60 स्टूडेंट्स का एक गैंग आवारा जानवरों की बुझाता है प्यास

 

 

 

 

(ब्यूबरो कार्यालय) भोपाल (साई)। गर्मी में पानी ही है जो राहत दिलाता है और हिम्मत देता है गर्मी को झेलने की। शहर की बसाहट देखें, तो अब न शहर में हैंडपम्प नजर आते हैं न पानी के ऐसे स्रोत जहां छोटे पशु-पक्षियों को सुकून से पानी मिल सके।

शहर के करीब 60 युवाओं का एक समूह इस बार गर्मियों में उन जानवरों की मदद को निकला है, जो कॉलोनियों या रिहाइशी इलाकों में भटकते हुए अक्सर प्यासे रह जाते हैं। स्कूल और कॉलेज के यह युवा पिछले एक महीने में शहर के अलग-अलग लोकेशंस पर ऐसे टैंक लगा रहे हैं, जिसमें भरा पानी सड़कों पर भटक रहे जानवर पी सकें। यह युवा सुनिश्चित करते हैं कि वे जिस स्थान पर यह टैंक रख रहे हैं, वहां के रहवासी इनमें समय-समय पर पानी जरूर भरते रहें।

शहर के लोग अच्छे हैं, उनके पास समय नहीं है

ईशा बताती हैं- यह टैंक हमें 250 रुपए का पड़ता है। पॉकेटमनी के साथ शुरू हुई पहल के बाद यह हमारे लिए भी आश्चर्यजनक था कि पहला टैंक लगाने के एक सप्ताह के भीतर ही लोगों ने रिस्पॉन्ड करना शुरू कर दिया। इससे समझ में आता है कि शहर के लोग कुछ अच्छा करना तो चाहते हैं, बस उनके पास समय थोड़ा कम है, सभी अपने कामों में इतने व्यस्त हैं कि पहल नहीं कर पाते। शायद उनको हमारी मुहीम में एक उम्मीद नजर आई होगी, तभी तो अभी तक 150 से ज्यादा लोग रिस्पॉन्ड कर चुके हैं।

अब तक 70 से ज्यादा टेंक लगाए

टीम तुलसी नगर, शाहपुरा, चूना भट्‌टी, दानिश नगर, कोलार, बीमा कुंज, त्रिलंगा, नेहरू नगर, नयापुरा, मंदाकिनी कॉलोनी समेत अलग-अलग क्षेत्रों में 70 से अधिक टैंक लगा चुके हैं। व्हाट्सएप ग्रुप पर हर संडे के लिए लोकेशन तय करते हैं। घरों से सुबह सीधे उसी स्पॉट पर पहुंचते हैं और देखते हैं कि किस क्षेत्र में गाय, कुत्ते या बिल्ली ज्यादा हैं। दो साथी टैंक लेकर आते हैं। आस-पास रहने वालों से कहते हैं कि रोजाना सुबह टैंक भर दें।

स्कूल के पुराने दोस्तों ने साथ मिल शुरू की मुहिम

बीई चौथे सेमेस्टर के स्वर्णिम शर्मा ने बताया- स्कूल में साथ पढ़ने वाली ईशा पांडे से साझा किया कि क्यों न जानवरों की प्यास बुझाने के लिए कुछ करें। कुछ और दोस्त मिले, और सभी ने पॉकेटमनी से 1000-1000 जोड़कर चौड़े वॉटर टैंक खरीदे। हम टैंक्स पर निशान के रूप में एक पगमार्क बनाते हैं और हमारा मोबाइल नंबर लिखते हैं, ताकि कोई भी मुहीम से जुड़ सके।