जापान जैसा मैंने जाना . . . 03

 

 

जब पनीर समझकर सुअर सेंडविच खा गए एक बाईट!

(ब्यूरो कार्यालय)

भोपाल (साई)। भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एवं आकाशवाणी भोपाल के संपादक संजीव शर्मा पिछले दिनों जापान की यात्रा पर थे। वे वहां जी 20 देशों के महासम्मेलन में शिरकत करने भारत सरकार की ओर से गए थे। इस दौरान जापान यात्रा के संस्मरण उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किए हैं। पेश है पाठकों के लिए उनके संस्मरण की तीसरी किश्त:

जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन को कवर करने जापान पहुंचे दुनियाभर के पत्रकारों के लिए ओसाका में बने इंटर-नेशनल मीडिया सेंटर में एप्पल सेंडविच और पाइन-एप्पल पेटिस पर हाथ साफ़ करते हुए हमारे एक पत्रकार साथी ने पनीर-क्रीम सेंडविच का बड़ा सा पीस मुंह में ठूंसते हुए कहा-बहुत ही जोरदार है, आप भी लीजिए! अपन ठहरे लकीर के फ़क़ीर!

हर डिश को समझकर-पढ़कर खाने वाले, इसलिए उनकी सलाह पर अमल से पहले एक चक्कर लगाकर उस सेंडविच का नाम तलाशा तो उस पर जो लिखा था उसका मतलब पूछने पर पता चला कि वह सेंडविच सुअर के मांस की है! अब उन पत्रकार मित्र का हाल मत पूछिये क्योंकि तब तक वे आधी से ज्यादा सेंडविच हलक से नीचे उतार चुके थे और अब न उगलते बन रहा था और न ही निगलते।

हालाँकि, इसमें उस बेचारे की भी कोई गलती नहीं थी क्योंकि यदि मैं आपसे कहूँ कि सुशी, साशिमी, टेम्पुरा, याकीतोरी, उडोन, सोबा, कैसेकी, सुकीआकी, सुकमोनो अचार और मिसो सूप! इन नामों को सुनकर कुछ समझ आया। तो आप भी आश्चर्य से पलकें झपकाते रह जाएंगे क्योंकि जब मुझे जापान जाने के बाद भी समझ नहीं आया तो आप खाली नाम पढ़कर कैसे समझ सकते हैं!

चलिए इस पहेली को आसान बनाते हैं। दरअसल ये सभी नाम जापान के सबसे लोकप्रिय और लज़ीज़ व्यंजनों के हैं और बड़ी संख्या में तमाम देशों के लोग इनका स्वाद चखने के लिए जापान जाते हैं। जी-20 देशों के महारथियों को भी ये और इनके साथ दर्जनों अन्य व्यंजन परोसे गए थे। व्यंजन तो छोड़िये, दुनिया के इन सबसे ताकतवर मुल्कों के प्रतिनिधियों के लिए 100 से ज्यादा प्रकार के शेक, 24 प्रकार की चाय, 08 प्रकार की काफ़ी, दर्जन भर से ज्यादा प्रकार की बीयर, 17 प्रकार की वाइन, 12 तरह के साफ्ट ड्रिंक, 30 प्रकार की देशी मदिरा (शोचू) परोसी गयी। शोचु गन्ना, शकरकंद, ज्वार, चावल जैसे कई अनाज और फलों से बनती है। तक़रीबन दौ सौ से ज्यादा व्यंजनों और ड्रिंक्स की सूची में मुझे बस चावल, दार्जिलिंग टी, आइस टी, काफ़ी जैसे कुछ नाम ही समझ आए।

वैसे, शायद कम ही लोग जानते होंगे कि जापानी भोजन दुनिया में काफी लोकप्रिय है और इसका कारण यह है कि पारंपरिक जापानी खाने में पाँच नियमों को ध्यान में रखकर विविधता और संतुलन पर जोर दिया जाता है। इन नियमों के अंतर्गत खाने में पांच रंगों (काला, सफेद, लाल, पीला और हरा), खाना पकाने की पांच तकनीकों (कच्चा भोजन, ग्रिलिंग, स्टीमिंग, उबालना और तलना) के साथ साथ पांच स्वाद (मीठा, मसालेदार, नमकीन, खट्टा और कड़वा) का खास ध्यान रखा जाता है। यहाँ तक कि सूप और चावल बनाते समय भी इन नियमों का पालन किया जाता है। इसके अलावा ताज़ी और उच्च गुणवत्ता वाली मौसमी कच्ची सामग्री का इस्तेमाल के साथ साथ नफ़ासत के साथ परोसने के कारण भी जापानी खान-पान के मुरीद बढ़ रहे हैं।

अब यदि आप हिन्दू वेजीटेरियन (जैसा कैथी पैसिफिक एयरलाइन्स में पूछा गया था) जैसे किसी खूंटे से नहीं बंधे हैं तो जापान में आपकी जीभ के लिए भरपूर गुंजाइश है जो मछली-मटन-चिकन से आगे बढ़कर सुअर, गाय और सी फूड में ऑक्टोपस-केंकड़े और कई प्रकार के कीड़े मकोड़े का भी स्वाद ले सकती है।

ऐसा भी नहीं है कि शाकाहारियों के लिए जापान में भूखे मरने की नौबत आ सकती है क्योंकि ब्रेड-बटर तो सामान्य रूप से हर जगह उपलब्ध है। फिर तमाम नुडल्स, जूस, फल का आनंद भी लिया जा सकता है। अब तो अनेक भारतीय रेस्तरां यहाँ खुल गए हैं जो आपको भारतीय स्वाद में भारतीय खाना परोस रहे हैं और कई जापानी भी इस खाने के दीवाने हैं। यहाँ तक कि कुछ होटलों में पहले से बता दिया जाए तो जैन भोजन भी मिल जाता है इसलिए यदि जापान जाने का मन बना लिया है तो बेख़ौफ़ और बेझिझक जाइए क्योंकि दाल-चावल-रोटी तो घर में मिल ही जाती है लेकिन जब देश से बाहर आये हैं तो सुशी, साशिमी, टेम्पुरा, याकीतोरी का भी लुत्फ़ उठाया जाए क्योंकि ये सब थोड़ी हमारे देश में आसानी से मिलेंगे। (क्रमशः जारी)