आप सुन रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में शरद खरे से सोमवार 22 जून का राष्ट्रीय स्तर का आडियो बुलेटिन.
कोरोना का संक्रमण थमने का नाम लेता नहीं दिख रहा है। बीते दिन देश में कोरोना प्रभावितों का आंकड़ा कल चार लाख को पार कर गया। आज वही आंकड़ा सवा चार लाख से भी ऊपर निकल गया है। भारत में कोरोना प्रभावित मरीजों की तादाद अब 04 लाख 27 हजार 46 हो गई है। इसमें से सक्रिय मरीजों की तादाद 01 लाख 75 हजार 349 एवं रिकव्हर्ड मरीजों की तादाद 02 लाख 37 हजार 929 है। इस बीमारी से र्हुइं मृत्यु का आंकड़ा 13 हजार 717 हो गया है। जिन राज्यों में मरीजों की तादाद पांच हजार से अधिक है उनमें महाराष्ट्र में 01 लाख 32 हजार 75 प्रभावितों में से 60 हजार 147 एक्टिव मरीज हैं।
महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा संक्रमण वाले राज्यों में कल तक तमिलनाडु का नाम इस सूची में था लेकिन दिल्ली ने अब महाराष्ट्र के बाद अपना नाम सूची मेें दूसरे नंबर पर शामिल कर लिया है। देश की राजधानी में कोरोना प्रभावितों के कुल 59 हजार 746 मामलों में से 24 हजार 558 एक्टिव मरीज हैं। दिल्ली के बाद तीसरे नंबर पर तमिलनाडु में कुल 59 हजार 377 मामलों में से 25 हजार 866 एक्टिव मरीज हैं। गुजरात में 27 हजार 317 इसमें से 06 हजार 296 एक्टिव मरीज, उत्तर प्रदेश में 17 हजार 731 में से 06 हजार 186 एक्टिव मरीज, राजस्थान में 14 हजार 997 में से 02 हजार 996 एक्टिव मरीज, पश्चिम बंगाल में 13 हजार 945 में से 05 हजार 93 एक्टिव मामले एवं मध्य प्रदेश में 11 हजार 903 मामलों में से 02 हजार 373 एक्टिव मरीज हैं।
हरयाणा में कोरोना मरीजों की संख्या 10 हजार 709 हो गयी है जिनमें से 04 हजार 991 एक्टिव मरीज, कर्नाटक में 09 हजार 399 में से 03 हजार 524 एक्टिव, आंध्र प्रदेश में कुल 09 हजार 372 मामलों में से 04 हजार 826 एक्टिव मरीज, बिहार में 07 हजार 808 संक्रमित मामलों में से 02 हजार 1256 एक्टिव, तेलंगाना में 07 हजार 802 में से 03 हजार 861 एक्टिव, जम्मू काश्मीर में कुल 05 हजार 956 मामलों में से 02 हजार 492 एक्टिव मरीज, आसाम में 05 हजार 586 में से 02 हजार 52 एक्टिव मरीज हैं एवं उड़ीसा में कोरोना प्रभावित कुल 05 हजार 303 मामलों में से 01 हजार 419 एक्टिव मरीज हैं।
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दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है। अब कोविड-19 के 59 हजार से भी अधिक मामलों के साथ दिल्ली अब तमिलनाडु से आगे निकल गई है। साथ वह इस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दूसरे नंबर पर आ गई है। इस बीमारी से दिल्ली में अब तक 2175 मरीजों ने अपनी जान गंवा दी है। अधिकारियों के अनुसार, अगर दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो दिल्ली कोरोना वायरस के मामलों में मुंबई से भी आगे निकल जाएगा। बता दें कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा स्थिति खराब है। राज्य में अब तक कोरोना से 6,170 मौतें हुई हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार गुजरात इस बीमारी से हुई मौतों के संदर्भ में तीसरा सबसे प्रभावित राज्य है। गुजरात में कोरोना वायरस के 1663 मरीजों की मौत हो गई।
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भारत में कोरोना वायरस की हालत पहले की तुलना में पतली होती दिख रही है। दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले, भारत में कोरोना की न सिर्फ रफ्तार धीमी रही है। बल्कि बीमारी से उबरने वालों की संख्या भी ज्योदा है। देश का रिकवरी रेट इस वक्त 55.77 प्रतिशत है जो कि अमेरिका, ब्राजील, रूस जैसे देशों से कहीं बेहतर है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना के 4.25 लाख मामलों में से 2.37 लाख से ज्यािदा रिकवर हो चुके हैं। इसके अलावा, आबादी के लिहाज से भी कोरोना को काबू करने में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ल्ड हेल्थर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है। इसके मुताबिक, भारत अपने उच्च जनसंख्या घनत्व के बावजूद प्रति लाख आबादी पर सबसे कम कोरोना केसेज देशों की सूची में शामिल है। भारत में प्रति एक लाख आबादी पर 30.04 मामले हैं जबकि ग्लोबल एवरेज इसके तीन गुने से भी ज्यादा, 114.67 है।
