सावन का तीसरा सोमवार, जानिए शुभ महूर्त, देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न मंत्र

सावन का महीना सनातन धर्म में सबसे पवित्र महीना है। यह महीना देवाधिदेव महादेव संपूर्ण ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव को बहुत प्रिय है। साथ ही शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। यही कारण है कि सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन का महत्व काफी बढ़ जाता है।
श्रावण मास भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह माना जाता है। इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव जरूर लिखिए।
सावन सोमवार व्रत शिव भक्तों के मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है। सावन सोमवार के दिन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं। इस दिन शिव जी को जल अर्पित करना शुभ फलदायी होता है। सावन सोमवार के दिन जलाभिषेक, रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है। सावन के तीसरे सोमवार व्रत के दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि होगी।
इस वर्ष सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हुई थी, जिसका समापन 19 अगस्त 2024 को होगा। सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों सोमवार के दिन ही होगी। ऐसे में इस बार सावन में कुल 5 सोमवार व्रत रखे जाएंगे। अब तक दो सावन सोमवार व्रत पूर्ण हो चुके हैं और 5 अगस्त को सावन का तीसरा सोमवार व्रत रखा जाएगा।
जानकार विद्वानों के अनुसार भगवान शिवजी की कृपा पाने के लिए सावन महीने के हर सोमवार के दिन आप व्रत-पूजन कर सकते हैं। आइये जानते हैं सावन का तीसरे सोमवार को किए जाने वाले व्रत की पूजा विधि, भोग, मंत्र और व्रत कथा के बारे में
सबसे पहले आपको बताते हैं कि सावन के तीसरे सोमवार के महूर्त के संबंध में
सावन महीने का तीसरा सोमवार व्रत पांच जुलाई 2024 को रखा जाएगा। यह सावन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। प्रतिपदा तिथि शाम छः बजकर 3 मिनिट तक रहेगी फिर द्वितीया तिथि लग जाएगी। इस दिन व्यतीपात और वरीयान योग भी रहेगा। साथ ही आश्लेषा और मघा नक्षत्र भी रहेगा।
तीसरा सावन सोमवार पर व्यतीपात योग सुबह 10 बजकर 38 मिनिट तक है, उसके बाद से वरीयान प्रारंभ हो जाएगा। जो एक शुभ योग माना जाता है। उस दिन अश्लेषा नक्षत्र सुबह से लेकर दोपहर 3 बजकर 21 मिनिट तक है, फिर मघा नक्षत्र होगा। ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 4 बजकर बीस से प्रातः 5 बजकर 3 मिनिट तक है, वहीं अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 मिलिट तक है।
तीसरे सावन सोमवार के अवसर पर अमृत अर्थात सर्वाेत्तम मुहूर्त सुबह 5 बजकर 45 मिनिट से सुबह 7 बजकर 25 मिनिट तक है। उस दिन शुभ अर्थात उत्तम मुहूर्त सुबह 9 बजकर 6 मिनिट से सुबह 10 बजकर 46 मिनिट तक है। चर जिसे समाप्य महूर्त माना जा सकता है वह अपरान्ह 2 बजकर 7 मिनिट से दोपहर 3 बजकर 48 मिनिट तक, लाभ जिसे उन्नति मुहूर्त माना जा सकता है वह दोपहर 3 बजकर 48 मिनिट से शाम 5 बजकर 28 मिनिट तक और अमृत जिसे सर्वाेत्तम मुहूर्त माना जा सकता है वह शाम 5 बजकर 28 मिनिट से शाम 7 बजकर 9 मिनिट तक है।
आईए अब जानते हैं पूजन विधि के बारे में
सावन महीने के तीसरे सोमवार के दिन सुबह ब्रम्ह महूर्त में जल्दी उठकर स्नान करें और धुले साफ सुथरे वस्त्रों को धारण करें। इसके उपरांत भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। आप शिव मंदिर जाकर या घर पर भी सावन सोमवार की पूजा कर सकते हैं। पूजा के लिए आप सबसे पहले शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं, फूल, फल और मिष्ठान का भोग लगाकर धूप-दीप जलाएं और फिर शिव मंत्रों का जाप करें।
आप पूजन में भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बिल्व जिसे बेलपत्र और भांग जरूर अर्पित करें। सावन सोमवार की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में भगवान शिव की आरती करें। सावन सोमवार पर पूरे दिन व्रत रखें या फलाहार रहें।
अब आपको बताते हैं कि भगवान शिव को किन चीजों का भोग लगाया जाना चाहिए
सावन सोमवार की पूजा में भगवान शिव को आप हलवा, दही, भांग, पंचामृत, शहद, दूध, खीर, मालपुआ और ठंडाई आदि का भोग लगा सकते हैं। ये सभी भगवान शिव के प्रिय भोग हैं। भोग लगाते समय त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर। इस मंत्र का जाप करते रहें।
इसके अलावा आप
नमः शिवाय
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
नमो भगवते रूद्राय।
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात का जाप करते रहें।
आईए जानते हैं तीसरे सावन सोमवार पर जलाभिषेक का समय
जो भक्त गण तीसरे सावन सोमवार पर भगवान शिव जी का जलाभिषेक करना चाहते हैं, वे लोग ब्रह्म मुहूर्त से ये कार्य कर सकते हैं। वैसे शिव पूजा के लिए कोई विशेष मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। आप किसी भी समय जलाभिषेक कर सकते हैं। भगवान शिव समय और काल से परे हैं। रुद्राभिषेक के लिए सावन सोमवार अच्छा दिन है।
तीसरे सावन सोमवार पर कालसर्प दोष पूजा का समय क्या होगा . . .
तीसरे सावन सोमवार के दिन राहुकाल सुबह में 7 बजकर 25 मिनिट से सुबह 9 बजकर 6 मिनिट तक है। राहुकाल में कालसर्प दोष की पूजा की जा सकती है।
इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)