मतदाता कहीं से भी डाल सकेंगे अपना वोट

 

चुनाव आयोग ई-वोटिंग पर कर रहा है विचार

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। यदि आप उस राज्य में रह रहे हैं जहां के आप पंजीकृत मतदाता नहीं है तो आपको मतदान के दिन निराश नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि चुनाव आयोग ऐसे मतदाताओं को ई-वोटिंग के जरिये मताधिकार प्रयोग की सुविधा देने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। आयोग की इस भावी पहल से मतदान प्रतिशत बढ़ाने और चुनाव संपन्न कराने के खर्च में कमी आने के भी आसार हैं।

आयोग इसके लिए ई-वोटिंग के जरिए दूरस्थ मतदान (रिमोट वोटिंग) की सुविधा मुहैया कराने के विकल्पों को विकसित कर रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने हाल ही में इस व्यवस्था के बारे में खुलासा किया था कि आईआईटी चेन्नई के सहयोग से विकसित की जा रही मतदान की इस पद्धति के तहत किसी भी राज्य में पंजीकृत मतदाता किसी अन्य राज्य से मतदान कर सकेगा। 

एक अनुमान के मुताबिक, देश में लगभग 45 करोड़ प्रवासी लोग हैं जो रोजगार आदि के कारण अपने मूल निवास स्थान से अन्यत्र निवास करते हैं। इनमें से कई मतदाता विभिन्न विवशताओं के कारण मतदान वाले दिन अपने उस चुनाव चुनाव क्षेत्र में नहीं पहुंच पाते हैं जहां के वे पंजीकृत मतदाता हैं। 

इस परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि दूरस्थ मतदान का प्रयोग ई-वोटिंग के रूप में सबसे पहले 2010 में गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में किया गया था। इसमें राज्य के प्रत्येक स्थानीय निकाय के एक एक वार्ड में ई-वोटिंग का विकल्प मतदाताओं को दिया गया था। 

गुजरात में हुई थी ई-वोटिंग

इसके बाद 2015 में गुजरात राज्य निर्वाचन आयोग ने अहमदाबाद और सूरत सहित छह स्थानीय निकायों के चुनाव में मतदाताओं को ई-वोटिंग की सुविधा से जोड़ा था। हालांकि व्यापक प्रचार न हो पाने के कारण इस चुनाव में 95.9 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से सिर्फ 809 मतदाताओं ने ही ई-वोटिंग का इस्तेमाल किया था।

देशव्यापी स्तर पर ई-वोटिंग को लागू करने के लिये पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के कार्यकाल में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़कर सीडेक के सहयोग से ई-वोटिंग सॉफ्टवेयर विकसित करने की परियोजना को आगे बढ़ाया था।