(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। सिवनी में कलेक्टर संस्कृति जैन और उनकी अधीनस्थ महिला अधिकारी, उद्यानिकी विभाग की सहायक संचालक डॉ. आशा उपवंशी वासेवार के बीच गंभीर विवाद सामने आया है। डॉ. आशा ने कलेक्टर पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसकी शिकायत भोपाल तक भी पहुंच गई है।
यह विवाद 5 जून को तब और गहरा गया जब डॉ. आशा ने कलेक्टर को छुट्टी के लिए आवेदन पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपने ऊपर हो रहे कथित मानसिक उत्पीड़न का विस्तृत उल्लेख किया।
विवाद की जड़: ‘गिफ्ट ए डेस्क‘ अभियान और मानसिक प्रताड़ना के आरोप
माना जा रहा है कि इस विवाद की एक प्रमुख वजह कलेक्टर द्वारा जिले में चलाया जा रहा ‘गिफ्ट ए डेस्क‘ अभियान है। हालांकि, डॉ. आशा उपवंशी के पत्र में इसका सीधा उल्लेख नहीं है, और दोनों अधिकारियों ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।
‘गिफ्ट ए डेस्क‘ अभियान के तहत, सरकारी स्कूलों के लिए जनभागीदारी और सामाजिक सहयोग से फर्नीचर दान में लिया जा रहा है। इसमें जिला अधिकारियों की सहभागिता भी अपेक्षित है। जिन अधिकारियों और दानदाताओं ने इसमें सहयोग किया है, उन्हें कलेक्टर द्वारा प्रशंसा पत्र दिए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, डॉ. आशा उपवंशी वासेवार ने इस अभियान में योगदान नहीं दिया, जिससे कलेक्टर उनसे कथित तौर पर नाराज हैं।
डॉ. आशा उपवंशी ने अपने पत्र में कलेक्टर के साथ अपनी तल्खी को 8-9 महीने पुराना बताया है। उन्होंने लिखा है कि कलेक्टर द्वारा उन्हें लगातार मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है। इसमें बिना कारण टारगेट करना, मिलने का समय न देना और जिले के अन्य अधिकारियों के सामने अपमानित करना शामिल है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और वे डिप्रेशन में हैं।
उद्यानिकी विभाग के काम में बाधा और गलत आदेश का दबाव
डॉ. आशा उपवंशी ने यह भी आरोप लगाया है कि कलेक्टर द्वारा उद्यानिकी विभाग की फाइलों पर काम नहीं किया जा रहा है और वे एक आईएएस अधिकारी होने का गलत फायदा उठा रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कलेक्टर उनके खिलाफ जनप्रतिनिधियों को भड़का रही हैं और उन पर गलत आदेश बनाने का दबाव डाल रही हैं। उनके अनुसार, कलेक्टर के इस मानसिक दुर्व्यवहार के कारण उनका विभागीय कार्य और पारिवारिक जीवन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
‘गिफ्ट ए डेस्क‘ अभियान पर भी सवाल
कलेक्टर संस्कृति जैन का ‘गिफ्ट ए डेस्क‘ अभियान जिले में काफी सक्रिय है। इस अभियान में कोई भी व्यक्ति या संस्था स्कूलों के लिए डेस्क दान कर सकती है। अभियान का लक्ष्य प्रत्येक स्कूल में 20 डेस्क उपलब्ध कराना है, और अब तक 3,000 से अधिक डेस्क पहुंच चुकी हैं। इसमें जनभागीदारी, समाज, विभिन्न संगठन और सीएसआर फंड का सहयोग लिया जा रहा है। अधिकारियों से भी इसमें सहयोग की अपेक्षा की जा रही है, और आरोप है कि अधिकारी ठेकेदारों से भी योगदान दिलवा रहे हैं। कुछ हलकों से यह भी आरोप लग रहे हैं कि इस ‘समाज सेवा‘ में अधिकारी दबाव में काम कर रहे हैं।

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