हेट स्पीच: नेताओं की जुबान पर नहीं लग रही लगाम

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

नई दिल्‍ली (साई)। चुनाव के दौरान अपने भाषणों में आपत्तिजनक बयान देने और जाति-धर्म के आधार पर वोट देने की बात करने वाले नेताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नाराजगी जताई थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने एक-एक कर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, बीएसपी प्रमुख मायावती, बीजेपी नेता मेनका गांधी और एसपी नेता आजम खान पर कार्रवाई की।

बड़े नेताओं पर सख्ती के बावजूद नेताओं के बिगड़े बोल थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। आयोग की कार्रवाई के बाद भी बीएसपी उम्मीदवार गड्डू पंडित और कांग्रेस नेता सिद्धु ने विवादास्पद बयान दिया। आखिर नेताओं की बेखौफ बद्जुबानी के पीछे कारण क्या हैं?

चुनाव आयोग की शक्तियां सीमित हैं

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि सीमित शक्तियां होने के कारण हेट स्पीच पर लगाम नहीं लग पा रहा है। आयोग ने कहा कि शिकायत पर आरोपी नेता को नोटिस भेजा जाता है। अगर नेता का जवाब आए तो आयोग की तरफ से उन्हें निर्देश पत्र दिया जाता है। अगर नेता का जवाब संतोषजनक न हो या फिर दोबारा आचार संहिता का उल्लंघन किया गया हो तो आरोपी नेता के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की जा सकती है। आयोग ने स्पष्ट कहा कि किसी नेता को उम्मीदवारी के लिए अयोग्य ठहराने का अधिकार नहीं है।

कानून से भी कुछ खास मदद नहीं मिलती

सेक्शन 153A के तहत कोई शख्स जो धार्मिक आधार पर लोगों की भावनाएं भड़काने का काम करता है या पूर्वाग्रहों के आधार पर सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश करता हो को सजा का प्रावधान है। इसके तहत अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है, लेकिन इसके लिए सरकार की मंजूरी आवश्वयक है। इस वजह से हेट स्पीच के कारण दर्ज होनेवाले शिकायतों में से दोष सिद्ध होने का आंकड़ा काफी कम है। ऐसे हर 30 केस में से किसी एक को ही दोषी करार दिया जाता है।

नफरतवाले भाषण नेताओं के लिए रणनीति

कई बार ऐसा भी होता है कि बेहद विवादित बयान भावनाओं में आकर भर नहीं बोला जाता है। अक्सर रणनीति के तहत ही ऐसे बयान दिए जाते हैं। कई बार लोगों का ध्यान भ्रमित करने या ध्रुवीकरण करने के लिए तो कभी सरकार के खराब प्रदर्शन से ध्यान हटाने के लिए ऐसे विवादित भाषण दिए जाते हैं। बहुत से नेताओं के लिए विकास और स्थायी मुद्दों के स्थान पर चर्चा में रहने के लिए हेट स्पीच का सहारा शॉर्टकट की तरह होता है। कई बार जहरीले भाषण देनेवाले नेता पार्टी के स्टार कैंपेनर से लेकर मंत्री तक बना दिए जाते हैं। नेताओं के लिए नफरती भाषण देने के बाद बयान को गलत ढंग से पेश किया गया और उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था जैसे कामचलाऊ तर्क भी दे दिए जाते हैं।