(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसी डेक्स) मुंबई के सीईओ आर रामाशेषन व अन्य के खिलाफ काली मिर्च में जला ऑयल की मिलावट करने के आरोप में बुधवार को आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने प्राथमिक जांच (पीई) पंजीबद्ध की है। एनसीडेक्स खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की गारंटी लेता है और अलग-अलग ग्रेड तय कर गुणवत्ता प्रमाण पत्र देता है।
आरोप है कि 1729.91 टन मिलावटी काली मिर्च को मलाबार ए-1 ग्रेड का प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इस काली मिर्च में मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जला ऑयल मिलाया गया था। कंपनियों ने जब यह मिलावटी काली मिर्च बेची गई तो कई कंपनियों के अरबों रुपए बाजार में फंस गए। 2012 से ही इस मामले में बैतूल ऑयल लिमिटेड कंपनी के 72 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं।
इसकी शिकायत बैतूल ऑयल लिमिटेड ने ईओडब्ल्यू को की। जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने एनसीडेक्स के सीईओ आर रामाशेषन के खिलाफ प्राथमिक जांच दर्ज कर प्रकरण जांच में लिया है। यह पहला मामला है, जब काली मिर्च में हुई आर्थिक अपराध की जांच ईओडब्ल्यू करेगा। इस मामले में पूर्व में भी केरल सरकार ने जांच करवाई थी, लेकिन समाधान नहीं हुआ। अब ईओडब्ल्यू इस मामले में हुए भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी सहित अन्य पहलूओं की जांच करेगा। बताया जा रहा है कि यह प्रमाणित केस है और जल्द ही इसमें केस दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारियां कर ली जाएगी।
लैब में खनिज तेल की मिलावट पाई गई
एनसीडेक्स सामग्री का मुख्य विक्रेता है। एनसीडेक्स से खरीदी जाने वाली सामग्री उच्च गुणवत्ता की होने की गारंटी एनसीडेक्स प्रबंधन लेता है। इसकी विश्वसनीयता के कारण ही देशभर की कंपनियां, सरकारे और अन्य प्रतिष्ठान एनसीडेक्स की वेबसाइट से ऑक्शन-दरों पर सामग्री खरीदते हैं। बैतूल ऑयल कंपनी ने 2012 में 1729.91 टन काली मिर्च एनसीडेक्स से खरीदी लेकिन यह मिलावटी निकली।
जबकि अनुबंध में एनसीडेक्स ने खरीदी गई काली मिर्च को मलाबार ए-1 ग्रेड बताया। काली मिर्च की डिलीवरी के पहले जब लैब में टेस्टिंग हुई तो इसमें खनिज तेल मिलाना पाया गया। मिलावट की पुष्ठि होने के बाद बैतूल ऑयल लि कंपनी ने काली मिर्च लेने से इंकार कर पैसा वापस मांगा तो पैसे नहीं दिए। 2012 से ही बैतूल ऑयल कंपनी सहित देश की कई कंपनियों के करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं।

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