(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 16 जुलाई को एनएएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में 96वें स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस का उद्घाटन करेंगे।
केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री तथा भाकृअनुप सोसायटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री राजीव रंजन सिंह इस अवसर पर उपस्थित होंगे। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी और श्री राम नाथ ठाकुर भी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन और केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल भी शामिल होंगे।
2023-24 के दौरान अनाज, तिलहन, चारा फसलों और गन्ने सहित 56 फसलों की कुल 323 किस्में जारी की गईं। इन किस्मों में विभिन्न जैविक और अजैविक कमी के लिए 27 जैव-फोर्टिफाइड किस्में और 289 जलवायु-अनुकूल किस्में शामिल हैं। प्रजनक बीज के आधार पर, 2023-24 के दौरान लगभग 16.0 मिलियन हैक्टर क्षेत्र गेहूं (13.0 मिलियन हैक्टर), चावल (0.5 मिलियन हैक्टर), मोती बाजरा (1.5 मिलियन हैक्टर), मसूर (0.50 मिलियन हैक्टर) और सरसों (1.0 मिलियन हैक्टर) सहित विभिन्न फसलों की जैव-फोर्टिफाइड किस्मों के अंतर्गत है। जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों की तैनाती से असामान्य वर्षों के दौरान भी उत्पादन में वृद्धि हुई है। किस्म सुधार, भाकृअनुप के प्रमुख अधिदेशों में से एक है तथा बेहतर किस्मों के उन्नत गुणवत्ता वाले बीजों तक किसानों की पहुंच ने लगातार कृषि उपज की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में वृद्धि की है। 2014-15 से 2023-24 के दौरान, कुल 2593 उच्च उपज देने वाली किस्में जारी की गईं, जिनमें 2177 जलवायु अनुकूल (कुल का 83%) जैविक तथा अजैविक तनाव प्रतिरोधक, और 150 जैव-संवर्धित फसल किस्में शामिल है। 56 फसलों की 2200 से अधिक किस्मों पर 1.0 लाख क्विंटल से अधिक प्रजनक बीज का उत्पादन किया जा रहा है। जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों की तैनाती से असामान्य वर्षों के दौरान भी उत्पादन में वृद्धि हुई है।
ऐतिहासिक उपलब्धियों में उच्च उपज वाली सुगंधित बासमती चावल की किस्में शामिल हैं, जो 42,000 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक निर्यात में भी योगदान देती हैं, जिसमें से 90% से अधिक का भाकृअनुप की चार किस्मों अर्थात् पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1401 और पूसा बासमती 1718 द्वारा योगदान किया जाता है।
बागवानी उत्पादन 25 एमटी (1950-51) से 14 गुना बढ़कर 355.3 एमटी (2022-23) हो गया। 2023-24 के दौरान बागवानी फसलों के लिए लगभग 1071 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन किया गया, 48 किस्मों की पहचान की गई तथा 2069 जर्मप्लाज्म प्राप्त किए गए। इसके अलावा, 17.6 लाख गुणवत्ता वाली पौध सामग्री का उत्पादन किया गया।
कृषि उत्पादन एवं संसाधन प्रबंधन के अनुकूलन में किए गए प्रयासों से भारतीय कृषि में स्थिरता और लचीलेपन के युग की शुरुआत होने का वादा किया गया है। 14 राज्यों के लिए जलवायु अनुकूल तकनीकी विकसित की गई। आंध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश के छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए आईएफएस (IFS) मॉडल विकसित किए गए। गेहूं, चावल, गन्ना, फूलगोभी, बैंगन, टमाटर और सरसों के लिए जैविक खेती के पैकेज को मानकीकृत किया गया।
भाकृअनुप द्वारा 23 नए उपकरणों और मशीनरी का विकास कृषि पद्धतियों के मशीनीकरण तथा आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। भाकृअनुप ने आठ प्रक्रिया प्रोटोकॉल विकसित किए हैं।
दूध उत्पादन में 17.0 एमटी (1951) से 230.6 एमटी (2023) तक 13 गुना वृद्धि हासिल की गई। वर्ष के दौरान सात नई पशुधन नस्लों को पंजीकृत किया गया है। भाकृअनुप ने 4 टीके, 7 डायग्नोस्टिक्स और 10 फीड प्रौद्योगिकियां विकसित की है।
नई मछली प्रजातियों के लिए स्थापित प्रजनन प्रोटोकॉल जलीय कृषि और मछली उत्पादन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है। भाकृअनुप का दूरदर्शी दृष्टिकोण मत्स्य पालन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का वादा करता है, जिससे एक टिकाऊ एवं संपन्न उद्योग सुनिश्चित होता है। वर्ष के दौरान, हमने 7 नई मछली प्रजातियों की पहचान की है, 7 प्रजनन तथा बीज उत्पादन तकनीक, 2 वैक्सीन और चिकित्सीय तथा पांच फीड/न्यूट्रास्यूटिकल्स उत्पाद विकसित किए हैं।
