बारिश में धराशायी हुए आधा दर्जन मकान

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर बेलखेड़ा के दो वार्डों में बारिश के पानी ने जमकर तबाही मचायी। फोरलेन बनने से बाधित हुई जलनिकासी के चलते पूरे क्षेत्र का पानी अचानक जमा हो गया।

सुबह-सुबह दोनों वार्डों का दृश्य सैलाब जैसा हो गया। लोगों के घर व मकान तक आधे से अधिक डूब गए। जलभराव के चलते नौ कच्चे मकान भरभरा कर गिर गए। वहीं जिसके मकान बचे हुए हैं, उनके यहां भी पानी भर जाने से गृहस्थी बर्बाद हो गयी। पीडि़त परिवारों में कुछ ने छत पर तो कुछ हाइवे पर शरण लेने को मजबूर हैं।

फोरलेन से सटे हैं सारे मकान

जानकारी के अनुसार बेलखेड़ा और आसपास क्षेत्रों में शुक्रवार रात से ही बारिश हो रही है। सुबह हुई तेज बारिश के चलते पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया। कस्बे का वार्ड नम्बर 1516 भोपाल फोरलेन से सटे हुए हैं। यहां जलनिकासी के लिए एक छोटी पुलिया का निर्माण किया गया है। वो भी अवरूद्ध हो गया है। जिसके चलते एक तरफ का पानी रुक जाने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।

इन ग्रामीणों का मकान गिरा-

डेलन चौधरी, बल्लू चौधरी, प्रेम चौधरी, छुट्टन चौधरी, छिदामी बसोर, जदगीश चौधरी, दीपक साहू, राजाराम झारिया व संतोष बेन का मकान गिर गया। संतोष बेन के घर का फ्रिज तक पानी में दूर तक बह गया। लोगों ने कमर से ऊपर हो जमा हो गए पानी में घुसकर बची हुई गृहस्थी समेटी और फोरलेन पर पहुंच गए। बाढ़ जैसे हालात में फंसने से बच्चे स्कूल तक नहीं जा सके। दोनों वार्डों के यहां 20 से 20 परिवार यहां बसे हैं।

मुआवजा न मिलने से फंसे हैं ग्रामीण

बाढ़ जैसे हालात में फंसने को मजबूर ग्रामीणों ने बताया कि आधे लोगों को एमपीआरडीसी की ओर से मुआवजा मिल चुका है। जबकि आधे लोगों की फाइलें संतोष शर्मा नाम के कर्मी के पास धूल फांक रही हैं। मुआवजा न मिलने की वजह से वे दूसरी जगह भी नहीं शिफ्ट हो पा रहे हैं। यहां हर बारिश में इस तरह के हालात से दो-चार होना पड़ता है। बारिश का पानी इतनी तेजी से घरों में घुसा कि गृहस्थी का सामान तक नहीं निकाल सके। गनीमत रहा कि ये जलभराव सुबह हुआ। अब भी कई कच्चे मकान गिरने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।

ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

सुबह से बाढ़ जैसे हालत का सामना करने को मजबूर ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया। कहा कि सुबह से वे परेशान हैं, लेकिन दोपहर तक कोई प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा। कई परिवारों के पास खाने तक की व्यवस्था नहीं रह गयी है। पीडि़त लोगों ने कहा कि बड़े तो सह लेंगे, बच्चों का पेट कैसे भरेंगे।

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