(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। अनूपपुर जिले के अमरकंटक वन परिक्षेत्र में पांच दशक बाद रुद्राक्ष के पेड़ फिर से देखने को मिलेंगे। राज्य सरकार इस परिक्षेत्र में पांच हेक्टेयर क्षेत्र में रुद्राक्ष और खंडवा जिले के रंभापुर में पांच हेक्टेयर में रोज वुड (शीशम) के पौधे लगाने जा रही है। दोनों प्रजाति संकटापन्न् हैं। केंद्र सरकार ने इनके लिए कैंपा फंड से क्रमश: 11.68 लाख और 17.31 लाख रुपए मंजूर किए हैं।
1950 के दशक तक अमरकंटक में रुद्राक्ष के वृक्ष पाए जाते थे, जो धीरे-धीरे खत्म हो गए। रुद्राक्ष प्रजाति को प्रदेश में वापस स्थापित करने के लिए वन विभाग ने अमरकंटक में पौधारोपण की योजना तैयार की है, जो अगले साल शुरू हो जाएगा। विभाग रुद्राक्ष के पौधों का इंतजाम नेपाल से कर रहा है।
वन अफसरों का कहना है कि रुद्राक्ष के लिए अमरकंटक का वातावरण अनुकूल है, इसलिए वहां इस दुर्लभ पौधे के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। इन पौधों को करीब 12 साल तक संरक्षित किया जाएगा। इसके बाद रुद्राक्ष के फलों को बेचने के लिए बाजार तलाशा जाएगा। ऐसे ही शीशम की प्रजाति भी प्रदेश से खत्म हो रही है। इस प्रजाति को भी बचाने के लिए फिर से पौधे रोपे जाएंगे। यह पौधे वन विभाग की नर्सरियों में तैयार हो रहे हैं।
बड़ा बाजार, माल खराब
प्रदेश में रुद्राक्ष का बड़ा बाजार है। यह औषधीय पौधा है और इसका धार्मिक महत्व भी है। इसलिए मप्र के बाजार में इसकी अच्छी मांग है। यही कारण है कि असली रुद्राक्ष के नाम पर नकली बेचे जा रहे हैं। जनआस्था से जुड़ा होने के कारण वन विभाग को प्रदेश में रुद्राक्ष के लिए बड़ा बाजार मिलने की उम्मीद है। वहीं प्राकृतिक चिकित्सक रुद्राक्ष को ब्लड प्रेशर और हृदयगति को नियंत्रित करने का अच्छा साधन मानते हैं।
बाघों के बाद वनस्पति के पुनर्स्थापन के प्रयास
पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के कुनबे को फिर से बसाने के बाद राज्य सरकार दुर्लभ या संकटापन्न् प्रजाति की वनस्पति को प्रदेश में पुनर्स्थापित करने के प्रयास में जुटी है। यह इसी कड़ी में उठाया गया पहला कदम है। वन विभाग नेपाल से अच्छी गुणवत्ता के रुद्राक्ष के पौधे मंगवा रहा है, ताकि गुणवत्ता का फल आए और उसके दाम भी अच्छे मिलें।

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