देवी भागवत पुराण में हैं 18000 श्लोक: शास्त्री

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

ग्‍वालियर (साई)। श्रीमद् देवीभागवत पुराण में 12 स्कंध, 18000 श्लोक एवं 318 अध्याय है। देवीभागवत पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर माता की सम्पूर्ण महिमा का वर्णन किया गया है। देवी भागवत पुराण के अध्ययन और उसके श्रवण मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं । साथ ही भक्त पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह बात जिंसी नाला नम्बर 1 स्थित शिवमंदिर में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा में कथाव्यास अविनाश शास्त्री ने कही।

कथाव्यास ने कहाकि श्रीमद् देवी भागवत की महिमा बताते हुए कहाकि श्रीव्यास जी ने मनुष्य जीवन को सर्वश्रेष्ठ बताया है। क्योंकि मानव जीवन ही एकमात्र ऐसा जीवन है जो कि अपने कर्मो के अनुसार फल प्राप्त कर सकता है। मनुष्य जीवन में अगर भागवत प्राप्त कर सकें तो हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि मनुष्य का जीवन भी 84 लाख योनियों के बाद प्राप्त होता है। अगर मनुष्य जीवन रहते हुए हम भागवत को प्राप्त नहीं कर पाए तो हमारा जीवन व्यर्थ हो जाता है। इसमें हमसे बड़ा अभागा कोई नहीं हो सकता है। क्योंकि हमें इसके लिए फिर से 84 लाख योनियों को भुगत कर मनुष्य जन्म प्राप्त होता है। जो मनुष्य श्रीमद् देवी भागवत पुराण की शरण लेता है उसका लोक और परलोक दोनों ही सुधर जाते हैं। श्रीमद् भगवत का श्रवण करने वालों में जगदीश अरोरा अध्यक्ष झंग बिरादरी, मंजू अरोरा, दीपा जादौन, मंजू मिढ्डा, अनुज अरोरा, देवेन्द्र अरोरा, कश्मीरी लाल बत्रा, आदि उपस्थित थे।