बचत पर आफत

 

 

मुंबई के पीएमसी (पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव) बैंक में जारी संकट ने सोमवार को बैंक के एक ग्राहक संजय गुलाटी की मौत से और भी दुखद मोड़ ले लिया। बैंक के अन्य ग्राहकों के साथ संजय सोमवार को ही विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक वहां से लौटने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल पहुंचाए जाने से पहले ही उनका निधन हो गया। जेट एयरवेज में अपनी नौकरी खोने के बाद से वह अपने 80 वर्षीय पिता और एक ऑटिस्टिक बच्चे समेत अपने परिवार की गाड़ी इस बैंक में जमा 90 लाख रुपयों के बूते ही खींच रहे थे। पैसे न निकाल पाने से घर चलाना उनके लिए बहुत मुश्किल हो गया था।

बताने की जरूरत नहीं कि इस बैंक के जमाकर्ताओं का हाल बहुत बुरा है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने जीवन भर की कमाई पीएमसी बैंक में ही जमा कर रखी है और इसी जमा-पूंजी से उनका जीवन चल रहा है। बैंक डूबने की आशंका से उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। आश्चर्य है कि पीएमसी में पिछले दस सालों से घपला जारी था, फिर भी किसी को इसकी भनक नहीं लगी। याद रहे, इस घोटाले की जानकारी रिजर्व बैंक को एक विसलब्लो अर के माध्यम से मिली, जिसके बाद 24 सितंबर को उसने बैंक को अपने नियंत्रण में ले लिया और नकद निकासी की सीमा तय कर दी। घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद पता चला कि बैंक ने अपने बांटे हुए कुल 8800 करोड़ के कर्ज में से 73 फीसदी यानी 6500 करोड़ का लोन सिर्फ एक कंपनी हाउसिंग डिवेलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) को दिया हुआ था जो अब दिवालिया हो गई है। जांच अधिकारियों का कहना है कि जॉय थॉमस की अगुआई में बैंक मैनेजमेंट ने एचडीआईएल को फंड दिलाने के लिए हजारों फर्जी अकाउंट खोल रखे थे। घपला सामने आने के बाद आरबीआई ने बैंक के हर खाते से निकासी की ऊपरी सीमा शुरू में 1,000 रुपये तय की थी, जिसे बढ़ाकर 10,000 रुपये फिर 25 और अब 40 हजार रुपये कर दिया गया है।

सचाई यह है कि हमारे देश में कई बैंक अभी खतरे में दिख रहे हैं और सहकारी बैंकों की स्थिति खास तौर पर संदिग्ध है। पिछले कुछ समय में देश की कई बड़ी कंपनियों ने बैंकों को अरबों का चूना लगाया है। सहकारी बैंकों का हाल इतना बुरा इसलिए भी है क्योंकि उनके संचालन में राजनीतिक हस्तक्षेप बहुत ज्यादा है। उनकी देखरेख की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक की है। अगर उनमें अनियमितता हो रही है तो इससे पता चलता है कि उनका निगरानी तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा। मामले का दूसरा पक्ष यह है कि खुद रिजर्व बैंक भी कई दबावों से जूझ रहा है। केंद्र सरकार को समझना होगा कि अगर बैंकों से जनता का भरोसा टूटा तो यह अर्थव्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक होगा। पीएमएसी के संकट पर पूरे देश की नजर है। जनता के पैसों की हिफाजत हर कीमत पर होनी चाहिए।

(साई फीचर्स)

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