किसी देश में कोरोना का रिकवरी रेट ठीक हो चुके मरीजों के मुकाबले वहां कुल मरीजों की संख्या का अनुपात है। मान लीजिए किसी देश में 100 मामले सामने आए हैं जिनमें से 40 रिकवर हो चुके हैं तो उस देश का रिकवरी रेट 40 पर्सेंट होगा। रिकवरी रेट से किसी देश में कोरोना के हालात की भयावहता का अंदाजा मिलता है। जैसे- इटली, स्पे न और अमेरिका में एक वक्त रिकवरी रेट बेहद कम था और बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही थी। साथ ही नए मामले भी सामने आते जा रहे थे। भारत में ऐसा नहीं है। यहां अगर नए केसेज सामने आ रहे हैं तो रोज उससे ज्यादा मरीज ठीक हो रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट पुरी ने 23 जून को होने वाली रथयात्रा की सशर्त अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कोरोना वायरस को देखते हुए पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा पर रोक लगाने का आदेश दिया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने उनके फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट में पुरी की भगवान जगन्नाथ रथयात्रा मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि रथयात्रा की इजाजत दी जानी चाहिए और वहां कोरोना के मद्देनजर गाइडलाइंस का पूरा पालन किया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि लोगों की सेफ्टी के साथ कोई समझौता नहीं होगा और हेल्थ का पूरा खयाल रखा जाएगा। पूरे उड़ीसा में नहीं बल्कि पुरी में रथयात्रा की इजाजत दी जाए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम शंकराचार्य से मशविरा की बात कर रहे हैं वह सर्वाेच्च धार्मिक गुरु हैं।
उड़ीसा सरकार के वकील हरीश साल्वे ने इस दौरान कहा कि यात्रा पूरे राज्य में नहीं होगा। वहां कर्फ्यू लगा दिया जाए और सिर्फ सेवादार और पुजारी रथयात्रा में शामिल हों जिनके रिपोर्ट निगेटिव हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सिर्फ पुरी के मामले की बात कर रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि लोगों के हेल्थ के साथ समझौता किए बगैर टैंपल ट्रस्ट के साथ मिलकर कोऑर्डिनेट किया जाएगा और रथयात्रा हो सकती है।
याचिकाकर्ता के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि हम यात्रा में लोगों को सीमित कर सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यात्रा को माइक्रो मैनेज नहीं कर सकती है, ये राज्य सरकार पर छोड़ती है। याचिकाकर्ता उड़ीसा विकास परिषद की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि सिर्फ जिम्मेदार लोगों को रथयात्रा में रखा जाए। सभी को इजाजत दी गई तो ज्यादा भीड़ होगी। तब साल्वे ने कहा कि राज्य सरकार मामले में जिम्मेदारी निभाएगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि रथयात्रा कौन मैनेज करता है। तो बताया गया कि टेंपल मैनेजमेंट ट्रस्ट रथयात्रा को मैनेज करती है।
सोमवार सुबह जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो केंद्र सरकार ने जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच के सामने मामला उठाया और स़ॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि धार्मिक रीतियों को पूरा करने की इजाजत दी जाए। भीड़ नहीं होगी और पूरी सावधानी रखी जाएगी। उड़ीसा सरकार ने भी याचिकाकर्ता की अपील का समर्थन किया। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि 18 जून के आदेश में बदलाव किया जाए।
18 जून के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पूरी की रथयात्रा को कोरोना महामारी के मद्देनजर इजाजत नहीं दी थी और 23 जून से होने वाली रथयात्रा पर रोक लगा दी थी। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मामले में चूंकि चीफ जस्टिस की बेंच ने आदेश पारित किया था इसलिए इस मामले में उनके सामने भेजा जाता है। इसके बाद मामला चीफ जस्टिस के सामने भेजा गया।
