कुत्ता जब विश्वविद्यालय से रिटायर हुआ..

 

 

(विवेक सक्सेना)

कनाडा के अखबारों में आमतौर पर किसी अपराध या भ्रष्टाचार की जगह दूसरी तरह की खबरों को काफी अहमियत दी जाती है। पिछले दिनों वेंकूवर के तमाम अखबारों ने एक कुत्ते के रिटायरमेंट, जन्मदिन को अपनी मुख्य खबर बनाते हुए उसकी तस्वीर के साथ दो पृष्ठो में उसके बारे में विस्तार के साथ छापा। यह खबर मैक बेथ नामक एक कुत्ते के बारे में थी जोकि उसकी महिला हैंडलर के साथ छपी थी। खबर के मुताबिक यह दुनिया का पहला ऐसा कुत्ता था जोकि सलाहकार के रूप में फ्रेजर यूनिवर्सिटी में पंजीकृत किया गया था।

कुत्तो से मेरा बचपन से बहुत लगाव रहा है। मैं उन्हें इंसान का दूसरा रूप मानता हूं जोकि सिर्फ बोल नहीं पाते पर अपनी हरकतो से एक बच्चे की तरह व्यवहार करते हैं। जब व्यासजी ने मेरी आशा के विपरीत टॉमी को पाला व उसकी सेवा की तो मैं उसे उनकी तरह पूरा शाकाहारी होने के नाते मानता था कि वह तो कुत्तो में ब्राह्मण था। जब मेरे स्टफी की मृत्यु रही तो मैं अपने प्यार को रोक नहीं पाया और मैंने उस पर नया इंडिया में पूरा कॉलम लिख डाला। यह व्यासजी के मन में मेरी व कुत्तों के प्रति अपनी भावनाओं का प्रभाव था कि उन्होंने बिना एक भी शब्द का संपादन किए पूरा कॉलम ज्यों का त्यों छाप दिया। मैंने भी अपने कॉलम में कई बार कुत्तों के बारे में लिखा। हमारे धर्मग्रंथ बताते हैं कि कुत्ता ही पांडवों के बाद ऐसा प्राणी था जोकि सशरीर स्वर्ग गया था।

तो यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रेजर वैली के सलाहकार कुत्ते मैकबेथ को लोग प्यार से मैक कहते थे। उसकी देखभाल करने वाले हैंडलर का नाम डान होल्ट था जोकि पिछले डेढ़ दशक से उसके साथ रहा। मैक को दुनिया का ऐसा पहला पंजीकृत सलाहकार कुत्ता हाने का गौरव हासिल है जोकि विश्व विद्यालय के छात्रों को तनाव मुक्त करने, उन्हें खुश करने उनके जीवन में प्यार लाने व उन्हें आत्म हत्या सरीखे दुखदायी फैसले लेने से बचाता था। अब रिटायर होने के बाद भी वह अपने हैंडलर के साथ ही सोना और समय बिताने के लिए यूनिवर्सिटी आता जाता रहेगा। उसे विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र का दर्जा हासिल होगा।

कुत्ता विशेषज्ञों के मुताबिक उसकी कुत्ता आयु 15 साल की थी। आम तौर पर यह आयु 15 साल के इंसान की आयु के बराबर होती है। वह तनावग्रस्त छात्रों को खासतौर से उनकी परीक्षाओं के दौरान विशेष मदद करता था व उनके मूड की पहचान कर उनसे लिपट-चिपट कर व अपनी हरकतो से उन्हें खुश रखने की कोशिश करता था। इस कुत्ते पर हैंडलर का कहना था कि विश्व विद्यालय के छात्र आम इंसानों की तुलना में कहीं ज्यादा तनाव ग्रस्त होते हैं।

