अर्थव्यवस्था पर मनमोहन सिंह के बयान का निर्मला सीतारमण ने इस तरह दिया जवाब
(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की तरफ से रविवार की सुबह अर्थव्यवस्था को लेकर दिए बयान पर सीधे किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से साफ इनकार कर दिया।
पत्रकारों ने बात करते हुए वित्तमंत्री ने कहा- “क्या मनमोहन सिंह ने कहा कि बदले की राजनीति को छोड़े और अर्थव्यवस्था को मानव-रचित संकट से बाहर निकलने के लिए सही सोच-समझ वाले लोगों से संपर्क करें? क्या उन्होंने ऐसा कहा है? ठीक है, आपको धन्यवाद, मैं उनके इस बयान को लेती हूं। यही मेरा जवाब है।”
निर्मला सीतारमण का यह बयान ऐसे वक्त पर आया जब वे चेन्नई में कर अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद मीडिया को संबोधित कर रही थी।
जब निर्मला सीतारमण से यह पूछा गया कि क्या हम आर्थिक मंदी को देख रहे हैं, क्या सरकार इसे मान रही है? इसके जवाब में निर्मला ने कहा- “मैं इंडस्ट्रीज के साथ बैठक कर रही हूं, उनकी राय ले रही है। उनका सुझाव ले रही हूं कि आखिर वो क्या चाहते हैं और क्या सरकार से उम्मीद कर रहे हैं। मैं उन्हें उसका जवाब दे रही हूं। मैं पहले ही ऐसा दो बार कर चुकी हूं। मैं और ऐसा कई बार करूंगी।”
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत पर आने के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आर्थिक हालात बेहद चिंताजनक हैं और यह नरमी मोदी सरकार के तमाम कुप्रबंधनों का परिणाम है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा कि पहली तिमाही में 5 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर दर्शाती है कि हम लंबे समय तक बने रहने वाली आर्थिक नरमी के दौर में हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ने की क्षमता है।
सिंह ने कहा, ”भारत इसी दिशा में चलना जारी नहीं रख सकता। इसलिए मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह प्रतिशोध की राजनीत को त्याग कर मानव निर्मित संकट से अर्थव्यवस्था को निकालने के लिए सुधी जनों की आवाज सुनें।”
सिंह ने कहा कि यह खासतौर पर परेशान करने वाला है कि विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि 0.6 फीसदी है। पूर्व प्रधानंमत्री ने कहा,”इससे यह स्पष्ट है कि हमारी अर्थव्यवस्था नोटबंदी और जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने की गलती से अब भी उबर नहीं पायी है।” उन्होंने कहा,”निवेशकों का भरोसा डगमगाया हुआ है। ये आर्थिक वसूली के आधार नहीं हैं।