पेश है जगन्नातथ यात्रा पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की एक विशेष रिपोर्ट:
भगवान जगन्नाथ यानि श्रीकृष्ण हर साल अपनी मौसी के घर जाते हैं। उनके साथ उनके बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा भी जातीं हैं। इन तीनों की मूर्तियों को पुरी के जगन्नाथ मंदिर से रथ पर सवार किया जाता है और मौसी के घर यानी गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होना या इसका दर्शन करने के अत्यंत पुण्य लाभ होता है।
यह रथयात्रा हर साल आयोजित होती है। ओडिशा का भगवान जगन्नाथ मंदिर इसका प्रमुख केंद्र है। कई और स्थानों पर इस तरह की यात्राओं का आयोजन होता है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यात्रा आरंभ होती है और शुक्ल पक्ष के 11वें दिन भगवान की घर वापसी के साथ इसका समापन किया जाता है। सामान्यतः यह यात्रा जून या जुलाई के महीने में होती है। हालांकि, इसकी तैयारियां कई महीने पहले से आरंभ हो जाती हैं।
पुरी की रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए ना सिर्फ देश के विभिन्न प्रदेशों के लोग जुटते हैं बल्कि दुनियाभर के अलग-अलग देशों के लोग यात्रा में शामिल होने के लिए आते हैं।
रथयात्रा की तैयारी हर साल बसंतपंचमी से ही आरंभ हो जाती है। पूरा रथ नीम की लकड़ियों से तैयार किया जाता है। रथ की लकड़ियां स्वस्थ्य पेड़ों से ली जाती हैं और रथ बनाने में सिर्फ लकड़ियां ही इस्तेमाल की जाती हैं, कहीं कोई धातु नहीं लगाई जाती है। इस पर्व में जो सेवक शामिल होते हैं, उन्हें गरबाड़ू कहा जाता है।
रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा तीनों अलग-अलग रथों पर सवार होते हैं। सबसे आगे बलराम, फिर बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है। जगन्नाथ जी का रथ 16 पहियों से बनता है, जिसमें 332 लकड़ी के टुकड़े इस्तेमाल होते हैं। पीले और लाल रंग का यह रथ 45 फीट ऊंचा होता है। इस रथ पर हनुमानजी और नृसिंह भगवान का प्रतीक अंकित रहता है। बलराम जी के रथ की ऊंचाई 44 फीट होती है और यह नीले रंग का होता है। बहन सुभद्रा का रथ 43 फीट का होता है और इसमें मुख्यतः काले रंग का इस्तेमाल होता है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस रथयात्रा में भगवान के रथ को खींचने वाले को इसी जन्म से मुक्ति मिल जाती है और उसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है। दुनियाभर के लोग इसीलिए रथयात्रा में शामिल होते हैं। इन रथों को रस्सों के जरिए खींचा जाता है। 10वीं शताब्दी में बना जगन्नाथ मंदिर चार धामों में शामिल है।
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समाचारों के बीच में हम आपको यह जानकारी भी दे दें कि मौसम के अपडेट जाने के लिए समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के चेनल पर रोजाना अपलोड होने वाले वीडियो जरूर देखें।
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चीन के 24 प्रांतों में इन दिनों मुसलाधार बारिश हो रही है। इस बीच चीनी जलविज्ञानी वांग वेइलुओ ने थ्री गोर्ज डैम की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए चेतावनी जारी की है कि यह टूट सकता है। दक्षिणी चीन में एक जून से आरंभ हुए आंधी और तूफान ने 7300 से अधिक घरों को उखाड़ फेंका है। सोमवार सुबह तक इससे लगभग 80 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं। इससे करीब 29 लाख डॉलर की नुकसान की संभावना जताई जा रही है।
ताइवान न्यूज के मुताबिक, लगातार हो रही बारिश से दुनिया की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना के संभावित नुकसान से चीन के लोग काफी चिंतित हैं।
वांग वेइलुओ ने बताया कि बांध की डिज़ाइन, निर्माण और गुणवत्ता निरीक्षण सभी एक ही समूह द्वारा किया गया था और यह परियोजना बहुत जल्द ही समाप्त हो गई थी। उन्होंने यहां तक कहा कि चीनी जल संसाधन मंत्री ये जियानचुन ने 10 जून की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया कि देश में कम से कम 148 नदियों के जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर हैं।
