खरमोर संरक्षण योजना मंजूर, धार-नीमच में बनेगा बाड़ा

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

भोपाल (साई)। धार-नीमच में खरमोर संरक्षण योजना को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इस योजना के लिए कैंपा फंड से 153 लाख रुपए दिए जा रहे हैं।

इससे धार और नीमच जिले की करीब 250 हेक्टेयर वनभूमि में पत्थरों की दीवार बनाकर इन पक्षियों और उनके अंडों का संरक्षण किया जाएगा। इसमें क्षेत्रीय ग्रामीणों की मदद ली जाएगी। इस क्षेत्र में पिछले साल पांच पक्षी देखे गए हैं।

संकटापन्न् प्रजाति में शुमार खरमोर पक्षी के संरक्षण की मुहिम एक बार फिर शुरू हो रही है। धार के सरदारपुर अभयारण्य में खरमोर पक्षी देखे जाने के बाद वन विभाग ने फिर से योजना तैयार की है। इसके लिए कैंपा फंड से राशि मांगी गई थी। कैंपा फंड की राज्य स्तरीय समिति ने योजना को मंजूरी देकर केंद्र सरकार को भेज दिया था। वहां से भी योजना को मंजूरी मिल गई है। अब धार और नीमच के 673 हेक्टेयर क्षेत्र में से 250 हेक्टेयर क्षेत्र को चाहर दीवारी उठाकर संरक्षित किया जाएगा। इस पर अगले माह से काम शुरू होने की उम्मीद है।

सियार, कुत्तों से अंडे बचाना चुनौती

खरमोर के संरक्षण के प्रयास पहले भी होते रहे हैं, लेकिन सियार और कुत्तों से अंडों की हिफाजत चुनौती बनी रही। योजना में क्षेत्र को पत्थर की दीवार उठाकर बंद करने का मकसद अंडों की हिफाजत करना ही है। वन अफसरों का कहना है कि पक्षी बड़ी घास में अंडे देता है।

चाहर दीवारी बनने से घास भी सुरक्षित हो जाएगी और सियार एवं कुत्तों की आवाजाही भी बंद हो जाएगी। पक्षी के अंडों से करीब तीन माह में चूजे निकल आते हैं। इसके बाद यह घास ग्रामीणों को दे दी जाएगी। वे इसे मवेशियों के लिए काटकर रख सकेंगे। इससे ग्रामीणों का विरोध भी कम हो जाएगा, क्योंकि अंडों को संरक्षित करने के लिए मवेशियों को घास नहीं चरने दी जाती, इसलिए वे पक्षी के खिलाफ हैं।

करेरा और घाटीगांव को कर दिया बर्बाद

खरमोर के संरक्षण के लिए शिवपुरी का करेरा और ग्वालियर का घाटीगांव अभयारण्य बनाया गया था, लेकिन अभयारण्य में निजी भूमि ज्यादा होने के कारण ग्रामीणों ने पक्षी के संरक्षण में सहयोग नहीं किया। क्षेत्रीय लोगों का दोनों अभयारण्यों को खत्म करने का दबाव था। राज्य सरकार ने भी चुनावी रणनीति के चलते करेरा अभयारण्य का 202 वर्ग किमी व घाटीगांव अभयारण्य का 111 वर्ग किमी हिस्सा डिनोटिफाई करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें से घाटीगांव के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।