेहनत लगती है। मंत्रीजी को निजी सचिव को काफी पहले याद दिलाना पड़ता है कि मेरा जन्मदिन आ रहा है। निजी सचिव धीरे से मंत्री जी के खासमखास सियासी पट्ठे को इस आयोजन की सुपारी दे देता है।

फिर इस सुपारी का राजीव गांधी के दिल्ली से चले दस रुपए की तर्ज पर हश्र होता जाता है। वह घिसती जाती है। वरिष्ठ पट्ठे के बाद कनिष्ठ पट्ठे तक यह सुपारी जाती है। वहां से पट्ठों की टोलियों और उनकी भी उप समितियों में इसका वितरण होता है। तब कहीं जाकर यह योजना सुनिश्चित हो पाती है कि अमुक दिन किस तरह से शहर के तमाम सार्वजनिक स्थानों के सौंदर्य के साथ आईपीसी की धारा 376 वाला काम खुल्लमखुल्ला किया जाना है।

इस कठिन कवायद से रणनीति बन पाती है कि भैयाजी के पोस्टर और होर्डिंग के जरिये सुनिश्चित कर दिया जाए कि अमुक तिथि को लेकर भूत, वर्तमान और भविष्य का यदि कोई अटल सत्य है तो वह केवल यह कि इस दिन प्रिय नेताजी का प्रकटोत्सव है। उस तारीख के शेष सभी सुख अस्तित्वहीन हैं। समस्त दु:ख एवं शिकायतें राजद्रोह की श्रेणी वाले कृत्य हैं। लेकिन नहीं साहब। नगर निगम वाले हैं कि उन्हें यह मेहनत देखनी ही नहीं है। समझना नहीं है। तो पहुंच गए घोर परिश्रमियों के किये-कराये पर पानी फेरने। वह यह भूल गये थे कि भारत-भूमि अभी शूरवीरों से खाली नहीं हुई है।

इसलिए जब लट्ठधारी रिश्तेदार मंत्रीजी के इस तौहीन के खिलाफ अमले पर पिल पड़े तो मुझे बहुत संतोष हुआ। इन महाशय के लिए परम वीर चक्र की अनुशंसा तो मैं नहीं कर सकता। क्योंकि ऐसा किया तो विधायक आकाश विजयवर्गीय के पिता कैलाश विजयर्गीय बुरा मान जाएंगे। किंतु मैं शिद्दत से यह सिफारिश कर रहा हूं कि इन सज्जन की उनके जीवित रहते ही एक प्रतिमा नगर निगम मुख्यालय पर लगवा दी जाए। जिसके नीचे लिखा हो, मंत्री के होर्डिंग को बुरी नजर से देखने वाले तेरा मुंह काला। बल्कि कुछ महीनों पहले ही रिलीज हुई फिल्म स्त्री की तर्ज पर हर मंत्री के आवास के बाहर लाल शब्दों में लिख दिया जाए, ओ कानून का पालन करने वाले कल आना।

अब दलील मत दीजिएगा कि कलेक्टर की अनुमति के बगैर ऐसे होर्डिंग न लगाने के निर्देश खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिये हैं। मुख्यमंत्री का क्या है। बैठे-ठाले कोई भी आदेश जारी कर दिया। उलझा दिया कलेक्टरों को। जिस शहर में कभी बल्ला तो कभी डंडा शासन चलता हो, वहां जिला प्रशासन की भला क्या औकात कि कानून-व्यवस्था पर अमल करने की हिम्मत दिखा दे! कमलनाथ राज्य में उस तरह से सरकार चला ही नहीं पा रहे हैं, जैसा उनके पार्टीजन चाहते हैं। यदि वे कांग्रेसियों की भावना को समझ पाते तो यह निर्देश देते कि हर मंत्री और सत्तारूढ़ दल के विधायक के जन्मदिन पर स्थानीय नगर निगम सहित सभी शासकीय कार्यालयों की ओर से भूरा भैया को जन्मदिन की बधाई वाली शैली के होर्डिंग एवं बैनर लगाना सुनिश्चित किया जाए। आपको यह बात अतिशयोक्ति लगती है तो चलिए, करिए इंतजार, उस दिन का जब कल नगर निगम अमले पर डंडा चलाने वाला मंत्री का रिश्तेदार सीखचों के पीछे नजर आएगा। यदि यह इंतजार सामान्य कानूनी प्रक्रिया के तहत ही पूरा हो गया तो जीत आपकी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो……..!

(साई फीचर्स)

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