रेडियो फ्रांस इंटरनेशनेल को दिए इंटव्यू में चीनी जल विशेषज्ञ ने जलाशय के संभावित खतरे को स्वीकार करने से इनकार करने के लिए चीनी सरकार और राज्य मीडिया की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जिन वैज्ञानिकों ने सच बोला है उनको अपराधी की तरह पेश किया गया।
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भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा 50 से अधिक चाइनीज ऐप्स को लाखों की तादाद में इनका इस्तेमाल कर रहे भारतीय उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और गोपनीयता के लिहाज से खतरनाक बताया गया है। हालांकि इसमें घबराने या निराश होने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि इनके कुछ सुरक्षित विकल्प मौजूद हैं, जिनका उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में किया जा सकता है।
टिकटॉक की जगह पर शेयर चैट का इस्तेमाल किया जा सकता। यह भी एक शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप है। इसके साथ ही आप इसके प्लेटफॉर्म पर अन्य यूजर्स संग बात भी कर सकते हैं। वर्तमान में शेयरचैट में 15 विभिन्न भारतीय भाषाओं में छः करोड़ से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। अगर आपको गेमिंग पसंद है, तो फोर्टनाइट को पबजी मोबाइल का एक ठोस विकल्प माना जा सकता है। बहरहाल पबजी पीसी को एक कोरियाई कंपनी पबजी कॉपोर्रेशन द्वारा विकसित किया गया है, लेकिन इस गेम के मोबाइल वर्जन को चीन में स्थित टेनसेंट द्वारा विकसित किया गया है।
चीनी ऐप शेयरइट ऑफलाइन फाइल साझा करने का एक बेहतर विकल्प रहा है, लेकिन इसके स्थान पर फाइल्स बाय गूगल का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें बिना इंटरनेट के सहारे ही ऐप्स, वीडियोज, इमेज,ऑडियो वगैरह को साझा कर सकते हैं। जियो ब्राउजर मोबाइल इंटरनेट कंपनी जियो द्वारा विकसित एक वेब ब्राउजर है जो इंटरनेट को तेजी से चलाने में मददगार है। चाइना बेस्ड यूसी ब्राउजर की जगह इसे उपयोग में लाया सकता है। ठीक इसी तरह से ब्यूटी प्लस की जगह मेक इन इंडिया, कैमस्कैनर की जगह एडोबी स्कैन को प्रयोग में लाकर अपने कई जरूरी कामों को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
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पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के चलते बीजिंग के साथ भारत के संबंधों में आई, और अधिक तल्खी के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को अपने चीनी और रूसी समकक्षों के साथ रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय डिजिटल सम्मेलन में शामिल होंगे। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद टकराव और बढ़ने की आशंकाओं के बीच माना जाता है कि रूस ने दोनों देशों से संपर्क किया है और सीमा विवाद का समाधान वार्ता के जरिए करने का आग्रह किया है।
घटनाक्रमों की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि भारत पहले इस त्रिपक्षीय आरआईसी बैठक में शामिल होने को लेकर अनिच्छुक था, लेकिन सम्मेलन के मेजबान रूस के आग्रह के बाद वह इसमें शामिल होने पर सहमत हो गया। इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वितीय विश्वयुद्ध में रूसी लोगों की विजय की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मॉस्को में हो रही सैन्य परेड में शामिल होने के लिए सोमवार को रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए।
गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हुए हिंसक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। दोनों देशों के बीच 45 साल के बाद यह सबसे बड़ी झड़प थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 17 जून को चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में कहा था कि यह चीनी सेना की पूर्व नियोजित कार्रवाई थी और इसका द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को पुष्टि की थी कि जयशंकर आरआईसी बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा था कि बैठक में कोविड-19 महामारी तथा वैश्विक सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता संबंधी चुनौतियों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। सूत्रों ने संधि का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी संभावना नहीं है कि बैठक में भारत और चीन के बीच गतिरोध से जुड़ा मुद्दा उठेगा क्योंकि त्रिपक्षीय बैठक में आम तौर पर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा नहीं होती।
आरआईसी विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ने वाले 7200 किलोमीटर लंबे अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के क्रियान्वयन सहित क्षेत्र की महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
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देश के विभिन्न हिस्सों में होटल, कैंटीन, ढाबा, रेस्तरां खुलने से चीनी की मांग में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने लगी है। इसके चलते नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों की आर्थिक सेहत सुधरने की उम्मीद जगी, लेकिन कोरोना ने चालू सीजन में 20 लाख टन चीनी की खपत में चपत लगा दी है, जिसकी कसक उद्योग को बनी हुई है।
कोरोना वायरस के प्रसार पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने जब 25 मार्च से देश में पूर्ण बंदी की घोषणा की थी, उस समय भी देश की तमाम चीनी मिलें चल रही थीं और उत्पादन, आपूर्ति व विपणन कार्य पर कोई रोक नहीं थी, लेकिन होटल, रेस्तरां, कैंटीन, मॉल, सिनेमा हॉल आदि के बंद होने से आइस्क्रीम और सॉफ्ट ड्रिंक की बिक्री में भारी गिरावट आई, जिसका असर चीनी उद्योग पर पड़ा।
उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एन.एफ.सीत्रएस.एफ.) के प्रबंध निदेशक ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू मिलें करीब 20 लाख टन चीनी नहीं बेच पायीं। मतलब कोरोना ने चीनी की 20 लाख टन की खपत में चपत लगा दी। हालांकि उन्होंने कहा कि जून में धीरे-धीरे चीनी की मांग जोर पकड़ रही है, जिससे कीमतों में भी सुधार हुआ है। नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों की वित्तीय सेहत में आने वाले दिनों में थोड़ा सुधार होगा और किसानों के बकाये का भुगतान करने के साथ-साथ मिलों के कर्मचारियों का रूका वेतन देने में सहूलियत मिलेगी।
क्या कोरोना महामारी का प्रकोप छाने के पूर्व चीनी की जो मांग थी, क्या उस स्तर पर जून में बिक्री होने लगी है। इस सवाल पर नाइकनवरे ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते हैं कि प्री.कोविड स्टेज पर जो मांग थी उस स्तर पर अभी मांग है। असल में पाइपलाइन खाली थी इसलिए मांग बढ़ी है, लेकिन मार्च में लॉकडाउन होने से पहले के स्तर पर मांग नहीं निकली है। लॉकडाउन होने के बाद मार्च, अप्रैल और मई के दौरान आइस्क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक, चॉकलेट, कैंटीन, रेस्तरां, शादियां आदि की जो मांग थी वह तकरीबन 20 लाख टन नहीं निकल पाई।
दिल्ली के चीनी से संबंधित एक कारोबारी ने भी बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद चीनी की मांग थोड़ी बढ़ी है, लेकिन अभी मांग पूरी तरह से जोर नहीं पकड़ पाई है। उद्योग संगठन के अनुसार, देश में इस साल चीनी का उत्पादन करीब 272 लाख टन है। देश की राजधानी दिल्ली में चीनी की आपूर्ति उत्तर प्रदेश मिलों से आती है।
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आप सुन रहे थे शरद खरे से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में सोमवार 22 जून का राष्ट्रीय स्तर का आडियो बुलेटिन। मंगलवार 23 जून को एक बार फिर हम आडियो बुलेटिन लेकर हाजिर होंगे, अगर आपको यह आडियो बुलेटिन पसंद आ रहे हों तो आप इन्हें लाईक, शेयर और सब्सक्राईब जरूर करें। फिलहाल अनुमति लेते हैं, नमस्कार।