(हरी शंकर व्यास)
कोई पूछे की कांग्रेस की नंबर एक समस्या क्या है? तो पहला जवाब होगा गांधी परिवार। हर कांग्रेसी मन ही मन ऐसा सोचे हुए है। सवाल है कि सोनिया, राहुल, प्रियंका किस कारण से समस्या है? तो पहला जवाब होगा कि परिवार को ले कर आम हिंदूओं में धारणा है कि परिवार मुस्लिम परस्त है, ईसाईपरस्त है। परिवार हिंदू की बात नहीं करता है। हिंदू राजनीति से चिढ़ है। मंदिर, पूजा-पाठ मात्र दिखावा है। मुस्लिम वोटो की परिवार चिंता करता मिलेगा पर हिंदू वोटो की नहीं। मतलब धारणा के नाते हिंदूओं के दिल-दिमाग से गांधी परिवार उतरा हुआ है।
तभी 2016 में यूपी चुनाव के पहले से अपना लगातार लिखना है कि गांधी परिवार अपने आपको बतौर हिंदू रिइनवेंट करे। भारत राष्ट्र-राज्य के दीर्घकालीन हित की नंबर एक जरूरत है जो दो दलीय ऐसी राजनीति बने जिसमें भाजपा यदि सावरकर के हिंदुत्व की राजनीति करे तो कांग्रेस गांधी के रामराज्यवादी सर्वधर्म समभाव की और लौटते हुए सेकुलर, तुष्टीकरण वाली बदनामी को खाते से मिटवाए।
और यह सिर्फ मंदिर दर्शन या आस्था दर्शाने से संभव नहीं है। उस नाते शिवसेना के साथ सरकार बनाने का फैसला मील का पत्थर है पर इसका अखिल भारतीय मैसेज बनाने में सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका गुरूवार को फिर चूके। पता नहीं तीनों के कौन सलाहकार हैं, और सेकुलर जमात की कैसे इतनी मति भ्रष्ट है जिन्होने उलटे मैसेज बनवाया कि उद्धव ठाकरे की शपथ में नहीं जा कर गांधी परिवार ने सेकुलरपना दिखलाया या बकौल सुधींद्र कुलकर्णी जैसे सेकुलर बौद्धिकों ने नैरेटिव बनवाया कि यह सेकुलरवाद की जीत है। भारत के लोकतंत्र की यह जीत है जो शिवसेना, उद्धव ठाकरे आज सेकुलर हुए। तीनों पार्टियों के न्यूनतम साझा कार्यक्रम की पहली लाईन में सेकुलर शब्द को शिवसेना ने माना। मतलब शिवसेना सेकुलर हो गई और यह सेकुलर ताकतों की जीत है!
कितना मूर्खतापूर्ण, आत्मघाती तर्क है यह। पहली लाईन में सेकुलर शब्द है तो शिवसेना का हिंदूवाद खत्म हो गया! क्या मोदी-शाह, भाजपा सेकुलर शब्द इस्तेमाल नहीं करते हैं? शिवसेना के भगवा रंग का हिस्सा बनने के बाद सेकुलर और भाजपा की हल्ला बोल फौज दोनों ने शिवसेना के हिंदुत्व से भटकने का जो नैरेटिव बनाया है वह सेकुलरो के लिए ही सर्वाधिक घातक है।अपने को आश्चर्य नहीं होगा यदि मुंबई की सेकुलर बौद्धिक जमात उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे आदि को अपने मीडिया से घेर कर इनके व्यवहार को नमाजी टोपी पहनाने के फायदे समझाने लगे। मतलब अगले चार साल में मुंबई- महाराष्ट्र में हिंदूओं के बीच शिवसेना को सेकुलरवादी बताते हुए लोकसभा चुनाव आते-आते हिंदुओ के बीच भाजपा को अकेले असली-सच्ची हिंदू पार्टी बनवा सकते हैं।
तब कांग्रेस, सेकलुर जमात शिवसेना के हिंदू वोटो को भाजपा को ट्रांसपर करा देंगे। सेकुलर जमात की संगत में शिवसेना को न माया मिलेगी और न राम!कांग्रेस की अलग बहुत बुरी दशा होगी!
