75 साल पहले इस शर्त पर की थी शादी कि घूंघट नहीं रखेगी पत्नी

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। शादी के पहले ही मैंने तय कर रखा था कि मैं पत्नी को लंबा घूंघट रखने नहीं दूंगा। घरवालों से यह शर्त रखी तभी शादी के लिए तैयार हुआ। शादी के पहले ही दिन हमने आपस में बात कर तय किया कि सिर पर पल्ला रखना अलग बात है, लेकिन लंबा घूंघट रखकर जिंदगी खुलकर न जीने की त्रासदी कतई नहीं झेलेंगे।

एक-दूसरे के माता-पिता व स्वजन का सम्मान उसी तरह करेंगे जैसे हम अपने अभिभावकों का करते हैं। यह कहना है ओल्ड पलासिया निवासी 99 वर्षीय एडवोकेट माणकचंद्र मारू और पत्नी 93 वर्षीय मदन कुमारी का। 7 जून को वैवाहिक जीवन के 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे दंपती का कहना है कि अक्सर हम कुछ चीजों को पुरातनपंथी कह कर दरकिनार कर देते हैं, लेकिन जिंदगी के मूल सिद्धांत तो अब भी वही हैं।

सच्चा सुख निरोगी काया’… आप खुद ही सोचिए कि अगर पत्नी और पति दोनों स्वस्थ नहीं रहेंगे तो दांपत्य जीवन की गाड़ी सही कैसे चलेगी? इसलिए दोनों खुद से पहले दूसरे की सेहत का खयाल रखें। इस उम्र में भी हम दोनों योग करते हैं। पैदल चलते हैं। रात 9 बजे तक सो जाते हैं और सुबह 5 बजे उठ जाते हैं। स्नान-ध्यान और पूजापाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं। मारू कहते हैं हम दोनों एक ही गांव के हैं।

बावजूद इसके शादी के पहले हम मिले नहीं थे। इसलिए हमारा अनुभव ये है कि शादी के बाद पनपा प्यार लंबे समय तक बरकरार रहता है। हमने कभी वेलेंटाइनडे नहीं मनाया क्योंकि हमें पता है कि प्यार के एहसास को किसी खास दिन की हद में कैद करना संभव ही नहीं है। मारू बताते हैं 97 साल तक चाय का स्वाद तक पता नहीं था। अब थोड़ी-बहुत पी लेता हूं।

वर खुद लाया वधू की साड़ी

मदन कुमारी बताती हैं कि उस दौर में शादियां लहंगा-लुगड़ा में की जाती थी। मगर इन्होंने कहा कि मेरी दुल्हन तो साड़ी में आएगी। मेरे पिताजी ने कहा कि ठीक है, तुम खुद अपनी पसंद की साड़ी ले आओ। ये राजी हो गए और शायद पहली बार ऐसा हुआ कि शादी के पहले ही वर अपनी वधू के लिए साड़ी खुद खरीदकर लाया।

विश्व विवाह दिवस पर प्रस्तुत है सफल लंबा दांपत्य जीवन बिताने वाले पति-पत्नी की कहानी

जब हमारा विवाह हुआ था तब मेरी पत्नी हीरामणी की उम्र महज 14 साल थी। हमारे विवाह से पहले ही मेरी माता का निधन हो चुका था और मुझसे छोटे 5 भाई-बहन थे। ऐसे में पत्नी ने पूरे परिवार का अपने बच्चों की तरह ही ध्यान रखा। यह कहना है धनपाल टोंग्या का। 6 फरवरी 1964 को विवाह हुआ था और आज तक हम दोनों ने इस बात का ध्यान रखा कि एक-दूसरे की गलती होने पर भी किसी को कुछ कहना नहीं है। हमने एक-दूसरे को तोहफे नहीं दिए फिर भी रिश्ते में मिठास बन रही। पत्नी हीरामणी टोंग्या बताती हैं कि शादी के वक्त मेरी उम्र कम थी और पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने में कभी कुछ गलती हो भी जाती थी तो पति नाराज नहीं होते थ

एक गुस्सा करता था तो दूसरा बदल देता था बात

इंदौर (हर्षल सिंह राठौड़)। हम दोनों में से यदि किसी एक को गुस्सा आता था तो दूसरा चुप हो जाता था और मुद्दा बदलकर बात करने लगता था। इस बात का ध्यान रखते थे कि अगले कई दिनों तक संबंधित विषय पर चर्चा ही नहीं हो ताकि विवाद बढ़े नहीं। यह कहना है दिलीप सिंह शक्तावत और धिरेंद्रकुंवर का। 27 जनवरी को इन्होंने अपनी शादी के 70 वर्ष पूरे किए हैं।