क्या नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन ‘जीजाजी‘ की मिल्कियत हो गई! : वित्त मंत्री

(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। वित्त मंत्रालय के द्वारा घोषित सरकारी परिसंपत्तियों की मौद्रीकरण योजना पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों का स्वयं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जबाव दिया है। मुंबई में सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सीतारमण ने कहा, ‘राहुल गांधी मौद्रीकरण के बारे में जानते भी हैं? उन्हें यह पता है कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में ही इस योजना की शुरुआत हुई थी?’

संप्रग सरकार के दौरान मुंबई-पुणे हाईवे और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की मौद्रीकरण योजना लागू करने की बात सामने रखते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर राहुल को यह योजना पसंद नहीं तो इनके प्रस्तावों के कागज भी फाड़कर फेंक देते। उन्होंने संप्रग कार्यकाल में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के मौद्रीकरण का विरोध क्या इसलिए नहीं किया कि यह जीजाजी के पास है।

सोमवार को वित्त मंत्रालय ने देश में छह लाख करोड़ रुपये मूल्य की सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण की योजना का एलान किया था। राहुल गांधी ने इसे देश में 70 वर्षों के दौरान तैयार की गईं सरकारी धरोहरों को बेचना बताया और कहा कि सरकार अपने पसंदीदा निजी घरानों को देश की संपत्तियां बेच रही है। सीतारमण ने बेहद तल्खी भरे अंदाज में कहा कि उन्हें 70 वर्षों में सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों की तरफ से संपत्ति बनाने पर चिंता जतानी चाहिए। क्या उन्हें पता नहीं कि राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान क्या हुआ था।

उन्होंने यह भी कहा कि मौद्रीकरण का मतलब परिसंपत्तियों की बिक्री नहीं है बल्कि ये सारी संपत्तियां एक निश्चित अवधि के बाद सरकार को लौटा दी जाएंगी। सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर पिछले सात वर्षों में भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है, लेकिन कांग्रेस काल में जमीन और खनिज संपदा की बिक्री में कई बार भ्रष्टाचार हुए।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन को लेकर बुधवार को फिर सरकार पर निशाना साधा। बुधवार को उन्होंने ‘इंडियाआनसेल’ हैशटैग से हिंदी में ट्वीट किया, ‘पहले ईमान बेचा और अब..’ कांग्रेस ने भी इसी हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए सरकार पर अपने उद्योगपति मित्रों के फायदे के लिए देश की संपत्तियों के दोहन का आरोप लगाया।

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