रिटायर्ड धनकुबेर पर कसा शिकंजा

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। पीएचई का सेवानिवृत्त एसडीओ सुरेश उपाध्याय धनकुबेर निकला। आर्थिक अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू)की टीम उसका मकान देखकर ही हैरत में पड़ गई। वह किसी महल से कम नहीं था। ईओडब्ल्यू की 65 सदस्यीय टीम ने सुरेश के बिलहरी के अनंततारा बंगला नंबर 42 समेत चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। टीम ने सुरेश और उसके परिजन को सुबह 5 बजे जगाकर कार्रवाई शुरू की।

रिटायर्ड एसडीओ, उसके बेटे और पत्नी के नाम पर 3.50 करोड़ के सिर्फ 27 भूखंड मिले हैं। इसके अलावा कई लग्जरी वाहन, बीमा पॉलिसी, एफडी, शेयर तथा सोने-चांदी के जेवरों का पता चला है। टीम इसकी कीमतों का मूल्यांकन कर रही है। रिटायर्ड एसडीओ की पत्नी अनुराधा भाजपा की पूर्व पार्षद रही हैं। ईओडब्ल्यू अधिकारियों के मुताबिक सुरेश उपाध्याय 36 साल की नौकरी में 53.26 लाख का वेतन अर्जित किया है।

करोड़ों की जमीन की 10-10 लाख में कराई रजिस्ट्री

छापेमारी के दौरान एक और गुमनाम शिकायत ईओडब्ल्यू तक पहुंची थी। अफसरों को जानकारी दी गई कि कजरवारा के आसपास सुरेश उपाध्याय ने 1-1 करोड़ से ज्यादा कीमत की जमीनों की रजिस्ट्री मात्र 10-10 लाख स्र्पए में कराई है। ताकि उसकी काली कमाई उजागर न होने पाए और पंजीयन विभाग में स्टाम्प ड्यूटी की भी बचत हो जाए। कुछ विक्रेताओं को अभी शेष राशि का भुगतान नहीं किया गया है।

पहले भी शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन कार्रवाई नहीं

ईओडब्ल्यू ने सुरेश उपाध्याय के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की पहली शिकायत वर्ष 2010 में दर्ज की थी। उस समय राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई नहीं हो पाई थी। दूसरी बार 2014 और तीसरी बार 2015 में शिकायत रजिस्टर्ड हुई तब भी राजनीतिक रसूख के कारण किसी अधिकारी ने उपाध्याय के खिलाफ छापेमारी की हिम्मत नहीं जुटाई। कुल मिलाकर ईओडब्ल्यू को उपाध्याय तक पहुंचने में साढ़े आठ वर्ष लग गए। इस बीच उसने अपनी कई बेनामी संपत्तियों को खुर्दबुर्द कर दिया।

2014 में सेवानिवृत्त हुए थे उपाध्याय

सुरेश उपाध्याय ने 6 अगस्त 1978 को पीएचई में नौकरी की शुरुआत की थी। 31 अगस्त 2014 को सेवानिवृत्त हुए थे। इस अवधि में उन्हें 53 लाख 26 हजार 438 स्र्पए वेतन प्राप्त हुए।