मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन पूरा

 

 

 

 

पेंशन जारी करने का प्रस्ताव भेजा

(ब्‍यूरो कार्यालय)

भोपाल (साई)। सामान्य प्रशासन विभाग ने 15 जनवरी को सभी कलेक्टरों को आदेश जारी किए थे कि वे मीसाबंदी (लोकतंत्र सेनानी) का भौतिक सत्यापन कर इसकी रिपोर्ट 15 दिन में शासन को भेजे।

आदेश जारी होने के सात महीने बाद मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन पूरा हो गया है। गोविंदपुरा, बैरागढ़, एमपी नगर, शहर व हुजूर तहसील के अंतर्गत रहने वाले मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन पूरा हो चुका है।

इनकी सूची राज्य सरकार से हरी झंडी पाकर वापस भी आ गई है। इनमें से 13 मीसाबंदियों को पेंशन जारी करने का प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर ने जिला कोषालय को भेज दिया है। इस तरह जिले के करीब 123 मीसाबंदियों को पेंशन जारी की जानी है। यह पेंशन जनवरी से भौतिक सत्यापन के लिए रुकी हुई थी। हालांकि टीटी नगर सर्किल के अंतर्गत रहने वाले मीसाबंदियों की दोबारा रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

तपन भौमिक सहित 12 अन्य को पेंशन जारी करने भेजा प्रस्ताव

सूर्यकांत केलकर, संतोष कुमार शर्मा, अरुण कुलकर्णी, तपन भौमिक, ज्ञानेश्वर दयाल निगम, लता श्रीवास्तव, बनवारी लाल सक्सेना, प्रसन्न् कुमार शर्मा, सत्यनारायण शर्मा, दिलीप गोलवरकर, उमा शुक्ला, अब्दुल लतीफ, अमान उल्ला खान को पेंशन जारी करने के लिए जिला कोषालय को प्रस्ताव भेज दिया गया है।

भौतिक सत्यापन से अपडेट हो गए पते

भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट जिन तहसील और सर्किलों से आ गई है उसमें मीसाबंदियों का पता अपडेट हो चुका है। कुछ तो भोपाल छोड़कर इंदौर में निवासरत हैं। बता दें कि नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों से जांच कराकर यह रिपोर्ट तैयार कराई गई है।

हर मीसाबंदी के लिए अलग से पंचनामा बनवाया गया है। इससे पूर्व जांच रिपोर्ट में हुजूर, गोविंदपुरा, शहर सर्किल और बैरागढ़ सर्किल के आरआई ने जो रिपोर्ट भेजी है वह भी अधूरी है। अधिकांश आरआई ने तो वारिशों के नाम तक नहीं भेजे हैं, ताकि पेंशन स्थानांतरित की जा सके। इधर, कुछ आरआई ने परिवार की जानकारी भी अपडेट नहीं की है सिर्फ वर्तमान पते पर निवास करते हैं यह लिखकर रिपोर्ट दे दी है।

यह है मीसाबंदी कानून

प्रदेश में ऐसे कई व्यक्ति हैं, जिन्हें मीसा कानून के तहत कुछ दिनों के लिए जेल में रखा गया था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 के तहत कम से कम एक माह जेल में बंद रहने वालों को पेंशन की पात्रता थी। इसके कारण प्रदेश के कई लोगों को पेंशन नहीं मिल पा रही थी। मीसाबंदियों के संगठन ने सरकार से नियमों में बदलाव की मांग की थी। लिहाजा, पूर्व सरकार ने नियमों में बदलाव कर यह प्रावधान कर दिया कि एक माह से कम अवधि के लिए भी यदि कोई मीसा कानून के तहत बंदी रहा है तो उसे आठ हजार रुपए मासिक पेंशन दी जाएगी। इससे अधिक अवधि वाले लोगों को 25 हजार रुपए मासिक पेंशन मिलेगी।

नई सरकार ने लगा दी थी रोक

प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद मीसा बंदियों की पेंशन पर रोक लगा दी गई थी। इस रोक केपीछे सरकार का तर्क था कि पेंशन प्राप्त करने वालों की सूची में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो मीस बंदी है ही नहीं। इसके बाद सरकार ने मीसा बंदियों का भोतिक सत्यापन करने के आदेश सभी कलेक्टरों को दिए थे। जांच में कई जिलों में ऐसे प्रकरण सामने भी आए जिनमें दस्तावेज झूठे पाए गए या फिर पेंशन पाने वाले भौतिक रूप से मिले ही नहीं। ऐसे प्रकरणों में सरकार ने पेंशन पर रोक लगा दी गई। जबकि, जिन मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन सही पाया गया उन्हें पुन: पेंशन शुरू कर दी गई।

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