(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। अधिक बारिश के चलते भोपाल में 95 हजार 208 हेक्टेयर में लगी फसल खराब हुई है। सबसे ज्यादा नुकसान बैरसिया में हुआ है। यहां 311 गांव के 42 हजार 869 किसानों की 56 हजार 211 हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हुई है।
इन्हें 47 करोड़ रुपए मुआवजा देने के लिए प्रस्ताव बनाया गया है। यहां 55211 हेक्टेयर में लगी फसल 33 से 55 फीसदी, तो 972 हेक्टेयर की 50 फीसदी से अधिक फसल बर्बाद हुई है। वहीं हुजूर के 201 गांव की 28 हजार 303 किसानों की फसल बर्बाद हुई है। इन्हें 32 करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में दिया जा सकता है।
दरअसल, खरीफ 2019 और रबी फसलों की तैयारियों के संबंध में अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल की अध्यक्षता में शुक्रवार को समन्वय भवन भोपाल में संभाग की समीक्षा की गई। संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने भोपाल संभाग के सभी कलेक्टर्स एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को बैठक में खरीफ 2019 एवं रबी 2019-20 की उपलब्ध कराई।
रबी की फसलों के लिए बढ़ाया जाएगा रकबा
अधिक वर्षा को देखते हुए रबी सीजन में गेहूं तथा अन्य रबी फसलों का रकबा बढ़ाया जाएगा। संभाग में कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए फसलों की विविधता पर ध्यान दिया जाएगा। जैविक खेती तथा उद्यानिकी की फसलों को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह निर्देश शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव एवं उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल ने दिए। उन्होंने कहा कि गत खरीफ फसल के दौरान भोपाल व नर्मदापुरम संभाग के कुल रकबा, उसमें बोई गई फसल, उत्पादन और उत्पादकता आदि की जिलेवार समीक्षा की।
बैठक में किसानों के ऋण वितरण, जय किसान ऋण माफी योजना आदि की भी समीक्षा की। इस दौरान दोनों संभाग के संभागायुक्त भी मौजूद थे। बैठक में संभाग के सभी कलेक्टरों ने अपने जिलों में कम लागत में अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने किए जा रहे नवाचारों की जानकारी दी।
314 किलो प्रति हेक्टेयर बढ़ाएं गेहूं की उत्पादकता
अपर मुख्य सचिव ने भोपाल व नर्मदापुरम संभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वर्तमान में गेहूं की उत्पादकता 3692 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 4004 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर किया जाए। 314 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृद्घि होने से किसानों को ज्यादा आय होगी। इसी तरह चना की उत्पादकता 1783 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 1890 करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को खेती के साथ ही पशुपालन, मछली पालन जैसे अन्य विकल्प की ओर ध्यान आकर्षित किया जाए, ताकि आयु दोगुनी हो सके।

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