पार्षद चुनाव की खर्च सीमा तय!

चुनाव आयोग ने माना होता है धन बल का दुरुपयोग

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। अभी तक निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा, लोकसभा के चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा किए जाने वाला खर्च तय किया गया था। लेकिन पार्षद पद व निकाय चुनावों में चुनावी खर्च की कोई सीमा नहीं होने से इसका जमकर दुरुपयोग होता था। किंतु अब निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनावों के लिए भी खर्च सीमा तय कर दी है।

इसकी जानकारी हाईकोर्ट में देते हुए राज्य शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इसके बाद ये तय हो गया है कि अब पार्षद चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी एक सीमा तक ही खर्च कर पाएंगे। ज्यादा खर्च करने पर उनके ऊपर निर्वाचन आयोग कार्रवाई कर सकेगा। यह निर्णय जबलपुर के समाजसेवी डॉ. पीजी नाजपांडे द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जबलपुर के समाजसेवी डॉ. पी जी नाजपांडे की याचिका पर हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग पार्षद व निकाय चुनावों में खर्च सीमा पर जल्द फैसला लेने के निर्देश दिए थे। राज्य निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को प्रस्ताव पेश करते हुए पार्षदों की खर्च सीमा तय कर दी है।

5 वर्गों में तय हुई खर्च सीमा : खर्च सीमा पांच वर्गों में तय की गई है। प्रस्तावित व्यय को मध्य प्रदेश राजपत्र में प्रकाशित करने के लिए पत्र भी लिखा गया है।

यह है प्रस्तावित सीमा : बताया जाता है कि  नगर पालिक निगम में 10 लाख से अधिक आबादी वाले पार्षदों के लिए 8.75 लाख रुपए, 10 लाख से कम आबादी वाले पार्षदों के लिए 3.75 लाख रुपए की सीमा निर्धारित की गई है। इसी तरह नगर पालिका परिषद में एक लाख से अधिक आबादी पर खर्च सीमा 2.5 लाख रुपए, 50 हजार से 1 लाख तक 1.5 लाख की खर्च सीमा प्रस्तावित है एवं नगर परिषद में 75 हजार रुपए खर्च प्रस्तावित है।