चुनावी प्रबंधन हो या सरकार पर संकट

 

 

 

 

हर मर्ज की दवा हैं कांग्रेस के संकटमोचक डीके शिवकुमार

(ब्‍यूरो कार्यालय)

बंग्‍लुरू (साई)। कर्नाटक में सियासी नाटकअपने चरम पर है। सत्‍तारूढ़ जेडीएस-कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी के बीच शह और मात का खेल जारी है। कांग्रेस पार्टी ने बागी विधायकों को मनाने के लिए अपना ब्रह्मास्‍त्रचला दिया है।

जी हां, यह ब्रह्मास्‍त्र हैं कर्नाटक सरकार में कद्दावर मंत्री रहे डीके शिवकुमार। राज्‍य में कांग्रेस पार्टी के संकटमोचकडीके शिवकुमार बागी विधायकों से मिलने के लिए मुंबई पहुंच गए हैं, जहां उन्‍हें मुंबई पुलिस होटेल के अंदर नहीं जाने दे रही है।

गत शनिवार को कांग्रेस के 9 विधायकों के इस्‍तीफे के बाद से शिवकुमार इस संकट को सुलझाने में लगे हैं। इसी के तहत वह बुधवार सुबह बागी विधायकों मिलने मुंबई पहुंचे हैं। मुंबई पहुंचने पर डीके शिवकुमार ने बागी विधायकों को अपना मित्र बताया और कहा कि राजनीति में हमारा जन्‍म साथ हुआ है और हम साथ मरेंगे भी। हमारे बीच छोटी सी समस्‍या है, जिसे बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा। हम तत्‍काल तलाक नहीं ले सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि धमकी देने का सवाल नहीं है, हम एक-दूसरे से प्‍यार करते हैं और सम्‍मान करते हैं।

कांग्रेस पार्टी के तारणहार

ऐसा नहीं है कि डीके शिवकुमार पहली बार कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के तारणहार बने हैं। हजारों करोड़ की संपत्ति के मालिक डीके शिवकुमार जहां चुनावी प्रबंधन के चाणक्‍यहैं, वहीं पार्टी को हर संकट से उबारने का भी माद्दा रखते हैं। वे फंड जुटाने के साथ-साथ सभाओं में भीड़ जुटाने का काम करते रहे हैं। पिछले साल नवंबर में राज्‍य में हुए 3 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया था कि डीके शिवकुमार चुनावी प्रबंधन के चाणक्‍यहैं।

शिवकुमार ने विपक्ष का गढ़ समझे जाने वाली बेल्‍लारी लोकसभा सीट और रामनगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई। कर्नाटक सरकार में मंत्री रहे शिवकुमार ने बेल्‍लारी में जीत दिलाई, जो यह दर्शाता है कि वह विपरीत परिस्थितियों को भी कांग्रेस के पक्ष में करने का माद्दा रखते हैं। 14 साल बाद कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर जीत का स्‍वाद चखा था। यही नहीं, कांग्रेस के प्रत्‍याशी ने रेकॉर्ड 2.4 लाख वोटों से जीत दर्ज की। इस जीत ने कांग्रेस की पूर्व अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की 1999 की जीत को भी पीछे छोड़ दिया है। सोनिया गांधी को यहां से 56 हजार वोटों से जीत मिली थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में डीके शिवकुमार मोदी लहरके सामने कुछ नहीं कर पाए।

शिवकुमार की रणनीति और पार्टी में कद

बता दें कि कांग्रेस में शिवकुमार का कद उस समय और बढ़ गया था जब इसी साल मई में गठबंधन सरकार बनाने के समय कांग्रेस-जेडीएस का समझौता बना रहा। उन्‍होंने न केवल गठबंधन बचाया बल्कि बीजेपी से अपने विधायकों को भी बचाया। शिवकुमार के साथ काम करने वाले कांग्रेस के चुनाव प्रचार कमिटी के महासचिव रहे मिलिंद धर्मसेना के मुताबिक, ‘जिस क्षेत्र की जिम्‍मेदारी उन्‍हें (डीके शिवकुमार) मिलती है, उसके लिए वह जमकर होमवर्क करते हैं। शिवकुमार पार्टी की ताकत और कमजोरी को समझते हैं और इसके बाद जिम्‍मेदारी बांटते हैं।

CM बनने की है तमन्ना

शिवकुमार ने कई मौकों पर ऐसे बयान दिए हैं जिससे पार्टी को फजीहत झेलनी पड़ी है लेकिन इसका रिजल्‍ट भी आया है। उन्‍होंने लिंगायत मुद्दे पर माफी मांगी जिसकी कांग्रेस पार्टी के लिंगायत विधायकों ने आलोचना की। हालांकि चुनाव के दौरान इसका फायदा हुआ और बेल्‍लारी में पार्टी को ऐतिहासिक जीत‍ मिली। शिवकुमार के बारे में कहा जाता है कि उनके दुश्‍मन कांग्रेस पार्टी में ज्‍यादा और बाहर कम हैं। शिवकुमार कर्नाटक के सीएम बनना चाहते हैं और उन्‍होंने अपनी यह महत्‍वाकांक्षा कभी छिपाई नहीं है।

कांग्रेस को दिया बेहिसाब धन

आयकर विभाग ने आर्थिक घटनाओं के लिए विशेष कोर्ट में की गई शिकायत में कहा कि शिवकुमार ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी को बेहिसाब धन दिया है। आयकर विभाग ने बताया, ‘1 जनवरी 2017 को वी. मुलुकुंड ने एआईसीसी ऑफिस में खुद 3 करोड़ रुपयों की डिलिवरी की। थी। शिवकुमार और सुनील शर्मा के निर्देश पर इस कैश की डिलिवरी की गई।आईटी ने शिवकुमार और शर्मा के खिलाफ दर्ज शिकायत में नियमित तौर पर हवाला कारोबारियों के जरिए हवाला चैनल के माध्यम से बड़ी संख्या में पैसा लगाने की जानकारी दी।