इंदौर में कम हुआ प्रदूषण, पीथमपुर में भी सुधार

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

इंदौर (साई)। तीन साल से देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब बरकरार रखने वाले इंदौर ने एक और उपलब्धि हासिल की है। दरअसल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कराए जाने वाले कॉम्प्रिहेसिंव इन्वायरमेंटल पॉल्यूशन इंडेक्स (सीईपीआई) में इंदौर की रैटिंग 2009 की तुलना में घट गई है। इस इंडेक्स में नंबर वन पर रहने वाला शहर सबसे अधिक प्रदूषित होता है। वहां नए उद्योगों को अनुमति नहीं दी जा सकती है।

वहीं धार जिले में आने वाले औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर ने आश्चर्यजनक तरीके से सुधार करते हुए सूची में 100वां स्थान पाया है। कुछ साल पहले इंदौर को रेड जोन में मानते हुए यहां नए उद्योगों की स्थापना पर रोक लगा दी गई थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य प्रयोगशाला अधिकारी डॉ. डीके वाघेला के अनुसार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर साल देश के 100 इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर को लेकर व्यापक प्रदूषण सर्वे रिपोर्ट तैयार कराता है।

वर्ष 2009 की रिपोर्ट में इंदौर और पीथमपुर प्रदूषित शहरों की श्रेणी में थे। लेकिन हाल में पेश की गई वर्ष 2018 की रिपोर्ट में इन दोनों शहरों ने सुधार किया है। इंदौर इस सूची में 71वें स्थान पर आ गया है। उसका सीईपीआई स्कोर 58.53 आया है। 2009 में हुए सर्वे में इंदौर को इस सूची में 38वां स्थान मिला था। उसका सीईपीआई स्कोर 71.26 आया था। यहां नए उद्योगों की स्थापना पर रोक लगा दी गई थी। उस समय हवा का इंडेक्स 59, पानी का 57.50 और भूमि का 52 आया था। जबकि पीथमपुर का सीईपीआई स्कोर 65 आया था और उसकी रैकिंग 67वीं थी।

क्या होता है सीईपीआई : जानकारी के मुताबिक, सीईपीआई में किसी भी क्षेत्र में जल,वायु और मिट्टी का सैंपल लिया जाता है। इन तीनों में प्रदूषण की जो मात्रा निकलती है अगर उसका सीईपीआई स्कोर 60 से 70 के बीच आता है तो उसे प्रदूषित माना जाता है। जबकि 70 से अधिक औसत आने पर गंभीर रूप से प्रदूषित औद्योगिक बेल्ट के रूप में माना जाता है।

ऐसे हुआ सुधार

विशेषज्ञों के मुताबिक, इंदौर शहर में सफाई के कारण धूल के कण कम हुए हैं जबकि कचरे के सही निपटान के कारण भूमिगत जल की स्थिति भी सुधरी है। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में सख्ती से दूषित जल निपटान संयंत्र और धुएं के लिए भी प्लांट लगाने के कारण धूल और जल की स्थिति में सुधार आया है।