युद्ध, आतंक और पाकिस्तान का एजेंडा

 

 

(शशांक राय)

अगले लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय हो गया है। आमतौर पर सत्ता पक्ष अपनी उपलब्धियों को एजेंडा बना कर चुनाव लड़ता है और विपक्ष उसकी विफलताओं को मुद्दा बनाता है। जैसे 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार फीलगुड और इंडिया शाइनिंग के मुद्दे पर लड़ी और 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार चुनाव में गई तो भारत उदय उसके प्रचार की थीम थी। पर इस बार का चुनाव जरा अनोखा है। इसमें पहले लग रहा था कि भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार अपनी उपलब्धियों पर चुनाव लड़ेगी। क्योंकि उपलब्धियों के बारे में बड़े भारी भरकम दावे किए जा रहे थे।

भाजपा का दावा था कि सरकार ने 140 से ज्यादा योजनाएं घोषित की हैं और इतना काम कर दिया है, जितना पिछले 70 साल में नहीं हुआ है। इसके बावजूद सरकार उपलब्धियों पर चुनाव मैदान में नहीं जा रही है। उसकी बजाय युद्ध, पाकिस्तान और आतंकवाद को मुद्दा बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा है कि वे आतंकवाद मिटाना चाहते हैं और विपक्ष उनको हटाना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी पार्टियों के बयानों से पाकिस्तान को मदद मिल रही है।

इसके साथ ही उन्होंने एक तरह से युद्धघोष भी कर दिया है। पिछले दिनों उन्होंने पाकिस्तान में हुई वायु सेना की कार्रवाई का हवाला देकर कहा कि पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो गया है और रियल अभी बाकी है। सो, ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री ने खुद युद्ध, आतंकवाद और पाकिस्तान का एजेंडा तय किया है।

इंदिरा गांधी ने 1971 के चुनाव में नारा दिया था कि वे गरीबी हटाना चाहती हैं और विपक्ष उनको हटाना चाहता है। तब गरीबी हटाओ के नारे पर इंदिरा गांधी ने भारी बहुमत हासिल किया था। यह अलग बात है कि उसके करीब 50 साल बाद भी भारत में सरकारें गरीबी हटाने के नाम पर वोट मांगती हैं। बहरहाल, उसी तर्ज पर नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वे आतंकवाद मिटाना चाहते हैं और विपक्ष उनको हटाना चाहता है। हालांकि मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक किया था तब दावा किया गया था कि आतंकवाद की कमर टूट गई है।

इसके दो ही महीने बाद नवंबर में नोटबंदी की गई तब भी उसका सबसे बड़ा फायदा यहीं बताया गया कि आतंकवाद की कमर तोड़ दी गई है। हालांकि इस टूटी कमर से आतंकवादी बार बार हमले करते रहे हैं। पिछले ही महीने पुलवामा में आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के 40 जवान मार डाले। तब फिर आतंकवादियों पर हवाई हमला हुआ है और उनकी कमर तोड़ देने का दावा किया जा रहा है। आधिकारिक रूप से नरेंद्र मोदी की सरकार तीन बार आतंकवादियों की कमर तोड़ चुकी है फिर भी उनको लग रहा है कि विपक्ष आतंकवाद मिटाने के उनके एजेंडे के रास्ते में रोड़े अटका रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने खुद राष्ट्रीय सुरक्षा को मुद्दा बनाया है। वे अपनी हर सभा में इसका जिक्र करते हैं और कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी के आरोप लगाते हैं। उनकी पार्टी के दूसरे नेता भी राष्ट्रीय सुरक्षा, युद्ध, पाकिस्तान और आतंकवाद को ही मुद्दा बना रहे हैं। पूर्वाेत्तर में भाजपा के सबसे बड़े नेता हिमंता बिस्वा सरमा हैं, जिन्होंने कहा है कि अगर केंद्र में फिर से नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं बनी तो आतंकवादी देश की संसद पर हमला कर देंगे।

पार्टी के दूसरे भी कई नेता कह चुके हैं कि देश की सुरक्षा के लिए नरेंद्र मोदी का फिर से जीतना जरूरी है। पहले कहा जा रहा था कि हिंदुओं की सुरक्षा के लिए मोदी का जीतना जरूरी है। अब उसी को राष्ट्र की रक्षा में बदल दिया गया है। मोदी को पहले हिंदुत्व का प्रतीक बनाया गया और अब राष्ट्र का प्रतीक बना दिया गया है। हाल के घटनाक्रम से भाजपा को यह नैरेटिव बनाने में बहुत मदद मिली है।

विकास और मोदी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते करते भाजपा अब आतंकवाद से लड़ने, पाकिस्तान को परास्त करने और देश सुरक्षित रखने की चर्चा करने लगी है। पांच साल तक केंद्र की सरकार ने इस एजेंडे पर संभवतः कुछ नहीं किया है। क्योंकि अगर इन मामलों में ठोस पहल हुई होती तो आज देश सुरक्षित रखने के लिए इतना शोर नहीं मचाना होता है और दूसरे कार्यकाल की मांग नहीं करनी होती।

बहरहाल, भाजपा ने चुनाव से ऐन पहले अपना एजेंडा पहचान लिया है और पूरे देश को उससे प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इसके लिए अगले तीन महीने पूरे देश में देशभक्ति का माहौल बनाए रखना है। पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद से ही भाजपा ने अपने सारे राजनीतिक कार्यक्रम इस हिसाब से डिजाइन किए हैं कि वह लोगों की भावनाओं का अधिकतम लाभ ले सके। वायु सेना की कार्रवाई और विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई को लेकर भाजपा के नेता देश भर में बाइक रैली निकाल रहे हैं। दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी तो सेना की वर्दी पहन कर बाइक जुलूस में शामिल हुए। ऐसे कामों से भाजपा अगले तीन महीने लोगों को उद्वेलित किए रहेगी।

(साई फीचर्स)

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