(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। मरीजों को एंबुलेंस जल्दी मिले इसके लिए नेशनल हेल्थ मिशन (एनएएचएम) ने कड़ाई से निगरानी शुरू की है। फोन पर एंबुलेंस रवाना होने व अस्पताल पहुंचने के समय पर नजर रखी जाएगी। अभी तक एंबुलेंस के ड्राइवर बताते थे कि वाहन कितने बजे अस्पताल पहुंचा।
अब वाहन के अस्पताल पहुंचते ही एंबुलेंस की लोकशन काल सेंटर के साफ्टवेयर में दर्ज हो जाएगी। ज्यादातर मरीज सरकारी अस्पतालों में जाते हैं, इसलिए अस्पतालों की जियोटैगिंग की गई है। करीब छह महीने से यह व्यवस्था ट्रायल के तौर पर चल रही थी। अब इस पर सख्ती से अमल शुरू हो गया है।
108 एंबुलेंस व जननी एक्सप्रेस का संचालन करने वाली जेडएचएल कंपनी और नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के बीच करार में एंबुलेंस पहुंचने (रिस्पांस टाइम) के समय की निगरानी का भी प्रावधान था। इसके लिए कंपनी को साफ्टवेयर तैयार करना था।
इसमें एंबुलेंस के मरीज को लेकर रवाना होने और अस्पताल पहुंचने तक के समय की निगरानी की जानी थी। कंपनी ने अभी तक साफ्ववेयर शुरू नहीं किया है। इसके लिए एनएचएम की मिशन डायरेक्टर छवि भारद्वाज ने 15 दिन पहले जेएचएल कंपनी को सख्त नोटिस भी दिया था। इस पत्र में उन्होंने अन्य कमियों को भी सुधारने के लिए कहा था।
एंबुलेंस के लिए फोन आने और एंबुलेंस को रवाना करने के लिए कॉल सेंटर से सूचना मिलने के बाद एंबुलेंस में देरी नहीं होगी। इसकी निगरानी के लिए कॉल सेंटर में एनएचएम की तरफ से 30 कर्मचारियों की टीम लगाई जाएगी। यह कर्मचारी एंबुलेंस पर जीपीएस के जरिए नजर रखेंगे। चलने में देरी होने पर ड्राइवर को फोन करेंगे। इसका फायदा यह होगा के मरीजों को सयम पर एंबुलेंस मिल सकेगी।
एंबुलेंस पहुंचने का तय समय : शहरी क्षेत्र में 108 एंबुलेंस पहुंचने का तय समय 20 मिनट व ग्रामाीण क्षेत्र में 30 मिनट है।
एंबुलेंस पहुंचने का वास्तविक समय : शहरी क्षेत्रों में एंबुलेंस 20 मिनट की जगह औसत 26 मिनट में पहुंच रही है। इससे कई जरूरतमंदों को समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पाती है।
जुर्माना : वाहनों के रिस्पांस समय में जितने मिनट की देरी होती है, उसी लिहाज से महीने की बिलिंग राशि का आधा फीसदी जुर्माना लगाया जाता है। मसलन रिस्पांस समय छह मिनट ज्यादा आ रहा है तो बिलिंग की तीन फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा।
अगले महीने से शुरू होगा नया कॉल सेंटर : 108 व जननी एक्सप्रेस का कॉल सेंटर अगस्त के पहले हफ्ते से सी 21 माल में शिफ्ट किया जा रहा है। अभी 240 लाइनों की जगह यहां पर 360 लाइन रहेंगी। इससे कॉल ड्राप की दिक्कत खत्म हो जाएगी। दूसरी बात यह कि अभी एक समय पर 90 कर्मचारी कॉल उठाने के लिए कॉल सेंटर पर बैठ सकते हैं। शिफ्ट होने के बाद कॉल सेंटर 110 सीटर हो जाएगा।

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