(ब्यूरो कार्यालय)
नागौर (साई)। यूं तो विज्ञान के पास हर मर्ज़ की दवा है, लेकिन कई बार विज्ञान किसी रोग का इलाज करने में घुटने टेक देता है। भारत में लकवा से पीड़ित लोगों की संख्या लाखों-करोड़ों में है। जिनमें से कुछ लोग मेडिकल के ज़रिए ठीक हो जाते हैं तो कुछ लोगों पर मेडिकल का भी कोई असर नहीं पड़ता।
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जाने वाला लकवा पीड़ित एकदम ठीक हो जाता है। मंदिर की चमत्कारी शक्तियों को लेकर कहा जाता है कि यहां आने वाले मरीज बेशक किसी के सहारे से आते हैं, लेकिन वे वापस अपने पैरों पर खड़े होकर ही जाते हैं।
ये चमत्कारी मंदिर राजस्थान में स्थित है। नागौर से करीब 40 किलो मीटर दूर अजमेर-नागौर रोड पर कुचेरा नाम का एक कस्बा है। यहां बूटाटी धाम है, जिसे चतुरदास जी महाराज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। बूटाटी धाम अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए काफी मशहूर है, जहां हर दिन सैकड़ों लोग लकवा का जादूई इलाज कराने आते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां मरीजों के लिए इलाज के लिए किसी भी प्रकार के कोई डॉक्टर, हकीम या वैद्य नहीं हैं। बल्कि लकवा के इलाज के लिए यहां की चमत्कारी शक्तियों का प्रयोग किया जाता है।
लकवा के सफल इलाज के लिए यहां मरीज को लगातार 07 दिन तक मंदिर की परिक्रमा लगानी पड़ती है। परिक्रमा पूरी करने के बाद मरीज को एक हवन में हिस्सा लेना होता है। हवन समाप्त होने के बाद कुंड की भभूती मरीज को लगाई जाती है, जिसके बाद उसके सभी रोग खुद-ब-खुद दूर हो जाते हैं। ये पूरी प्रक्रिया किसी चमत्कार से कम नहीं है। सबसे पहले तो मरीज की बीमारी खत्म होती है और फिर उसके शरीर के बंद पड़े हाथ-पैर अपना-अपना काम करने लग जाते हैं। जो मरीज लकवे की वजह से बोल नहीं पाते, वे बोलने भी लगते हैं।

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