मध्यप्रदेश के 21 हजार छात्रों का भविष्य खतरे में!

पैरामेडिकल काउंसिल पर हाईकोर्ट में झूठे हलफनामे का आरोप
(ब्यूरो कार्यालय)
जबलपुर (साई)। मध्यप्रदेश में पैरामेडिकल कॉलेजों में हुए दाखिलों को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
यह पूरा मामला काउंसिल के रजिस्ट्रार शैलोज जोशी से जुड़ा है, जिन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दाखिलों को लेकर दो अलग-अलग और विरोधाभासी हलफनामे दिए हैं। कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि पहली नज़र में ही यह साफ है कि दोनों में से कोई एक ही सच है।
हाईकोर्ट में कुछ और, सुप्रीम कोर्ट में कुछ और
याचिकाकर्ता के वकील आलोक वागरेचा ने कोर्ट को बताया कि:
21 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट में काउंसिल ने दावा किया था कि सत्र 2023-24 अभी शुरू नहीं हुआ है और बिना मान्यता के किसी भी कॉलेज को दाखिला देने की अनुमति नहीं है।
इसके ठीक एक हफ्ते बाद, 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में काउंसिल ने कहा कि जनवरी से जुलाई के बीच 21,894 छात्रों ने दाखिला ले लिया है और सत्र 2023-24 पहले से ही चल रहा है।
बिना मान्यता के लिए गए दाखिले
नियमानुसार, किसी भी पैरामेडिकल कॉलेज में दाखिला तभी दिया जा सकता है जब उसे विश्वविद्यालय से मान्यता मिल चुकी हो। याचिकाकर्ता का कहना है कि मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने अभी तक किसी भी कॉलेज को सत्र 2023-24 की मान्यता नहीं दी है। ऐसे में, इन 21,894 छात्रों के दाखिले पूरी तरह से गैर-कानूनी हैं और इनका कोई आधार नहीं है।
पहले भी लग चुके हैं आरोप
यह पहली बार नहीं है जब काउंसिल पर इस तरह के आरोप लगे हैं। अक्टूबर 2022 में भी, नर्मदा पैरामेडिकल कॉलेज से जुड़े एक मामले में, हाईकोर्ट ने बिना संबद्धता के लिए गए दाखिलों को अवैध ठहराया था। तब कोर्ट ने कॉलेज को 25 हजार रुपये प्रति छात्र का मुआवजा देने और काउंसिल पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने उस समय भी कहा था कि काउंसिल की लापरवाही ने छात्रों का भविष्य खतरे में डाला है।
हाईकोर्ट ने दी कड़ी चेतावनी
सुनवाई के दौरान जब काउंसिल ने यह तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे पर वहीं बहस होनी चाहिए, तो हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अगर उसके सामने झूठे तथ्य पेश किए गए हैं, तो वह इसका संज्ञान ले सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि ऐसा होता है, तो संबंधित अधिकारी को जवाब देने का पूरा मौका दिया जाएगा।
फिलहाल, याचिकाकर्ता ने रजिस्ट्रार शैलोज जोशी के खिलाफ झूठी गवाही और आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है। कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त तय की है।

दीपक अग्रवाल

पत्रकारिता के क्षेत्र में लगभग 15 वर्षों से सक्रिय हैं, मूलतः वास्तु इंजीनियर एवं लेण्ड जेनेटिक्स पर अभूतपूर्व कार्यों के लिए पहचाने जाते हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के लिए देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सहयोगी हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.