भाकृअनुप का सटीक खेती अनुसंधान में प्रवेश एक अग्रणी कदम है जो कृषि में क्रांति लाने के लिए तैयार है। खेती के तरीकों में रोबोटिक्स की सीमाओं को आगे बढ़ाकर, भाकृअनुप न केवल नवाचार को अपना रहा है बल्कि एक ऐसे भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है जहाँ तकनीक टिकाऊ कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
जमीनी स्तर पर भाकृअनुप का समर्पण 47,650 व्यापक ऑन-फार्म परीक्षणों और 2.75 लाख फ्रंटलाइन प्रदर्शनों से स्पष्ट है। ये पहल वैज्ञानिक प्रगति और ऑन-फील्ड अनुप्रयोग के बीच की खाई को पाटती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि देश भर के किसान सहजता से नवीन प्रथाओं को अपनाएंगे।
भाकृअनुप ने यूजी, पीजी और पीएचडी सीटों में 10% की वृद्धि की है। 2023-24 में यूजी, पीजी और पीएचडी में केन्द्रीकृत भाकृअनुप परीक्षा के माध्यम से भारत भर के एयू में 9651 छात्रों को प्रवेश दिया गया। ई-लर्निंग पोर्टल में 256 ई-कोर्स (171 यूजी कोर्स और 85 पीजी कोर्स) थे, जिनमें 50 से अधिक देशों में 290114 डाउनलोड प्रक्रिया के साथ तथा 4215 पंजीकृत उपयोगकर्ता रहे। वर्ष के दौरान बीएससी, एग्रीकल्चर (ऑनर्स), प्राकृतिक खेती पाठ्यक्रम का क्रियान्वयन किया गया।
समारोह के दौरान प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी और उद्योग इंटरफेस मुख्य आकर्षण होंगे। प्रदर्शनी में विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित नवीन तकनीकों को हितधारकों के लाभ के लिए प्रदर्शित किया जाएगा जिससे कृषि उत्पादन, गुणवत्ता और किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा, टिकाऊ और जलवायु-लचीली कृषि, प्रदर्शनी के प्रमुख क्षेत्रों में से एक होगी। चावल, गेहूं, मक्का, दालें, तिलहन, बाजरा (श्री अन्ना) और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को भी प्रदर्शनी में प्रमुखता मिलेगी। मशीनीकरण, सटीक खेती और मूल्यवर्धित उत्पादों पर भी ध्यान दिया जाएगा। कृषि के सफल प्रचार के लिए भाकृअनुप की शिक्षा प्रणाली में मजबूत विस्तार प्रणाली तथा नवाचार को प्रदर्शित किया जाएगा। इनके अलावा, हितधारकों के लाभ के लिए पशु विज्ञान, मुर्गी पालन तथा मत्स्य पालन के लिए हाल ही में विकसित सिद्ध तकनीकों को प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रदर्शनी के दौरान, भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों/ उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिसमें व्यावसायीकरण की संभावना है। इस दौरान उन्नत प्रौद्योगिकियों और उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों पर जोर देने वाली विविधता प्रदर्शनी को भी शामिल की जाएगी। लगभग 400 आम, 80 केले, 50 शीतोष्ण फल तथा 120 लघु फल किस्मों को प्रदर्शित करने वाला एक फल विविधता शो भी प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रदर्शनी के दौरान फसलों में पोषक तत्वों और जल की कमी का पता लगाने के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरण, लोकलाइजर, बहु-परत बुनाई प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित औद्योगिक कट प्रतिरोध दस्ताने, एआई-आईओटी सक्षम जूट फाइबर ग्रेडिंग प्रणाली, बायोथर्मोकोल: फसल अवशेषों से माइसीलियम आधारित पैकेजिंग सामग्री सहित प्रौद्योगिकियों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रदर्शनी के दौरान, भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों/उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिनमें व्यावसायीकरण की संभावना है। उद्योग भागीदारों से बड़ी संख्या में भाग लेने की उम्मीद है, ताकि भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों/उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके, साथ ही भाकृअनुप और उद्योगों के बीच बातचीत के पीपीपी मॉडल की संभावनाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सके। प्रदर्शनी से प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर प्रसार तथा कृषि विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी। भाकृअनुप स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस में 1000 छात्रो ने भी भाग लिया।
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