1400 वर्षों से चीनियों की पहली पसंद रहा है तीर्थराज प्रयागराज

(एल.एन. सिंह)

प्रयागराज (साई)। चीन के प्रसिद्ध यात्री ह्वेनत्सांग ने 1400 साल पहले प्रयागराज की महिमा का वर्णन अपनी पुस्तक में किया था। भारत की समृद्ध संस्कृति और आध्यात्मिकता ने हमेशा से चीनियों को आकर्षित किया है। प्रयागराज, विशेष रूप से, अपनी पवित्रता और प्राचीन इतिहास के कारण चीनियों का पसंदीदा तीर्थ रहा है।

महाकुम्भ नगर प्रयागराज तकरीबन 1400 वर्ष से चीनियों की पहली पसंद है। इसका स्पष्ट उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनत्सांग ने भी अपनी पुस्तक में किया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत से चीन और आसपास के देश खासे आकर्षित होते रहे हैं। इसीलिए प्राचीन काल में चीन ने बारी-बारी अपने पांच यात्रियों को भारत के सांस्कृतिक महत्व की जानकारी लेने के लिए भेजा।

ह्वेनत्सांग ने यहां आकर 16 वर्षों तक भारत के कोने-कोने का अध्ययन किया। 644 ईस्वीं में उसने शक्तिशाली राजा हर्षवर्धन के राज्य को सबसे ज्यादा अन्न वाला बताया। यही नहीं उसने अपनी किताब में लिखा है कि प्रयागराज जलवायु, स्वास्थ्य और सबसे ज्यादा फल वाले वृक्षों का क्षेत्र है। प्रयागराज व आसपास के लोग विनम्र, सुशील और विद्याप्रेमी होते हैं। यहां तमाम पुरातत्व और सर्वेक्षण से भी सिद्ध होता है कि प्रयाग यूं ही तीर्थराज नहीं बना।

प्रयागराज की सांस्कृतिक महत्ता के बारे में ह्वेनत्सांग ने अपनी किताब सी-यू-की में लिखा है कि देश के बड़े-बड़े राजा और महाराजा यहां पर दान का उत्सव मनाने एकत्र हुआ करते थे। इनमें सबसे प्रतापी और शक्तिशाली राजा हर्षवर्धन का शासन काल सबसे प्रमुख रहा। ह्वेनत्सांग की किताब में प्राचीनकाल में प्रयाग के महात्म्य का रोचक वर्णन मिलता है।

ह्वेनत्सांग ने लिखा है कि प्राचीन काल में प्रयागराज में बड़े स्तर पर धार्मिक उत्सव मनाया जाता था, जिसमें 5 लाख से अधिक व्यक्ति एकत्र होते। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में देश के बड़े-बड़े राजा और महाराजा हिस्सा लेते थे। उसने लिखा है कि इस बड़े राज्य का विस्तार 500 ली (05 ली = 01 मील) तक है। प्रयाग दो पवित्र नदियों गंगा और यमुना के बीच 20 ली के घेरे में है। यहां की जलवायु उष्ण है। साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद अनुकूल वातावरण है।

ह्वेनत्सांग ने प्रयागराज की जलवायु, स्वास्थ्यवर्धक वातावरण और धार्मिक महत्व को प्रशंसा के साथ बताया है। उन्होंने लिखा है कि यहां बड़े पैमाने पर धार्मिक उत्सव होते थे जिनमें देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते थे। प्रयागराज में स्थित देव मंदिर और अक्षय वट वृक्ष की महिमा का भी उन्होंने वर्णन किया है।

चीनी यात्री ने लिखा है कि नगर में एक देव मंदिर है (किले के भीतर वर्तमान में पातालपुरी मंदिर) जो अपनी सजावट और विलक्षण चमत्कारों के लिए जग प्रसिद्ध है। लोगों की मान्यता है कि यहां पर एक पैसा चढ़ाने से एक हजार मुद्राएं दान करने के बराबर पुण्य मिलता है। मंदिर के आंगन में विशाल वृक्ष (अक्षय वट) है, जिसकी शाखाएं व पत्तियां बहुत दूर तक फैली रहती हैं। यहां स्नान करने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

प्रयागराज में आने वाले लोग 07 दिनों तक भोजन नहीं करते और एक दिन चावल खाते हैं। दो नदियों के बीच सुंदर और स्वच्छ बालू से ढका मैदान है। यहीं संगम पर देश के सबसे समृद्ध लोग आते हैं और अपना सर्वस्व दान कर चले जाते हैं। प्रयागराज की मेजा तहसील में बेलन व टोंस नदी के जमाव में पुरा पाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नवपाषाण काल का सांस्कृतिक विकास क्रम भी देखने को मिलता है। इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग ने 1962-63 में बेलन, सेवती क्षेत्र में सर्वेक्षण का काम किया था, जिसमें हनुमानगंज, लोन घाटी, मझगवां जैसे पुरा स्थान प्रकाश में आए। बेलन घाटी के सर्वेक्षण से प्रारंभिक मानव के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। यहां प्राप्त सांस्कृतिक अवशेषों और मृदभांडों के टुकड़ों से यहां निवास करने वालों की जानकारी मिलती है। यहां मिली वस्तुओं से नवपाषाण संस्कृति के विकसित होने का पुख्ता प्रमाण मिलता है।

चीनी यात्री ह्वेनत्सांग दूसरे ऐसे. चीनी यात्री हैं, जिन्होंने भारत खासकर प्रयागराज के बारे में इतने विस्तार से लिखा है। अनुपम परिहार ने खुद भी अपनी किताब ‘प्रयाग की धार्मिक एवं आध्यात्मिक विरासत’ किताब में सम्राट हर्षवर्धन को प्रजा के विकास के लिए त्रिवेणी संगम पर सबसे बड़ा आयोजन करने वाला प्रतापी राजा बताया है।

वो कहते हैं कि सम्राट हर्षवर्धन की तरह ही मौजूदा दौर में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रयागराज के विकास के नायक हैं। सीएम योगी के नेतृत्व में इस बार महाकुम्भ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए 6 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जा रही है। ये उनकी विकासवादी नीतियों का ही परिणाम है कि दुनिया का सबसे वृहद उत्सव प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा है।

प्रयागराज की ऐतिहासिक महत्ता के बारे में पुरातात्विक खोजें भी साक्ष्य देती हैं। बेलन और सेवती क्षेत्रों में हुए उत्खनन से प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि यहां प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता का विकास हुआ है।

आज भी प्रयागराज अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन यहां नियमित रूप से होते हैं। योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं के प्रयासों से प्रयागराज का विकास और हुआ है, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव का केंद्र बन गया है।”

l.n. singh

एल एन सिंह बीते 30 वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं. वर्तमान में एल.एन. सिंह समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ब्यूरो प्रमुख के तोर पर जुड़े है. सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के साथ विगत 05 वर्षों से जुड़े है. . . समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 में किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.