16वीं सदी में राजा टोडरमल ने कराई थी आदि गणेश की पुनर्स्थापना यहां ब्रह्मा ने किया था सृष्टि का पहला यज्ञ
(एल.एन. सिंह)
महाकुंभ नगर (साई)। प्रयागराज, भारत के प्राचीनतम तीर्थों में से एक है, जहां कई धार्मिक मान्यताएं और मंदिर जुड़े हुए हैं। इनमें से एक विशेष मंदिर है दारागंज स्थित आदि गणेश मंदिर। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश ने सृष्टि के आरंभ में सबसे पहले इसी स्थान पर मूर्ति रूप धारण किया था। इसलिए इन्हें आदि गणेश कहा जाता है।
मंदिर का इतिहास और महत्व
प्राचीनता: मंदिर के गणेश विग्रह की सटीक प्राचीनता ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 16वीं शताब्दी में अकबर के दरबारी राजा टोडरमल ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
धार्मिक महत्व: मान्यता है कि आदि गणेश के दर्शन करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। विशेषकर माघ मास की चतुर्थी को यहां भक्तों का विशेष जमावड़ा लगता है।
महाकुंभ 2025: आगामी महाकुंभ को देखते हुए मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं
सृष्टि का आरंभ: पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सृष्टि का पहला यज्ञ प्रयागराज में किया था। इसी दौरान, त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने संयुक्त रूप से आदि गणेश का मूर्ति रूप धारण किया था।
दशाश्वमेध घाट: ब्रह्मा जी ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे, इसलिए इस घाट को दशाश्वमेध घाट कहा जाता है।
ऊँकार और गणेश: कुछ मान्यताओं के अनुसार, ऊँकार स्वयं आदि गणेश के रूप में मूर्तिमान हुए थे।
आधुनिक समय में
आज भी, आदि गणेश मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। महाकुंभ 2025 के दौरान यहां लाखों भक्तों के आने की उम्मीद है। मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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