(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। भारत का चंद्रयान-2 मिशन सोमवार दोपहर को लॉन्च हो गया। मिशन की सफल लॉन्चिंग पर इसरो चीफ के. सिवन भावुक हो उठे और उन्होंने कहा कि इसके लिए बीते 7 दिनों से टीम अपने घर नहीं गई थी।
चंद्रयान 2 मिशन को लेकर सभी के मन में बहुत से सवाल हैं। इनमें से एक सवाल यह भी है कि मिशन में अहम योगदान देने वाले रोवर, जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया है उसका क्या होगा? यह रोवर कितने दिन चांद की सतह पर गुजारेगा और फिर उसका क्या होगा? बता दें कि मिशन में प्रज्ञान ही चांद की सतह पर उतरेगा और हमें नई जानकारियां उपलब्ध कराएगा।
चंद्रयान-2 के कुल तीन मुख्य हिस्से हैं। पहला हिस्सा ऑर्बिटर है। चांद की सतह के नजदीक पहुंचने के बाद चंद्रयान चांद के साउथ पोल की सतह पर उतरेगा। इस प्रक्रिया में 4 दिन लगेंगे। चांद की सतह के नजदीक पहुंचने पर लैंडर (विक्रम) अपनी कक्षा बदलेगा। फिर वह सतह की उस जगह को स्कैन करेगा जहां उसे उतरना है। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और आखिर में चांद की सतह पर उतर जाएगा।
दूसरा लैंडर। लैंडिंग के बाद लैंडर (विक्रम) का दरवाजा खुलेगा और वह रोवर (प्रज्ञान) को रिलीज करेगा। रोवर के निकलने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा। फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा। इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी।
तीसरा हिस्सा है रोवर, जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया है। 27 किलोग्राम का यह रोवर 6 पहिए वाला एक रोबॉट वाहन है। इसका नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब ‘ज्ञान‘ होता है।
14 दिन बाद हो जाएगा बंद
रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक घूम सकता है। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। इसकी कुल लाइफ 1 लूनर डे की है। जिसका मतलब पृथ्वी के लगभग 14 दिन होता है। चंद्रयान पर कुल 13 पेलोड हैं। इसमें से 2 पेलोड रोवर पर भी होंगे। जानिए इनके बारे में-
लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS): जिस जगह रोवर उतरेगा यह वहां मौजूद तत्वों की जानकारी जुटाएगा। इसके लिए यह लेजर पल्स छोड़ेगा। वहां सड़ रहे प्लाजमा को भी यह रेडिऐशन से रीड करेगा। अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS): वहां की सतह किस-किस चीज से बनी है, यह पता लगाएगा।
लॉन्च के कुल 52 दिनों बाद चांद पर होगा रोवर, 14 दिनों तक रहेगा ऐक्टिव
अलग-अलग चरणों के तहत लॉन्च के 52 दिनों बाद (16+5+27+4) चंद्रयान चांद की सतह पर पहुंच जाएगा। चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 14 दिनों तक ऐक्टिव रहेंगे। रोवर इस दौरान 1 सेंटीमीटर/सेकंड की गति से चांद की सतह पर चलेगा और उसके तत्वों की स्टडी करेगा व तस्वीरें भेजेगा। वह वहां 14 दिनों में कुल 500 मीटर कवर करेगा। दूसरी तरफ, ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर उसकी परिक्रमा करता रहेगा। ऑर्बिटर वहां 1 साल तक ऐक्टिव रहेगा।
चांद पर पहले से मौजूद हैं रोवर
प्रज्ञान से पहले भी चांद पर कई रोवर गए हैं। ये रोवर चांद पर भेजे गए अलग-अलग यानों के साथ गए, जिन्हें सोवियत यूनियन, अमेरिका, चीन आदि ने भेजा। प्रज्ञान से पहले चांद पर कुल 5 रोवर जा चुके हैं।