गांधी परिवार, उनके सलाहकार, सेकुलर दरअसल प्रदेशों के चुनाव नतीजों और केंद्र सरकार की सत्ता की वोट बुनावट का फर्क बूझ नहीं रहे हैं। सोनिया, राहुल, प्रियंका और पूरे विपक्ष को यह बात समझनी चाहिए कि दिल्ली की सत्ता की चाभी अब सौ टका हिंदू मानस की बदौलत है और उसे नरेंद्र मोदी-अमित शाह मनमाफिक करने के साम-दाम-दंड-भेद के तमाम नुस्खे लिए हुए हैं। लोकसभा चुनाव की सूरत में कांग्रेस, प्रियंका, राहुल यूपी-बिहार याकि उत्तर भारत में चीड़िया नहीं मार सकते यदि उद्धव ठाकरे के साथ राहुल और प्रियंका गांधी ने बनारस में प्रचार नहीं किया। अयोध्या में उद्धव ठाकरे के साथ मंदिर निर्माण में भूमिका निभाने जैसे लटके-झटके नहीं अपनाए।
हां, प्रदेश में कुछ भी हो जाए, झारखंड में भी महाराष्ट्र जैसा नतीजा आए या दिल्ली मंय केजरीवाल जीते लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी-शाह को तब तक कोई खतरा नहीं है जब तक कांग्रेस-विपक्ष सेकुलर, सेकुलर का हल्ला करते रहेंगे। हिंदू मनोविश्व, मनोविज्ञान अब सेकुलर शब्द से चिढ़ता है। और नोट रखंे मोदी-शाह को जिस दिन जरूरत हुई ये सेकुलर शब्द को संविधान से हटाने का वादा करके हिंदुओं को बावला बना देंगे।
मतलब उद्धव ठाकरे को पकड़ कर सोनिया, राहुल, प्रियंका को उनके भगवा रंग वाले मंच से राजनीति करनी चाहिए तभी हिंदू मानस में परिवार की साख-धाक बन सकती है। सोचें यदि गुरूवार को मुंबई के शिवाजी पार्क की ठसाठस हिंदूवादी भीड़ में सोनिया गांधी पूरे परिवार के साथ होती तो क्या पूरे महाराष्ट्र के हिंदू घरों में मैसेज नहीं बनता? तर्क है कि मुस्लिम वोट तब गुस्सा होते? अपना तर्क है कि नहीं होता क्योंकि मुसलमान सियासी तौर पर समझदार है और वह जानता है कि गांधी परिवार उनके लिए सफल विकल्प तभी है जब मोदी-शाह की हिंदू राजनीति की काट में कांग्रेस भी हिंदू वोट वाली पार्टी बने। मुंबई के भिंडी बाजार का मुसलमान उद्धव ठाकरे को भी वोट देगा यदि उसे लगा कि एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना का एलायंस हिंदू वोट लिए हुए है। नहीं तो वह घर बैठा रहेगा या औवेसी को वोट देगा। सचमुच गांधी परिवार और कांग्रेस को शिवसेना को बदलने या उसे सेकुलर बनाने की जरूरत नहीं है बल्कि उसके हिंदू मिजाज को अपनाने की जरूरत है ताकि लोकसभा चुनाव आते-आते विपक्ष कहने की स्थिति में हो कि मोदी-शाह के हिंदू राज में फंला-फंला बरबादी है जबकि उद्धव- शरद पवार-सोनिया गांधी की हिंदूवादी महाराष्ट्र सरकार से लोकतांत्रिक अनुभव है तो विकास भी है। विपक्ष, यूपीए के लिए अब हिंदूवादी चेहरे उद्धव, राज ठाकरे के उपयोग से अखिल भारतीय हिंदू राजनीति का मौका है। तभी महाराष्ट्र के प्रयोग का मतलब होगा अन्यथा हिंदूवादी राजनीति पर मोदी-शाह की एकछत्रता और बढ़ेगी। तब 2024 में शिवसेना सेकुलर की संगत में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाएगी!
(साई फीचर्स)

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.