JDA के पूर्व अधिकारी सिंह को 5 साल की जेल

 

 

 

 

करोड़ों का जुर्माना भी, लोकायुक्त कोर्ट का फैसला

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। लोकायुक्त कोर्ट ने जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के पूर्व कार्यपालन यंत्री/ भू-अर्जन अधिकारी जीएन सिंह को 5 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 1 करोड़ 30 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोंक दिया। अर्थदंड की राशि अदा न करने की सूरत में 2 साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। मामला आय से 200 फीसदी से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप से संबंधित था।

अभियोजन की ओर से लोकायुक्त के विशेष अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि जबलपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व कार्यपालन यंत्री/ भू-अर्जन अधिकारी जीएन सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी। इसके बाद लोकायुक्त टीम ने कार्रवाई की थी।

जीएन सिंह के खिलाफ लोकायुक्त ने 11 मार्च 2011 को अपराध दर्ज किया। इसके बाद 14 मार्च 2011 को आरोपित के निवास स्थान की तलाशी के लिए सर्च वारंट प्राप्त किया गया। लोकायुक्त एसपी के आदेश पर गठित दल ने 14 मार्च 2011 को आरोपित के पीपी कॉलोनी, पोलीपाथर स्थित आवास पर छापामार कार्रवाई की गई। दफ्तर पर भी छापा मारा गया। 26 जुलाई 2017 को कोर्ट में चालान पेश किया गया।

कोर्ट में अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर आरोपित द्वारा जांच अवधि 27 जुलाई 1988 से 14 मार्च 2011 तक कुल वैध स्रोत से आय 62,19,103 रुपए और इस अवधि में चल-अचल संपत्ति में कुल व्यय 1,91,91,103 रुपए पाया गया। जोकि आय की तुलना में 1,29,72,000 रुपये (208.58) प्रतिशत अनुपातहीन संपत्ति होना पाया गया। इस तरह कोर्ट ने पाया कि आरोपित ने अपने कार्यकाल में एक करोड़ 29 लाख रु भ्रष्टाचार से कमाए। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपित जीएन सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(ई) और 13 (2) के तहत दोषी ठहरा दिया।

अभियोजन की ओर से 45 व बचाव पक्ष की ओर से 20 गवाह- इस मामले की ट्रायल के दौरान विगत 2 वर्ष में अभियोजन की और से 45 और बचाव की और से 20 गवाहों का परीक्षण पूर्ण करते हुए अनुपातहीन संपत्ति के मामले का निराकरण किया गया। अंतत: लोकायुक्त कोर्ट ने दोषसिद्ध पाया और सजा सुना दी।

हाईकोर्ट ने ठुकराई याचिकाएं

जीएन सिंह ने अपने खिलाफ लोकायुक्त द्वारा हासिल की गई अभियोजन स्वीकृति को दो याचिकाओं के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पहले अंतरिम आदेश के जरिए लोकायुक्त की कार्रवाई पर स्टे कर दिया गया था। 2017 में हाईकोर्ट ने लोकायुक्त के आवेदन पर गौर करने के बाद याचिकाएं खारिज कर दीं। इसी के साथ पूर्व में मिला स्टे स्वत: समाप्त हो गया। इसके बाद लोकायुक्त ने अदालत में चालान पेश किया।

नीलामी के निर्देश जारी

लोकायुक्त कोर्ट द्वारा छापे के समय आरोपित के निवास में पाए गए 191000 रुपए को जब्त किए जाने का आदेश देकर राशि को तत्काल सिविल न्यायालय जबलपुर के नाजरत अनुभाग में जमा किए जाने का निर्देश दिए गए। साथ ही चल-अचल संपत्ति को सार्वजनिक नीलामी के जरिए विक्रय करके विक्रय से प्राप्त धन को राज्य के लिए उपयोग किए जाने का आदेश भी सुनाया गया। यही नहीं आरोपित द्वारा विभिन्न् बीमा कंपनियों से ली गई पॉलिसी राशि 24,32,685 रुपए, बैंक की सावधि जमा राशि 4,20,500 रुपए को भी जब्त करके संबंधित बीमा/बैंक के प्रबंधक को राशि सिविल न्यायालय जबलपुर के नाजरात में जमा किए जाने के निर्देश दिए गए।