महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान : मौनी अमावस्या का महत्व

(प्रीति भौसले)

महाकुंभ नगर (साई)। महाकुंभ, हिन्दुओं का सबसे बड़ा धार्मिक समागम, एक बार फिर अपने चरम पर है। इस बार का महाकुंभ अपने आप में विशेष है, क्योंकि इस वर्ष कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इनमें से एक है मौनी अमावस्या, जिस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा। आइए जानते हैं इस पवित्र स्नान के बारे में विस्तार से।

मौनी अमावस्या: एक पवित्र अवसर

मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, श्रद्धालु मौन व्रत रखते हैं और आत्म-शुद्धि के लिए ध्यान और योग करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। महाकुंभ में इस दिन होने वाला अमृत स्नान इस महत्व को और अधिक बढ़ा देता है।

अमृत स्नान का महत्व

हिंदू धर्म में, नदियों को देवी माना जाता है। गंगा को तो विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि गंगा के जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ में, गंगा के संगम पर स्नान करने का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा जल अमृत के समान होता है। अमृत स्नान से न केवल आध्यात्मिक शुद्धि होती है बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी सुधरता है।

क्यों है विशेष यह अमृत स्नान?

इस वर्ष मौनी अमावस्या पर कई ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है। चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में होंगे, जबकि गुरु वृषभ राशि में स्थित रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये ग्रहों की स्थिति अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसे में, महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान और भी अधिक फलदायी होगा।

कब होगा अमृत स्नान?

महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम से शुरू होकर 29 जनवरी की शाम तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर, अमृत स्नान का मुहूर्त 29 जनवरी को होगा।

स्नान और दान का शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है। हालांकि, अगर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान संभव न हो, तो सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच किसी भी समय स्नान किया जा सकता है।

महाकुंभ 2025 अमृत स्नान की तिथियां

13 जनवरी (सोमवार)- स्नान, पौष पूर्णिमा

14 जनवरी (मंगलवार)- अमृत स्नान, मकर सक्रांति

29 जनवरी (बुधवार)- अमृत स्नान मौनी अमावस्या

3 फरवरी (सोमवार)- अमृत स्नान, बसंत पंचमी

12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा

26 फरवरी (बुधवार)-  स्नान, महाशिवरात्रि

महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान एक अद्वितीय अवसर है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी इसका बहुत महत्व है। यह एक ऐसा अवसर है जब लोग एक साथ आते हैं, धर्म के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करते हैं और एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भाव साझा करते हैं।

PREETI BHOSLE

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