गृह मंत्रालय ने बताया अदालत को
(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार को विदेशी नागरिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना देश से बाहर करने का असीमित अधिकार है, भले ही उस व्यक्ति के पास वैध वीजा हो। गृह मंत्रालय ने चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ के समक्ष यह दलील दी। मंत्रालय ने एक पाकिस्तानी महिला के पति की याचिका के जवाब में यह बात कही।
सरकार ने महिला के खिलाफ प्रतिकूल सुरक्षा रिपोर्टों के मद्देनजर उसे देश छोड़ने के लिए कहा था। महिला के पति के अनुसार उसके पास दीर्घकालिक वीजा है, जो 2020 तक वैध है। केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया के माध्यम से दायर किए गए अपने हलफनामे में मंत्रालय ने कहा कि एक बार जब वह किसी विदेशी को भारत छोड़ने का नोटिस देने का फैसला करता है तो उसे वैध वीजा के बावजूद रहने का अधिकार नहीं है।
मंत्रालय ने कहा कि भारत छोड़ने के नोटिस से खुद ही वीजा अवधि की आगे की वैधता रद्द हो जाती है। केंद्र सरकार की ओर से वैधानिक दायित्व नहीं है कि विदेशी नागरिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए। महिला के पति ने 15 दिनों के भीतर देश छोड़ने के लिए सरकार के सात फरवरी के निर्देश को शुरुआत में एकल न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दी थी। एकल न्यायाधीश ने याचिका खारिज कर दी और महिला को देश छोड़ने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था।
अदालत ने यह भी कहा था कि कानून के तहत उसे यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। महिला के पति ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील की और 12 मार्च को खंडपीठ ने सरकार को महिला के खिलाफ कोई भी कठोर कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया। उसके बाद से, अंतरिम आदेश समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 13 मई तय की गई है। 37 वर्षीय महिला 2005 में पुरुष से शादी करने के बाद भारत आई थी। वह अपने पति और दो बेटों (11 और 5 साल) के साथ दिल्ली में रह रही है।
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