(अजय सेतिया)
दिल्ली के शाहीन बाग़ में मणिशंकर अय्यर का पहुचना धरने की साजिश को उजागर करता है तो दिग्विजय सिंह का ताज़ा बयान उस कहानी को आगे बढाता है। अभी जावेद अख्तर, स्वरा भास्कर और अनुराग कश्यप को आना बाकी है। वे भी आएँगे तो वही कहेंगे जो मणिशंकर और दिग्विजय सिंह कह रहे हैं। मणि शंकर अय्यर ने पाकिस्तान से लौट कर शाहीन बाग़ में धरने पर बैठे मुस्लिमों और वामपंथियों को खूब भडकाया और हर हफ्ते वहां आने का वादा किया।
दिग्विजय सिंह ने कहा हम तो कहते हैं कि मोदी अपने पिता और माता का जन्म प्रमाणपत्र हमें बता दें, (इसके बाद) हम सब कागज दे देंगे। यानी देश के ये बड़े नेता,जो मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं, बिना सिर पैर की बयानबाजी कर रहे हैं।वे जानते हैं कि उन्होंने मुसलमानों को जैसी शिक्षा दी है उसमें उन के पास उन के बयानों पर भरोसा करने के सिवा कोई चारा ही नहीं है।
आखिर जो भी होगा, होगा तो भारतीय नागरिकता क़ानून के अंतर्गत। इ लिए राजनीतिक दल उन्हें क्यों बरगला रहे हैं कि उन के बाप-दादाओं के कागज मांगे जाएंगे?संविधान के अनुच्छेद 5 के अनुसार 26 जनवरी 1947 तक भारत में रह रहे सभी लोगों को भारतीय नागरिक मान लिया गया था, इसलिए उन की नागरिकता पर तो सवाल ही नहीं होता। 1955 में नागरिकता क़ानून बना, जिसमें जन्म अथवा न्यूट्रालाईजेशन के आधार पर भारतीय नागरिकता की बात कही गई थी। इस क़ानून में समय-समय पर छह बार संशोधन हो चुका है। राजीव गांधी ने पहला बड़ा संशोधन यह करवाया था कि पहली जुलाई 1987 के बाद जन्मा वही भारतीय नागरिकता का हकदार होगा जिसके माता पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक होंगे। क्या आप जानते हैं राजीव गांधी ने यह संशोधन क्यों करवाया था? इसलिए क्योंकि 1985 के असम समझौते में यह बात सामने आई थी कि लाखों बांग्लादेशी भारत में रह रहे हैं और यहाँ पैदा होने वाले उनके बच्चे जन्म के आधार पर भारतीय नागरिकता के हकदार हो जाएंगे।
बाद में जब यह बात सामने आई कि घुसपैठिए स्थानीय नागरिकों से शादी करके अपने बच्चों को वैध भारतीय नागरिक बना रहे हैं, तो मनमोहन सरकार ने दिसम्बर 2004 में इस क़ानून को और सख्त बनवाया। जिसके अनुसार 3 दिसम्बर 2004 के बाद भारत में जन्में वही लोग भारत की नागरिकता के हकदार होंगे जिन के माता पिता दोनों भारतीय नागरिक हों। मतलब अगर उस के जन्म के समय उस के माता-पिता में से एक अवैध घुसपैठिया हुआ तो वह जन्म के आधार पर नागरिकता का हकदार नहीं होगा।
इस बीच एक बड़ी घटना 2003 में वाजपेयी सरकार के समय हुई। कांग्रेस के कोटे से गृहमंत्रालय की स्थाई समिति के अध्यक्ष बने प्रणब मुखर्जी ने 12-12-2003 में संसद पटल पर एक रिपोर्ट रखी जिसमें उन्होंने नागरिकता रजिस्टर बनाने की जरूरत बताईद्य प्रणब मुखर्जी की रिपोर्ट के आधार पर 2003 में संसद ने क़ानून में नागरिकता रजिस्टर बनाने का संशोधन बिल पास किया थाद्य संसदीय समिति में कांग्रेस, कम्युनिस्ट और अन्य मौजूदा विपक्षी दलों के भी सदस्य थे और बिल भी सर्वसम्मति से पास हुआ था।
वोटर कार्ड, राशन कार्ड, ड्राईविंग लाईसेंस, पैन, पासपोर्ट या आधार बनाने के लिए एक मूल पहचान पत्र की जरूरत होती है, हम सब को पता है कि भारत में से कोई भी एक कार्ड दलालों के माध्यम से कैसे बन जाता हैंद्य आधार कार्ड भी ऐसे ही बने हैं।आधार कार्ड और बाकी कार्डों में अंतर सिर्फ यह है कि बाकियों में आँखों की पुतलियों और उँगलियों के पोरों के निशान नहीं हैं। इन के माध्यम से बड़े पैमाने पर आर्थिक चोरी रुकी है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण पत्र तो नहीं हो सकता।
नागरिकता का प्रमाण पत्र नागरिकता क़ानून के अनुसार बनेगाद्य 3 सितम्बर 2013 को बाम्बे हाईकोर्ट ने जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और पासपोर्ट को नागरिकता का प्रमाण पत्र मानने से इनकार कर दिया। इसलिए सिर्फ मनमोहन सरकार के बनवाए दिसम्बर 2004 के क़ानून के मुताबिक़ सिर्फ घुसपैठियों को ही नागरिकता का सबूत देने में दिक्कत होगी। भारत के आम हिन्दू, मुस्लिम, सिख, पारसी, ईसाई को तो कोई दिक्कत नहीं होगी। नागरिकता क़ानून 3 (सी)2 सिर्फ उनकी नागरिकता पर रोक लगाएगा जिन के माता पिता में से एक घुसपैठिया है।
(साई फीचर्स)

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.