(ब्यूरो कार्यालय)
जबलपुर (साई)। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि 24 घंटे के अंदर रेप की वारदात की शिकार नाबालिग की जांच तीन गायनोकोलॉजिस्ट, एक मनोचिकित्सक से कराई जाए।
18 अक्टूबर को रिपोर्ट पेश कर बताया जाए कि उसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के तहत गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है अथवा नहीं। जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगल बेंच ने यह निर्देश दिए।
यह है मामला
टीकमगढ़ जिले की निवाड़ी तहसील अंतर्गत निवासी महिला ने यह याचिका दायर कर कहा कि उसकी 11 वर्षीय अबोध पुत्री उसके देवर की हवस की शिकार हो गई। इसके चलते वह गर्भवती हो गई। वह चाचा के घर रहकर पढ़ रही थी। जब तक इसकी जानकारी हुई, देर हो चुकी थी। अधिवक्ता कबीर पॉल ने कोर्ट को बताया कि टीकमगढ़ एवं सत्र न्यायालय में याचिकाकर्ता ने गर्भपात की अनुमति देने के लिए आवेदन दिया। लेकिन खारिज कर दिया गया। इस पर हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। उन्होंने तर्क दिया कि पीडि़ता बलात्कारी के बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती। उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए।
एक्सपर्ट की टीम से जांच का सुझाव
15 अक्टूबर को कोर्ट ने कमेटी गठित कर पीडि़ता की जांच के निर्देश दिए थे। गुरुवार को शासकीय अधिवक्ता अभय पांडे ने कोर्ट को बताया कि जांच गायनोकोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट व आरएमओ से कराई गई। लेकिन उन्होंने महिला रोग विशेषज्ञों की टीम से जांच कराने का सुझाव दिया। याचिकाकर्ता की ओर से मनोचिकित्सक से भी जांच कराने का आग्रह किया गया।

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