पति ने कहा लंबी छुट्टी ले लो, बच्चे बोले बदलवा लो वार्ड

 

पर नहीं छोड़ा जिम्मेदारी का दामन

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। पति ने कहा था कि लंबी छुट्टी ले लो, बच्चे आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगने की बात सुनकर ही घबरा गए थे और बोले कि किसी और वार्ड में ड्यूटी लगवा लो। पति और बच्चों की बातों को अनसुना कर स्टाफ नर्स अनुपमा श्रीवास्तव (45) कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी करने पहुंच गईं।

जिम्मेदारी का दामन न छोड़कर कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देने वाली अनुपमा ने कहा कि यदि वे ड्यूटी से पीछे हट जातीं तो किसी न किसी सहकर्मी को यह जिम्मेदारी उठानी पड़ती और वे स्वयं को कभी माफ नहीं कर पातीं। किसी भी स्वास्थ्य कर्मी का पहला धर्म मरीजों की सेवा करना है। इस जिम्मेदारी के निर्वहन में जान भी चली जाए तो परवाह नहीं। विदित हो कि विक्टोरिया अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में अब तक 3 मरीज भर्ती किए जा चुके हैं, जिनमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं पाया गया।

पहली बार आई ऐसी आपदा

अनुपमा श्रीवास्तव ने कहा कि बतौर स्टाफ नर्स 22 साल के सेवाकाल में उन्होंने पहली बार ऐसी आपदा का अहसास किया जिससे दुनियाभर में हाहाकार मचा है। कोरोना वायरस के बारे में उन्होंने पहली बार सुना और उन्हें इसके खतरे का अंदाजा है। उन्होंने कहा कि लोगों से सुना करती थी की दशकों पूर्व ऐसी बीमारियां फैलती थीं जिसमें गांव के गांव साफ हो जाते थे। अब ऐसी चिंता की बात नहीं, क्योंकि चिकित्सा विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है, कोरोना वायरस से निपटने में देश के वैज्ञानिक जरूर कामयाब होंगे।

5-6 घंटे में बदलना पड़ता है मास्क

स्टाफ नर्स अनुपमा ने बताया कि आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी के दौरान सुरक्षा का ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है। इसके लिए वे 5-6 घंटे में मास्क को बदल देती हैं। मरीज के पास जाने से पूर्व पीपीई किट पहनती हैं। प्रत्येक किट में गाउन, गागल (चश्मा), फेस मास्क, शू कवर और सर्जन ग्लब्स रहता है जिसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जा सकता है। स्वयं को सिर से लेकर पैर तक आइसोलेट करने के बाद मरीज तक जाना पड़ता है।

 

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