वह इस विश्व विद्यालय में नियमित रूप से आकर छात्रों का मन बदलता व उनका मूड़ ठीक करता। उसने 618 विद्यार्थियों के लिए सलाहकार का काम किया व कई बार दुर्घटनाएं होने पर उसने मलबे में दबे घायल लोगों का पता लगाकर समय पर उन्हें अस्पताल भेज कर उनकी जान बचाने में मदद की। कनाडा ही नहीं पूरी दुनिया में जिन देशों में बच्चे, बुढ़ापे में अपने मां-बाप के साथ रहकर उनकी सेवा नहीं करते हैं वहां इस तरह के कुत्तो की विशेषज्ञता होती हैं। इन्हें थिरेपी डॉग या ईलाज करने वाले कुत्ते कहा जाता है। ये विभिन्न रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के बहुत करीबी साथी साबित होते हैं। जैसे कि वे पूरी तरह से न बोले जाने वाले अपने नागरिको के इशारों को समझ कर घर का दरवाजा खोलने बत्ती व टेलीविजन ऑन-ऑफ करने, बाहर से उनके लिए अखबार लाने व उनका मन बहलाने में उनकी मदद करते हैं।

ऐसे ही सलाहकार या काउंसलर कुत्ते जन्म से ही यह खासियत लिए हुए होते हैं। थिरेपी कुत्तो को बचपन से ही विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया जाता ह। ये कुत्ते न केवल अकेले रहने वाले अपने बुजुर्ग मालिको की देखभाल करते हैं बल्कि अपनी हरकतो व प्यार से उन्हें खुश रखकर उनकी आयु भी बढ़ा देते हैं। वैसे मैक एक गोल्डन रिट्रीवर कुत्ता है। उसकी ट्रेनर महिला होलर के मुताबिक यह उनका अनोखा व प्यारा कुत्ता है जोकि सबको बेहद प्यार करता है। वह लोगों से दोस्ती करने में माहिर है और उनका तनाव दूर करता है। उसके द्वारा दी गई राहत व प्यार गजब का होता है। जब वह 5 मार्च को अपने जन्मदिन वाले दिन रिटायर हुआ तो विश्वविद्यालय में इस अवसर पर एक विशेष पार्टी रखी गई थी जिसमें उसके द्वारा ठीक किए गए पुराने रोगियों व मौजूदा छात्रों ने बड़ी तादाद में हिस्सा लिया।

काउंसलर डॉग के अलावा कनाडा व अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों में घरों में अकेले रहने वाले बूढो, रिटायर्ड घरो, अस्पतालो में रहने वाले इंसानों पर आश्रित बुजुर्गाे जैसे जोकि ऊंचा सुनते या कम देखे हैं कुत्तो को इस तरह की परवरिश दी जाती है जोकि उनकी मदद करने के साथ-साथ उनका मन बहलाकर उन्हें खुश भी रख सकें। कुत्तो को इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षिण किया जाता है। वैसे ऐसा करने का श्रेय अमेरिका की एलेन स्मिथ नामक नर्स को जाता है। जिसने ईलाज के दौरान यह महसूस किया था कि जब कोई कुत्ता अपने मालिको से मिलने आता है तो वे बेहद खुश हो जाते हैं। उसने लोगों की मदद करने व उन्हें खुश करने के लिए कुत्तो को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया व जल्दी ही उसकी यह पहल दुनिया भर में चर्चित हो गई।

अमेरिका व कनाडा से असहाय लोगों की जरूरत के मुताबिक कुत्तो को प्रशिक्षिण करने वाली तमाम संस्थानों जोकि आपके अपने कुत्ते को भी प्रशिक्षित कर सकती है अगर गोल्डन रिट्रीवर व लेब्राहार कुत्ते इसके लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं जोकि अपने मालिक की पहिए वाली कुर्सी के साथ-साथ चलते हैं व उनके छड़ी उठाने या किसी बाहरी व्यक्ति के आने पर उसे काटते या उस पर भौकते नहीं हैं। कानूनन इन कुत्तो का पंजीकरण कराने के बाद उन्हें अपने साथ ले जाने की मालिक को इजाजत होती है। मालिक साथ रहे उसके सलाहकार कुत्ते को बस व दूसरी सार्वजनिक जगहो पर रोके जाने पर मालिकों ने मुकदमें किए व उनकी जीत भी हुई। अपना मानना है कि कुत्ते का व इंसान का जो अटूट रिश्ता है वह किसी और में नहीं हो सकता है।

(साई फीचर्स)