(ब्यूरो कार्यालय)
जबलपुर (साई)। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि प्रदेश की जेलों में बंदियों का नियमित मेडिकल चेक-अप कराया जाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विजय शुक्ला की डिवीजन बेंच ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस केद्रीय कारागार जबलपुर के अधीक्षक को यह बताने के लिए कहा कि चिकित्सकों के दो रिक्त पदों पर कब तक नियुक्तियां होंगी। कोर्ट ने फिलहाल जेल में चौबीस घंटे कम से कम एक चिकित्सक की सेवाएं उपलब्ध कराने को कहा।
यह है मामला : मदनमहल, जबलपुर के अधिवक्ता विजयेंद्र सिंह चौधरी ने 2018 में याचिका दायर कर की। इसमें कहा गया कि जेल में निरुद्ध बंदियों का नियमानुसार नियमित मेडिकल चेकअप नहीं किया जा रहा है। इसके चलते बड़ी संख्या में बंदी कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हैं।
एक समाचार के हवाले से कहा गया कि 24 नवंबर 2018 को मप्र हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के सहयोग से मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डॉक्टरों ने जेल में नेत्ररोग परीक्षण कैंप लगाया। इसमें महज 185 बंदियों का नेत्र परीक्षण किया गया। जबकि जेल में लगभग 2500 बंदी निरुद्ध हैं। स्वयं पैरवी करते हुए अधिवक्ता चौधरी ने तर्क दिया कि इससे साफ जाहिर है कि जेलों में बंदियों को किस तरह की स्वास्थ्य सेवाएं मिल रहीं हैं। उन्होंने कहा कि जेल में निरुद्ध बंदियों को भी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं पाने का अधिकार है। समय-समय पर सुको ने भी इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए।

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