हाईकोर्ट ने पूछा, महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य क्यों नहीं

 

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब के लिए दी मोहलत

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। प्रदेश हाईकोर्ट ने हेलमेट की अनिवार्यता से महिलाओं को छूट दिए जाने के प्रावधान को चुनौती के मसले पर राज्य सरकार को जवाब के लिए मोहलत दी।

चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने मंगलवार को राज्य सरकार के जवाब से असंतुिष्ट जाहिर की। इस पर राज्य की ओर से जवाब देने के लिए मोहलत मांगी गई। कोर्ट ने अगली सुनवाई 10 फरवरी नियत कर दी।

इन्होंने दायर की जनहित याचिका : भोपाल के विधि छात्र हिमांशु दीक्षित ने जनहित याचिका दायर कर मध्यप्रदेश मोटर वीकल एक्ट 1995 में संशोधन की मांग की। कहा गया कि इस एक्ट के आर्टिकल 15 (1) और आर्टिकल 21 के तहत महिलाओं को हेलमेट लगाना अनिवार्य नहीं है। इस छूट के चलते प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान महिलाओं की मौत के आंकड़े कम नहीं हो रहे हैं। उनके लिए भी हेलमेट अनिवार्य होना चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से हेलमेट में छूट का प्रावधान सर्वथा अनुचित है।

याचिकाकर्ता का तर्क : याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सरकार एक तरफ महिला सशक्तिकरण के दावे कर रही है। निःशुल्क ड्राइविंग लाइसेंस बना रही है। लेकिन, हेलमेट अनिवार्य न होने से सभी बातें खोखली साबित हो रही हैं। ऐसे में दिल्ली और चंडीगढ़ में अपनाए जा रहे मॉडल को अपनाना आवश्यक है। कोर्ट को बताया गया 2015 से 2019 तक 2142 सड़क हादसों में तकरीबन 580 महिलाओं की मौत हो चुकी है।

ऐसे में मध्यप्रदेश मोटर वीकल एक्ट 1995 में संशोधन वक्तकी मांग है। 21 अक्टूबर 2019 को हाईकोर्ट ने मामले में प्रमुख सचिव परिवहन और विधि एवं विधायी कार्य विभाग को नोटिस जारी किए थे। मंगलवार को सरकार की ओर से नोटिस का जवाब देने के लिए समय मांगा गया।