इस दौर की सनसनी

 

(प्रणव प्रियदर्शी)

जिस दौर से हम गुजर रहे होते हैं, वह कितना खास है इसका अहसास होने में वक्त लगता है। आपात काल में मैं इतना छोटा था कि पक्ष-विपक्ष समझने की लियाकत नहीं थी, फिर भी माहौल की सनसनी हम तक पहुंचती थी और आसपास के बड़े लोगों की प्रतिक्रियाओं से हम (मैं और मेरे हमउम्र दोस्त) भांप लेते कि छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ, मतलब कोई बुरी बात हुई है। जेपी गिरफ्तार हो गए, मतलब कोई बहुत बुरी बात हो गई है। मन में दर्ज वह सनसनी आज भी उस खास दौर में हमारे होने के अहसास को जीवित रखे हुए है, और कहीं न कहीं यह संतोष देती है कि उस कठिन दौर में अपनी अनुभूतियों के साथ हम सही के पक्ष में खड़े थे।

आज न तो वैसा आपात काल है, न वैसी तानाशाही। न जेपी (जय प्रकाश नारायण) जैसे नेता हैं और न वैसा सरकार विरोधी छात्र आंदोलन। लेकिन माहौल में उद्वेलन आज भी है। सरकार के फैसलों से जनता के एक बड़े हिस्से में असंतोष की भावना आज भी है। उस असंतोष को नकारते हुए सत्ता के पक्ष में जनभावनाओं की लहर दिखाने का प्रयास आज भी है। जेपी जैसे नेता चाहे न हों, लेकिन लगभग राष्ट्रव्यापी स्वरूप का आंदोलन आज भी है। हो सकता है, जैसा कि सरकार कह रही है, उसके इरादों को समझने में लोगों ने गलती की हो, लेकिन लोग वास्तव में क्या चाहते हैं, इसे लेकर कोई भ्रम नहीं है। वे चाहते हैं कि इस देश में लोगों को बांटने वाली राजनीति न की जाए, संविधान का धर्मनिरपेक्ष चरित्र बना रहे और इस लोकतांत्रिक देश के संप्रभुता संपन्न नागरिक की उनकी हैसियत अक्षुण्ण रहे।

तो आज देश में जगह-जगह उग आए शाहीनबागों के पक्ष या विरोध में बोलते हुए हमें कुछ अधिक गहरे सवालों पर भी गौर करना चाहिए। मसलन यह कि इससे पहले अपने देश में ऐसा कब हुआ था कि अपना हक और अपनी सुरक्षा जैसे मसलों को लेकर नहीं, संविधान और धर्मनिरपेक्षता जैसे मूल्य बचाने के लिए स्वतःस्फूर्त ढंग से लोग सड़कों पर आए हों और पहचान में आ सकने वाला कोई नेतृत्व न होने के बावजूद इतने अनुशासित ढंग से इतने लंबे समय तक आंदोलन चलता रहा हो? यह दौर कितना खास है, यह साफ होने में वक्त लगेगा, पर कोई आम दौर तो यह नहीं है। उस रात सोया तो बेटी अपने कमरे में बैठी पेंटिंग बना रही थी। सुबह जागा तो बेटी सो रही थी, लेकिन उसके स्टडी टेबल पर एक पेंटिंग पड़ी थी जिसके केंद्र में बड़े अक्षरों में लिखा था- आजादी। राहत मिली कि इस दौर की सनसनी भी नई पीढ़ी के मन में अपने ढंग से दर्ज हो रही है।

(साई फीचर्स)

 

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