‘रुद्राक्ष वाले बाबा’ सवा लाख ‘रुद्राक्ष’ की प्रतिज्ञा के साथ पहुंचे महाकुंभ

(एल.एन. सिंह)

महाकुंभ नगर (साई)। प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं, और इस बीच ‘रुद्राक्ष वाले बाबा’ गीतानंद गिरि चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।

रुद्राक्ष तपस्या

गीतानंद गिरि, जिन्होंने पीटीआई से बात करते हुए अपनी 12 वर्षों की तपस्या के बारे में बताया, कहते हैं कि रुद्राक्ष भगवान शिव को प्रिय है। उन्होंने इलाहाबाद अर्ध कुंभ मेले से इसकी शुरुआत की थी और इसका समापन आगामी अर्ध कुंभ मेले में होगा। अभी 6 वर्ष और शेष हैं। जब उन्होंने इसकी शुरुआत की थी तब इसका वजन 11 किलो था, जो अब 45 किलो हो चुका है। उन्होंने 1.25 लाख रुद्राक्ष धारण करने की प्रतिज्ञा ली है, जो 925 मालाओं में आते हैं।

महाकुंभ में आकर्षण

प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियाँ अपने अंतिम चरण में हैं और 13 जनवरी से शुरू होने वाला यह आयोजन इस बार खास आकर्षण का केंद्र बन गया है। इस बार महाकुंभ में संत महात्माओं का आगमन हो चुका है, जिनमें से एक प्रमुख नाम हरियाणा के आवाहन अखाड़े के संत गीतानंद महाराज का है। गीतानंद महाराज अपने शरीर पर ढाई लाख रुद्राक्ष धारण करते हैं और इन रुद्राक्षों से बनी करीब ढाई हजार मालाओं को शिवलिंग की आकृति में अपने सिर पर रखते हैं। उनके सिर पर रखी हुई रुद्राक्षों की मालाओं का वजन लगभग 45 किलो होता है।

“रुद्राक्ष वाले बाबा” के नाम से प्रसिद्धि

गीतानंद महाराज न सिर्फ़ रुद्राक्षों की मालाएँ पहनते हैं, बल्कि अपने पूरे शरीर पर रुद्राक्ष का कवच भी धारण करते हैं। इस अद्भुत रूप के कारण वे “रुद्राक्ष वाले बाबा” के नाम से जाने जाते हैं। जब वे प्रयागराज की सड़कों पर चलते हैं, तो श्रद्धालु उनकी एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ते हैं और उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए उत्सुक रहते हैं।

2019 से शुरू किया हठ योग

आवाहन अखाड़े के नागा संन्यासी गीतानंद महाराज ने बताया कि साल 2019 के अर्धकुम्भ में उन्होंने सनातन धर्म और राष्ट्रधर्म की रक्षा के लिए रुद्राक्ष वाला मुकुट पहनकर हठ योग शुरू किया था, जिसे वे अब नियमित धारण करते हैं।

पृष्ठभूमि

गीतानंद महाराज हरियाणा के पलवल से संबंधित हैं और उनका आश्रम हरियाणा और पंजाब में स्थित है। वे सन्यासियों के आवाहन अखाड़े से जुड़े हुए हैं। छह साल पहले, 2019 में, वे संगम की रेती पर लगे कुंभ मेले में आए थे और यहाँ उन्होंने बारह सालों के लिए सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था। उनका यह संकल्प विश्व कल्याण और सनातन धर्म की मज़बूती के लिए था।

रुद्राक्ष की भेंट

शुरुआत में बाबा गीतानंद ने सवा लाख रुद्राक्ष धारण किए थे, लेकिन समय के साथ उनके पास रुद्राक्ष की संख्या बढ़ती गई क्योंकि लोग उन्हें रुद्राक्ष की मालाएँ भेंट करते हैं। इन सभी मालाओं को वे शिवलिंग की आकृति में संजोकर अपने सिर पर रखते हैं। उनका यह संकल्प 2031 में प्रयागराज कुंभ में पूरा होगा।

मुख्यमंत्री योगी से प्रभाव

रुद्राक्ष बाबा महाकुंभ में गंगा की रेती पर घंटों साधना करते हैं, जहाँ वे धूनी रमाकर आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। वे मानते हैं कि संत का अपना कोई व्यक्तिगत परिवार नहीं होता, बल्कि वह समूचे मानवता को अपना परिवार मानते हैं और उसके कल्याण की कामना करते हैं। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी अत्यधिक प्रभावित हैं और उनका कहना है कि योगी ने न केवल उत्तर प्रदेश को शानदार तरीके से चलाया है, बल्कि वे सनातन धर्म को भी मजबूती से बढ़ावा दे रहे हैं।

संक्षेप में

गीतानंद गिरि ‘रुद्राक्ष वाले बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।

वे 1.25 लाख रुद्राक्ष धारण करने की प्रतिज्ञा लिए हुए हैं।

वे 2019 से हठ योग कर रहे हैं।

उनका संकल्प 2031 में प्रयागराज कुंभ में पूरा होगा।

वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावित हैं।

SHARAD KHARE

लगभग 18 वर्षों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। दैनिक हिन्द गजट के संपादक हैं, एवं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के लिए लेखन का कार्य करते हैं . . . समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 में किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.