राजस्थान में गले की फांस बनी गहलोत, पायलट की रार . . .

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सीधे-सीधे सचिन पायलट के भरोसेमंद विधायकों पर बीजेपी से पैसे लेने का आरोप लगा रहे। उधर पायलट गहलोत की निष्ठा पर ही सवाल उठा रहे। अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन का अनशन करने, प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद अब नाउम्मीदपायलट पदयात्रा भी निकालने वाले हैं।

तेवरों से साफ है कि पायलट अब आर-पार के मूड में हैं लेकिन कांग्रेस हाईकमान को कुछ करते नहीं सूझ रहा। राजस्थान के सियासी हालात पर हाईकमान की तरफ से एक टिप्पणी तक नहीं आई। कांग्रेस आलाकमान असमंजस में है लेकिन लंबे वक्त तक चुप्पी साध भी नहीं सकते। वक्त जो नहीं है क्योंकि चुनाव सिर पर है। आशंका गहरा रही है कि कांग्रेस के साथ कहीं राजस्थान में पंजाब की 2021 वाली कहानी न दोहरा जाए।

पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिना किसी उकसावे के सचिन पायलट गुट के विधायकों पर हमला बोला। बिना नाम लिए। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और 2 अन्य बीजेपी नेताओं को इस बात के लिए शुक्रिया कहा कि उन्होंने 2020 में कांग्रेस के बागियों की मदद से उनकी सरकार गिराने की कोशिश का समर्थन नहीं किया। पायलट समर्थक विधायकों की तरफ इशारा करते हुए यहां तक दावा किया कि कांग्रेस के कुछ विधायकों ने उनकी सरकार गिराने के लिए बीजेपी से पैसे लिए। दूसरी तरफ, पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे गहलोत पर पलटवार किया। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा कि लगता है कि गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं, बल्कि वसुंधरा राजे हैं। पूर्व डेप्युटी सीएम ने विधायकों के पैसे लेने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा जो विधायक उनके साथ दिल्ली गए थे, वे सभी ईमानदार हैं और पार्टी के समर्पित नेता हैं।

सचिन पायलट अब आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। पार्टी आलाकमान से चेतावनी के बावजूद 11 अप्रैल को उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ एक दिन का धरना दिया था। अब भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई से 5 दिवसीय पदयात्रा का ऐलान कर चुके हैं। उनकी ये पदयात्रा अजमेर से शुरू होकर जयपुर तक जाएगी। जब पिछले महीने पायलट ने एक दिन के धरने का ऐलान किया था तब कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह प्रभारी ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर वह ऐसा करते हैं तो इसे पार्टी-विरोधी गतिविधिमाना जाएगा। अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी के बावजूद पायलट ने धरना दिया। अब अशोक गहलोत ने पायलट कैंप के खिलाफ तीखा हमला बोला है लेकिन आलाकमान की तरफ से उस पर कोई बयान नहीं आया। ये बात पायलट और उनके समर्थक विधायकों को अखर रही है। यही वजह है कि मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पायलट गहलोत पर हमले को लेकर बहुत निर्मम दिखे और पदयात्रा का भी ऐलान कर दिया।

पायलट के तेवरों से साफ है कि अब उनका सब्र जवाब दे रहा और वह ज्यादा इंतजार के मूड में नहीं हैं। राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की अपनी मांग पर वह हाईकमान से साफ-साफ फैसला चाहते हैं। अगर गहलोत को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया गया, जिसकी संभावना ज्यादा है तो सचिन पायलट की राहें कांग्रेस से अलग भी हो सकती हैं। वह लगातार संकेत देने लगे हैं कि अब वह और ज्यादा इंतजार, और ज्यादा झुकने के मूड में कतई नहीं हैं।

राजस्थान में पार्टी की अंदरूनी खींचतान पर कांग्रेस हाईकमान चुप्पी साधे हुए है। कर्नाटक चुनाव के बीच पार्टी नहीं चाह रही होगी कि राजस्थान में उसके भीतर की गुटबाजी राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बने। आलाकमान असमंजस में है। आज राजस्थान में जिस तरह चुनाव से ठीक पहले गुटबाजी चरम पर पहुंच चुकी है, वैसा ही डेढ़-दो साल पहले पंजाब में भी दिखा था। वहां भी कांग्रेस सत्ता में थी। स्टेट यूनिट में पहले से चली आ रही गुटबाजी चुनाव के मुहाने पर आते-आते विकराल रूप लेती गई। एक तरफ तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह थे तो दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू। आखिरकार हाईकमान ने चुनाव से पहले कैप्टन को सीएम पद छोड़ने को कह दिया। चरणजीत सिंह चन्नी नए मुख्यमंत्री बने। कैप्टन ने अलग पार्टी बना ली। चुनाव हुए तो कांग्रेस की करारी शिकस्त हुई। अब कांग्रेस हाईकमान के सामने दुविधा ये है कि अगर गहलोत तो सीएम पद से हटा दिया गया तो कहीं वह कैप्टन वाला रास्ता न पकड़ लें और राजस्थान में पंजाब वाली कहानी का दोहराव न हो जाए। दूसरी तरफ, अगर पायलट उनके इस्तीफे से कम पर मानने को तैयार नहीं होते हैं तो भी चुनाव से ठीक पहले पार्टी में टूट की आशंका बनी रहेगी।

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