कुलभूषण जाधव केस: ICJ में भारत की बड़ी जीत

 

 

 

 

फांसी की सजा पर रोक, पाकिस्तान को सजा की समीक्षा करने का आदेश

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्‍ली (साई)। कुलभूषण जाधव मामले में भारत को इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में बड़ी कामयाबी मिली है। अपने 42 पेज के फैसले में ICJ ने जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान से सजा की समीक्षा करने को कहा है। इसके साथ-साथ उसे जाधव तक भारत को कंसुलर ऐक्सेस देने का आदेश दिया गया है।

ICJ ने अपने आदेश में कहा कि भारत को कंसुलर ऐक्सेस न देकर पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान से कहा है कि वह जाधव को फांसी की सजा पर पुनर्विचार करे और उसकी समीक्षा करे। जाधव को सजा की समीक्षा तक उन्हें दी गई फांसी की सजा को निलंबित कर दिया गया है। पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को भारत की तरफ से कथित जासूसी करने और आतंकवाद में शामिल होने के लिए दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।

21 फरवरी को ICJ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था

फैसला सुनाते हुए ICJ के प्रमुख अब्दुलकवी अहमद यूसुफ ने पाकिस्तान को कुलभूषण सुधीर जाधव की सजा पर पुनर्विचार और कारगर समीक्षाका आदेश दिया। इससे पहले 21 फरवरी को ICJ ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुरक्षित रखे जाने के करीब 5 महीने बाद जज यूसुफ की अगुआई वाली 15 सदस्यीय बेंच ने अपना फैसला सुनाया।

जाधव की मौत की सजा की समीक्षा करे पाक: ICJ

आईसीजे ने पाकिस्तान से कहा कि वह भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करे और उस पर पुनर्विचार करे। इसका मतलब है कि जाधव की मौत की सजा पर आईसीजे ने मई 2017 जो रोक लगाई थी, वह जारी रहेगी।

पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन का किया उल्लंघन: ICJ

इंटरनैशनल कोर्ट ने कहा कि जाधव को कंसुलर ऐक्सेस मिलनी चाहिए। पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 (1) का उल्लंघन किया है। ICJ ने अपने फैसले में कहा कि पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण जाधव से मिलने नहीं दिया और न ही उनकी तरफ से कोर्ट में पक्ष रखने दिया। ICJ ने पाकिस्तान को आदेश दिया है कि वह जाधव तक भारत को कंसुलर ऐक्सेस दे। इसका मतलब है कि अब भारतीय उच्चायोग जाधव से मुलाकात कर सकेगा और उन्हें वकील और अन्य कानूनी सुविधाएं और सहायता दे पाएगा।

भारत की अपील को स्वीकार न करने की दलील 15-1 से खारिज

पाकिस्तान ने भारत की अपील के खिलाफ जो प्रमुख आपत्तियां उठाई थी, उसमें एक आपत्ति यह थी कि ICJ में भारत का आवेदन स्वीकार करने योग्य ही नहीं है। ICJ ने भारत के पक्ष में 15-1 से फैसला सुनाते हुए पाक की इस आपत्ति को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भारत का आवेदन स्वीकार करने योग्य है। इस पक्ष में ICJ के प्रेजिडेंट यूसुफ, वाइस-प्रेजिडेंट जु और जज टोमका, अब्राहम, बेनौना, कैन्काडो त्रिनिदाद, डोनोघू, गाजा, सेबुटिंडे, भंडारी, रॉबिंसन, क्रॉफोर्ड, गेवोर्जियन, सलाम और इवास्वा ने फैसला सुनाया। इसके खिलाफ एक मात्र जज पाकिस्तान के तसाद्दुक हुसैन जिलानी ने अपनी राय रखी। वह एडहॉक जज हैं।